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पैगंबर मोहम्मद का फोटो दिखाया, BBC हिंदी ने माँगी माफी: मजहबी संगठन ने धमकाया, खौफ या पत्रकारिता?

मुस्लिम संगठन रजा अकादमी (Raza academy) की आपत्ति के बाद बीबीसी हिंदी (BBC) ने अपने यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज से एक ऐसे वीडियो को डिलीट कर दिया है, जिसमें BBC द्वारा कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद का चित्र दिखाया गया था। BBC ने अपनी इस ‘भूल’ के लिए इस मजहबी संगठन से बाकायदा माफ़ी भी माँगी है। बीबीसी के इस वीडियो का शीर्षक था- “पाकिस्तान के इस कदम से अहमदिया मुस्लिमों में डर किसलिए है?”


TOI Noida/Ghaziabad edition, date 18 Feb, page 13

दरअसल, मुंबई स्थित मुस्लिम संगठन ने बीबीसी हिंदी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। तहफ़ुज़ ए नामूस ए रिसालत (टीएनआर) बोर्ड के नेताओं ने मुंबई के पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह से मुलाकात की और सोशल मीडिया पर पैगंबर मुहम्मद को चित्रित करने के लिए बीबीसी हिंदी समाचार के खिलाफ कार्रवाई की माँग की।

मुंबई पुलिस को सौंपे इस ज्ञापन में TNR बोर्ड के अध्यक्ष हज़रत सईद मोईन मिया ने लिखा कि बीबीसी हिंदी समाचार को अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल से पैगंबर मोहम्मद के चित्र वाला ये वीडियो हटाना होगा और मुस्लिमों से माफी माँगनी होगी। उन्होंने आगे लिखा है कि बीबीसी हिंदी समाचार को मुस्लिम समुदाय को भविष्य में इस तरह के कृत्यों से बचना होगा।

मजहबी संगठन का कहना है कि इस वीडियो में बीबीसी द्वारा एक चित्र दिखाया गया है और उसमें इसका नाम पैगम्बर मोहम्मद बताया है, जबकि यह इस्लाम के अनुसार ईशनिंदा है। टीएनआर नेताओं ने कमिश्नर परमबीर सिंह से शिकायत पर कड़ी कार्रवाई करने के साथ ही इन लिंक और यूआरएल को जल्द से जल्द ब्लॉक करने का भी अनुरोध किया।

आमदार नारायण वाघ (@MLANarayanWagh) नाम के ट्विटर यूजर ने तमाम स्क्रीनशॉट के साथ ही एक यूट्यूब वीडियो की लिंक भी शेयर की है। इस यूट्यूब वीडियो में दावा किया गया है कि यह संगठन की आपत्ति के बाद बीबीसी हिंदी द्वारा टीएनआर नेता मोहम्मद सईद नूरी के साथ बातचीत की कॉल रिकॉर्डिंग है।

इस वीडियो में एक ओर से एक व्यक्ति, जो कि बीबीसी का सीनियर जर्नलिस्ट होने का दावा किया है, कहते हैं, “मैं इकबाल अहमद बीबीसी न्यूज़ हिंदी से। मेरे दोस्त ने आपसे बात की होगी। मैं खुद अभी छुट्टी पर हूँ, मेरे वालिद की बरसी है। लेकिन मुझे खबर मिली है। हम बीबीसी की तरफ से बहुत शर्मिंदा हैं, हम लोगों की तरफ से गलती हुई है। क्या है, कैसा है.. ये लंदन से मामला है। हम भी कलमागोह हैं, गलती पर हम लोग बिलकुल जाँच करवा रहे हैं। आपसे गुजारिश है कि आपके जो भी ऐतराज हैं, हम शत प्रतिशत अपनी गलती मानते हैं। हम इस वीडियो को हटवा भी रहे हैं। और लंदन से जैसे ही वो लोग आ जाएँगे, उसके बाद वहाँ से वो चीजें हटा ली जाएँगी। ऐसी कोई मंशा नहीं थी। वो किसी इंसान की बेवकूफी हो सकती है। मैं आपसे छोटा हूँ, इस मामले को रफा-दफा करा दिए जाए। कैसे भी इस बात को खत्म कर दिया जाए। और सबसे बड़ी बात कि गलती हुई है।”

दूसरी ओर से आवाज आती है, “हमारा प्रोग्राम था बीबीसी ऑफिस जाने का लेकिन आप कह रहे हैं कि दो-चार घंटे में वीडियो हट जाएगा….”

इस पर पहला व्यक्ति कहता है, “मैं खुद उसी संस्था से जुड़ा हूँ। मेरे वालिद की बरसी है। मुझे उठाया गया कि आप हमारी तरफ से बात कीजिए। वीडियो बिलकुल हट जाएगा। ये लंदन का ममला है, वक्त का फासला है और कुछ नहीं। चार-पाँच घंटे का समय लगेगा, लेकिन हटा दिया जाएगा। किसी स्टाफ की गलती से ये हो गया। हम ये अभी करवा देते हैं।”

इसके बाद सोशल मीडिया पर बीबीसी का ये वीडियो अब नजर नहीं आ रहा है। वीडियो की यूट्यूब लिंक पर भी यही सन्देश नजर आ रहा है कि ये वीडियो अब उपलब्ध नहीं है। हालाँकि, सोशल मीडिया पर जिन लोगों द्वारा यह वीडियो शेयर किया गया था, वो ट्वीट अब भी ट्विटर पर मौजूद हैं।

बीबीसी की वेबसाइट पर यह रिपोर्ट अभी भी मौजूद है। इसका यह भी कारण हो सकता है कि मजहबी संगठन की आपत्ति सिर्फ वीडियो में पैगम्बर मोहम्मद के चित्र को दिखाए जाने को लेकर थी।

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