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किसानों के आंदोलन में खालिस्तानी कड़े और नारे का क्या काम?

नई दिल्ली। मंगलवार (जनवरी 26, 2021) को ‘इंडिया टुडे’ के पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने फेक न्यूज फैलाते हुए तिरंगे में लिपटी मृतक की लाश की तस्वीर अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर करते हुए लिखा कि इसकी मौत पुलिस की गोली से हुई है। राजदीप ने ट्विटर पर लिखा, “पुलिस फायरिंग में आईटीओ पर 45 साल के नवनीत की मौत हो गई है। किसानों ने मुझे बताया कि उसका ‘बलिदान’ व्यर्थ नहीं जाएगा।”

बता दें कि इस तस्वीर में शव के पास बैठे एक शख्स के हाथ में खालिस्तानी कड़े देखे जा सकते हैं। इसके अलावा केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपनी ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले के अंदर घुस कर उस पर लाल-पीला झंडा भी फहरा दिया। प्रदर्शनकारी किसानों ने लाल किले के फाटक पर रस्सियाँ बाँधकर इसे गिराने की भी कोशिश की।

कथित किसान विरोध प्रदर्शन के दौरान सिख झंडों के बीच खालिस्तानी उकसावे की बहस का भी जमकर बोलबाला रहा। मंगलवार दोपहर लाल किले पर पहुँचे किसानों को एक गुंबद के शीर्ष पर एक झंडा लगाते हुए देखा गया। एक अन्य प्रदर्शनकारी ने उस जगह पर अपना झंडा लगा दिया, जहाँ पर प्रधानमंत्री हर वर्ष स्वतन्त्रता दिवस के मौके पर तिरंगा फहराते आए हैं।

एक वीडियो, जो सोशल मीडिया पर बड़े स्तर पर वायरल हो रहा है, में देखा जा सकता है कि उपद्रवियों की भीड़ में से लाल किले पर एक आदमी सिखों का झंडा लगाने खम्बे पर चढ़ रहा है। भीड़ में से जब एक आदमी ने उसकी ओर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा बढ़ाया तो उसने बेहद अपमानजनक तरीके से तिरंगे को दूर फेंक दिया। झंडा फहराने के दौरान खालिस्तानी नारा भी सुना जा सकता है।

अब सवाल उठता है कि जो लोग इसे पवित्र निशान साहिब बोल रहे हैं, वो ये बताएँ कि ये नारा और कड़ा किसका है? यह भी बताएँ कि एक किसान आंदोलन में मजहबी झंडा कहाँ से आया? उसे कैसे डिफेंड किया जाए कि तिरंगा फेंक कर मजहबी झंडा लगा दिया गया? सोचने वाली बात यह भी है कि किसान के तथाकथित आंदोलन में ‘सिख’ झंडा क्या कर रहा है? खालिस्तानी भी तो सिखों के लिए अलग देश चाहते हैं और यहाँ तिरंगे के पोल पर सिख झंडा लगा दिया गया।

खालिस्तानी और देश के दुश्मनों के साथ मिलकर कुछ नेता पीएम नरेंद्र मोदी और देश के खिलाफ षड़यंत्र कर लाल किले पर तिरंगा उतारकर किसान आंदोलन का झंडा फहराया। देश को बदनाम करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। आंदोलन किसान के नाम पर किए जाते हैं, लेकिन झंडे फहराए जा रहे हैं खालिस्तान के।

इस बीच आम आदमी पार्टी के नेता अमरीक सिंह का पोस्ट भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने कैप्शन दिया था, “राज करेगा खालसा, लाल किला फतेह।”

एक सोशल मीडिया यूजर द्वारा शेयर किए गए पोस्ट में कॉन्ग्रेस को पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू को प्रमोट करते हुए देखा जा सकता है। बता दें कि ये वही दीप सिद्धू है, जिसने लाल किले पर खालसा का झंडा फहराने का समर्थन किया है। उसने लोगों से खालिस्तानी नारे भी लगवाए।

इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पोती महिमा शास्त्री ने राजदीप सरदेसाई के ट्वीट को शेयर करते हुए लिखा है, “मेरे दादाजी लाल बहादुर शास्त्री ने असली किसानों के लिए नारा दिया था, न कि खालिस्तानियों के लिए। क्या हमें अधिक प्रमाण की आवश्यकता है कि यह किसान आंदोलन नहीं है?”

बता दें कि राजदीप सरदेसाई ने अराजक हिंसा का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा था, “गणतंत्र दिवस पर और अधिक दुखद क्या हो सकता है जब जय जवान, जय किसान ITO में किसान बनाम जवान बन जाता है।”

ये भी ध्यान देने वाली बात है कि दो सप्ताह पहले प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस (SFJ)’ ने ऐलान किया था कि जो भी दिल्ली के लाल किला पर खालिस्तानी झंडा फहराएगा, उसे 2.5 लाख डॉलर (1.83 करोड़ रुपए) इनाम के रूप में दिए जाएँगे।

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