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कॉन्ग्रेस नेता के पास 10 लाख की गाड़ी, 15 लाख का सोना… घर में शौचालय नहीं: नामांकन हो गया रद्द

अहमदाबाद। गुजरात के अहमदाबाद में एक कॉन्ग्रेस उम्मीदवार का नामांकन इसलिए रद्द कर दिया गया क्योंकि उनके घर में शौचालय नहीं था। चौंकाने वाली बात तो यह है कि महिला उम्मीदवार के पास 15 लाख रुपए का सोना, नरोदा में एक फ्लैट है और 10 लाख रुपए की एसयूवी भी है… लेकिन उनके घर में शौचालय नहीं है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मामला अहमदाबाद जिला पंचायत के लिए सिंगरवा सीट का है। कॉन्ग्रेस की उम्मीदवार कृना पटेल ने पंचायत चुनाव के लिए सोमवार को अपना नामांकन दाखिल करने पहुँचीं थीं, लेकिन घर में टॉयलेट (Toilet) न होने की वजह से उनका नामांकन रद्द कर दिया गया। कॉन्ग्रेस नेता अब पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकती क्योंकि कंभा गाँव स्थित उनके घर में टॉयलेट नहीं है।

जानकारी के मुताबिक, कृना पटेल के नॉमिनेशन फॉर्म की जाँच करने के दौरान बीजेपी उम्मीदवार ने उनके हलफनामे को लेकर आपत्ति जताई थी। प्रतिद्वंद्वियों का कहना था कि कॉन्ग्रेस प्रत्याशी ने अपने एफिडेविट में झूठ बोला है कि कंभा गाँव में उनके घर में टॉयलेट है।

दरअसल, 47 वर्षीय कृना पटेल ने उसी गाँव से अपना नॉमिनेशन फाइल किया था, जिसको लेकर दस्करोई के रिटर्निंग ऑफिसर कोमल पटेल ने बताया कि बीजेपी के एक सदस्य ने कॉन्ग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। जिसको गंभीरता से लेते हुए इस मामले की जाँच की गई।

कोमल ने बताया, “कृना ने शपथ में घोषणा की थी कि उसके घर पर शौचालय है, मैंने उससे पूछा कि क्या वह सही बोल रही हैं। इससे वह चिंतित हो गई और उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। एक कॉन्ग्रेसी नेता भी उनके साथ मौजूद थे। कॉन्ग्रेस नेता ने जब उनसे पूछा कि क्या उनके घर पर शौचालय है। फिर उन्होंने कहा कि उनके कंभा स्थित घर में शौचालय नहीं है।”

वहीं इस मामले को कृना ने भी स्वीकार किया कि उनके घर में शौचालय नहीं है। एसडीएम ने कहा, “हमने उनसे यह बात लिखित रूप में देने के लिए कहा। कृना से लिखित लेने के बाद उनका नामांकन अस्वीकार कर दिया गया।”

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जमा किए गए एफिडेविट में उल्लेख है कि कृना ने बारहवीं कक्षा पास की है। क्रीना पटेल के पास एक फ्लैट, 15 लाख रुपए का सोना, 10 लाख रुपए की एसयूवी कार है।

मात्र चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरे जाने को लेकर बीजेपी ने कॉन्ग्रेस उम्मीदवार पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि वह रहती तो नरोदा में थीं, लेकिन कागज पर कंभा की रहने वाली थी। इसलिए उन्होंने कभी भी अपने गाँव के घर में शौचालय बनवाना जरूरी नहीं समझा।

गौरतलब है कि गुजरात सरकार ने अक्टूबर 2017 में दावा किया था कि उनके सभी गाँव अब खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। केंद्रीय पीने के पानी और सेनिटाइजेशन मंत्रालय के आँकड़ों के मुताबिक 92.46 फीसदी गाँवों को खुले में शौच मक्त घोषित किया गया था। 15842 गाँव में से 14,647 गाँव को खुले में शौच से मुक्त सत्यापित किया गया था।

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