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चुनावों के समय अजीत डोभाल के बेटे को ले कर झूठ फैलाने पर जयराम रमेश ने माफी माँगी, कहा- कारवाँ पढ़ कर बहक गया

नई दिल्ली। कारवाँ मैगजीन के साथ मिल कर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल के खिलाफ दुष्प्रचार करने वाले जयराम रमेश ने अब कोर्ट में इस मामले में माफ़ी माँग ली है। विवेक डोभाल द्वारा दायर किए गए आपराधिक मानहानि के मुक़दमे की सुनवाई के दौरान कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने अपना माफीनामा सौंपा। आपत्तिजनक लेख और बयान के खिलाफ विवेक ने मुकदमा दायर किया था।

वहीं विवेक डोभाल ने भी पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश के माफीनामे को स्वीकार करते हुए उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मानहानि का केस वापस लेने का निर्णय लिया है। जयराम रमेश ने कहा कि उन्होंने क्षणिक आवेश में विवेक डोभाल के खिलाफ बयान दिए और कई आरोप लगाए, क्योंकि उस समय चुनाव का भी माहौल था। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें ये सब कहने से पहले अपने दावों की पुष्टि कर लेनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि वो कारवाँ के लेख को पढ़ कर भ्रम में पड़ गए थे।

हालाँकि, कारवाँ मैगजीन के खिलाफ केस चलता रहेगा। मैगजीन में एक लेख के माध्यम से आरोप लगाया गया था कि विवेक डोभाल कई कंपनियों के एक बड़े नेटवर्क का संचालन करते हैं और उन्होंने नोटबंदी के दौरान बड़ी मात्रा में ब्लैक मनी को ह्वाइट किया। दावा किया गया था कि जहाँ अजीत डोभाल टैक्स हेवेन्स के खिलाफ क्रैकडाउन की बातें करते हैं, वहीं विवेक टैक्स की चोरी कर संपत्ति बना रहे हैं।

जयराम रमेश ने भी इसी लेख के आधार पर बयान दिए थे और दावा किया था कि उनका बयान आपत्तिजनक नहीं है, क्योंकि सभी चीजें सार्वजनिक डोमेन में बाहर आ चुकी है। उन्होंने खुद को सार्वजनिक व्यक्ति बताते हुए कहा था कि ये उनकी जिम्मेदारी है कि जनहित के मुद्दों पर सवाल उठाएँ। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विवेक पर निशाना साधा था और बताया था कि ये एक ‘प्रोफेशनल’ प्रेस कॉन्फ्रेंस था, इसमें कुछ भी व्यक्तिगत नहीं था।

सुनवाई की शुरुआत में ही विवेक डोभाल ने कहा था कि यह मामला आने वाले वर्षों में उनके करियर पर एक धब्बे की तरह है। अपने पिता को लेकर उन्होंने कहा था कि उनका पूरा जीवन इस देश के दुश्मनों से लड़ते बीता है। ऐसा कैसे हो सकता है कि वो अपने बेटे को अवैध गतिविधियों को अंजाम देने की अनुमति दे दें। कारवाँ के इस लेख में ‘डोभाल परिवार’ को ‘डी कंपनी’ का नाम दिया गया था, जिसका इस्तेमाल 1993 मुंबई बम धमाकों के आरोपी और कुख्यात आतंकवादी दाऊद इब्राहिम के गैंग के लिए किया जाता है।

लेख में यह आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल के बेटे विवेक डोभाल केमैन आइलैंड, जो कि टैक्स-हेवन के रूप में जाना जाता है, में हेज फंड (निवेश निधि) चलाते हैं। रवीश कुमार ने यहाँ तक लिखा था कि “डी-कंपनी अभी तक दाऊद का गैंग ही होता था, अब भारत में एक और डी कंपनी आ गई है”। दावा किया गया था कि यह हेज फंड 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी की घोषणा के 13 दिन बाद रजिस्टर्ड किया गया था।

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