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डर के मारे पड़ी फूट या समझदारी: दो ‘किसान’ संगठन हुए आंदोलन से अलग

नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर हुए उपद्रव के बाद अब केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे प्रदर्शन से अब दो किसान संगठनों ने अपना नाम वापस ले लिया है। आन्दोलन से खुद को अलग करने वालों में पहला नाम किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीएम सिंह का है, और दूसरा भारतीय किसान यूनियन का भानु गुट का!

वीएम सिंह ने किसान नेता राकेश टिकैत पर आरोप लगाते हुए कहा कि टिकैत अलग रास्ते से जाना चाहते थे। आन्दोलन से अपना नाम वापस लेते हुए कहा कि जिन लोगों ने भड़काया उन पर सख्त कार्रवाई हो। वीएम सिंह ने साफ किया कि आंदोलन खत्म करने का फैसला राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ का है न की ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी (AIKSCC) का।

वीएम सिंह ने कहा, “हिंदुस्तान का झंडा, गरिमा, मर्यादा सबकी है। उस मर्यादा को अगर भंग किया है, भंग करने वाले गलत हैं और जिन्होंने भंग करने दिया वो भी गलत हैं। आईटीओ में एक साथी शहीद भी हो गया। जो लेकर गया या जिसने उकसाया उसके खिलाफ पूरी कार्रवाई होनी चाहिए।”

वीएम सिंह ने कहा कि किसान यूनियन के राकेश टिकैत केंद्र के साथ मीटिंग करने गए थे, उन्होंने बैठक में गन्ना किसानों के मुद्दों पर बात क्यों नहीं की? उन्होंने कहा कि टिकैत ने क्या बात की पता नहीं और जब हम सिर्फ उन्हें सपोर्ट देते रहे तो वहाँ कोई नेता बनता रहा।

दूसरी ओर, भारतीय किसान यूनियन का भानु गुट भी किसान आंदोलन से अलग हो गया है। संगठन के मुखिया भानु प्रताप सिंह ने कहा कि जो आरोपित हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई हो। उन्होंने चिल्ला बॉर्डर से धरना खत्म करने का एलान किया है। भानु प्रताप सिंह ने कहा कि कल दिल्ली में जो कुछ भी हुआ उससे वो बेहद आहत हैं और 58 दिनों के विरोध प्रदर्शन को समाप्त कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन पिछले 63 दिनों से जारी है।

प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि सरकार वैसे भी डेढ़ साल तक के लिए कानून लागू नहीं करने वाली और माननीय प्रधानमंत्री उन्हें बातचीत का मौका देंगे लेकिन फिलहाल वो अपना नाम आन्दोलन से वापस ले रहे हैं क्योंकि कुछ लोगों ने माहौल गंदा कर दिया है।

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