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योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत का नाम FIR में: पुलिस ने कहा – ‘अच्छे से सत्यापन के बाद कर रहे गिरफ्तारी’

नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस ने बुधवार (जनवरी 27, 2020) को करीब 200 प्रदर्शकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करते हुए उन्हें हिरासत में लिया। मामले की बाबत दर्ज की गई 22 एफआईआर में पुलिस ने कम से कम 10 ऐसे किसान नेताओं का नाम जोड़ा है, जो लगातार प्रदर्शन का चेहरा बने हुए थे। इनमें योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत का भी नाम शामिल है।

समाचार एजेंसी ANI के अनुसार दिल्ली पुलिस की एफआईआर में किसान ट्रैक्टर रैली के संबंध में जारी एनओसी के उल्लंघन के लिए किसान नेताओं दर्शन पाल, राजिंदर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह बुर्जिल और जोगिंदर सिंह उग्राहाँ के नामों का जिक्र है।

पुलिसा का कहना है कि 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी हिंसा में घायल हुए। अधिकांश को आईटीओ और लाल किले पर दंगों में चोट आई। अब पुलिस इन किसान नेताओं को पूछताछ के लिए समन भेजेगी। सुप्रीम कोर्ट में भी इस संबंध में याचिका दर्ज हुई है। इसमें हिंसा की जाँच और घटना के लिए जिम्मेदार प्रत्येक व्यक्ति व संगठन के ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग है।

जानकारी के अनुसार, लाल किले पर मचे हुड़दंग के बाद राष्ट्रीय राजधानी की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। खासकर लाल किला और किसान आंदोलन साइट पर अतिरिक्त पैरामिलिट्री फोर्स तैनात हुई है।

वरिष्ठ पुलिस ने किसान नेताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानकारी देते हुए कहा, “हम पहले ही 200 प्रदर्शनकारियों को, दंगे करने, सार्वजनिक संपत्तियों के नुकसान पहुँचानेऔर पुलिस कर्मियों पर हमला करने के लिए हिरासत में ले चुके हैं।”

पुलिस ने कहा, “हम अच्छे से सत्यापन करने के बाद गिरफ्तारी कर रहे हैं। हम लाल किला, आईटीओ, नांगलोई और अन्य क्षेत्रों में सीसीटीवी भी देख रहे हैं, जहाँ हिंसा भड़की थी।” पुलिस ने दिल्ली वेस्टर्न ज़ोन में 93 लोगों को गिरफ्तार भी किया है।

लाल किले पर हुई हिंसा के संबंध में पुलिस ने आरोपितों के विरुद्ध IPC की धारा 395 (डकैती), 397 (लूट या डकैती, मारने या चोट पहुँचाने की कोशिश), 120बी (आपराधिक साजिश की सजा) और अन्य धाराओं के तहत FIR दर्ज की है।

यहाँ बता दें कि केंद्र सरकार के साथ 11 दौर की बैठक के बावजूद अपनी जिद पर अड़े रहने वाले किसानों ने कल दिल्ली में जमकर उत्पात मचाया था। इस दौरान कई संख्या में पुलिस वाले घायल हुए थे। एक प्रदर्शनकारी की तो अपने ही ट्रैक्टर के पलट जाने से मौत भी हुई। वही बड़ी संख्या में सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुँचाया गया।

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