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जाकिर नाइक व रोहिंग्या नेता की साजिश: भारत में आतंकी हमले के लिए मलेशिया से ₹1.5 करोड़ की फंडिंग

नई दिल्ली। भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW)’ ने मलेशिया से भारत में हमले के लिए होने वाली फंडिंग की एक कड़ी का पता लगाया है, जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया है। पता चला है कि भारत में आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए मलेशिया से 2 लाख डॉलर (1.47 करोड़ रुपए) की फंडिंग की गई थी। भारत में आतंकी हमले के लिए हुए इस लेनदेन के तार जाकिर नाइक सहित कई आतंकी संगठनों से भी जुड़े हुए हैं।

ये आर्थिक लेनदेन मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर के रोहिंग्या नेता मोहम्मद नसीर और युवाओं को अपने वीडियोज के जरिए भड़का कर आतंक की राह पर चलने के लिए उकसाने वाले भगोड़े जाकिर नाइक से जुड़े हुए हैं। इस आतंकी समूह ने मलेशिया में एक महिला को भी कड़ा प्रशिक्षण दिया है। बताया जा रहा है कि यही महिला भारत में होने वाले आतंकी हमले की साजिश का नेतृत्व करेगी।

इस पूरे मामले की छानबीन के दौरान तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से एक हवाला कारोबारी को भी दबोचा गया है। आतंकियों के बांग्लादेश या नेपाल की सीमा से भारत में प्रवेश करने की आशंका है। जहाँ नेपाल में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है, वहीं बांग्लादेश में भी इस्लामी कट्टरता हावी हो रही है।

बांग्लादेश और नेपाल की सीमा जिन भारतीय राज्यों से सटी हुई हैं, उन सभी की पुलिस व ख़ुफ़िया विभाग को सतर्क कर दिया गया है। इसके अलावा दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब और पश्चिम बंगाल के सुरक्षा अधिकारियों को इस बारे में खास तौर पर सूचित किया गया है। दिल्ली, अयोध्या, बोधगया, पश्चिम बंगाल और श्रीनगर के कुछ क्षेत्रों को आतंकी अपने निशाने पर ले सकते हैं। मलेशिया और तुर्की भारत विरोधी गतिविधियों का हब बनते जा रहे हैं।

जिस महिला को इस आतंकी हमले का नेतृत्व करना है, उसे म्यांमार में ट्रेनिंग दी गई है। भारत में PFI के भी इस साजिश में शामिल होने की आशंका है और संगठन के सदस्य इन आतंकियों की मदद कर सकते हैं, इसीलिए उन पर कड़ी नजर रखी जा रही है। मलेशिया में रोहिंग्या शर्णार्थियीं के नाम पर फंड्स इकठ्ठा करने वाले एक रोहिंग्या संगठन के इसमें शामिल होने की आशंका है, जिसे लेकर पता लगाया जा रहा है।

अक्टूबर 2020 में जाकिर नाइक ने कहा था कि अगर खाड़ी के देशों में रहने वाले गैर मुस्लिम पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी करते हैं तो उन्हें जेल में बंद कर दिया जाए और ऐसे लोगों का समुचित दस्तावेज़ (डाटा बेस) तैयार किया जाए, जो सोशल मीडिया पर इस तरह की टिप्पणी करते हैं। उसका कहना था कि जैसे ही ये लोग खाड़ी के देशों में वापस आएँ वैसे ही उनकी गिरफ्तारी हो और उन्हें अदालत के सामने पेश किया जाए।

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