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चीन ने गलवान में मारे गए अपने 4 सैनिकों को किया सम्मानित, AltNews का प्रोपेगेंडा फैक्ट चेक फिर साबित हुआ फर्जी

नई दिल्ली। गलवान घाटी में 15 जून 2020 की रात भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई, क्योंकि चीन ने पूर्वी लद्दाख में यथास्थिति को बदलने की कोशिश करते हुए गलवान घाटी में घुसपैठ की थी। इस हिंसक झड़प में जहाँ 20 भारतीय सैनिक बलिदान हुए, वहीं हमारे सैनिकों ने चीन को खदेड़ते हुए उनके 43 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था।

हिंसक झड़प के बाद चीन ने अपने सैनिकों के हताहत होने का कोई आँकड़ा जारी नहीं किया था। इसके अलावा मामले में सामने आई रिपोर्टों का भी खंडन किया था। हालाँकि, अब खबर सामने आई है कि चीन ने बाद में झड़प में मारे गए 4 सैनिकों के परिवारों को सम्मानित किया है।

चीन की स्टेट मीडिया पीपुल्स डेली ने आज बताया कि चार चीनी सैनिक, जोकि पिछले साल जून में भारत मे हुए हिंसक झड़प के दौरान शहीद हुए थे, उन्हें मरणोपरांत मानद उपाधियों और प्रथम श्रेणी के योग्यता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। एक कर्नल, जिन्होंने उनका नेतृत्व किया और गंभीर रूप से घायल हो गए, उन्हें भी मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।

चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, सेंट्रल मिलिट्री कमीशन ने पीएलए शिनजियांग मिलिट्री कमांड के रेजिमेंटल कमांडर, Qi Fabao को सीमा की रक्षा के लिए वीर रेजिमेंटल कमांडर का टाइटल, चेन होंगज़ुन को बॉर्डर की रक्षा करने के लिए हीरो और चेन जियानग्रोंग, जिओ सियुआन और वांग ज़ुओरन को प्रथम श्रेणी की योग्यता से सम्मानित किया गया है।

गौरतलब है कि यह पहली बार है जब चीन ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है कि भारत के साथ गलवान हुए टकराव के दौरान उनके सैनिक भी हताहत हुए थे। दुनिया के सामने सच को नकारने वाले चीन ने केवल चार ही सैनिकों को लेकर सूचना दी है, हालाँकि, यह बात किसी से छुपी नहीं है कि इस झड़प में 43 से ज्यादा चीनी सैनिक हताहत हुए थे।

बता दें, चीन की तरफ से आधिकारिक नाम आने से पहले चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, वीबो पर अगस्त 2020 में, झड़प में मारे गए चेन सियानग्रोंग (Chen Xiangrong) के एक चीनी सैनिक की एक मकबरे की तस्वीर वायरल हुई थी।

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक चीनी विशेषज्ञ एम टेलर फेयलर के अनुसार, गलवान घाटी में एक चीनी सैनिक की कब्र का चित्र चीन में एक सैन्य मंच पर साझा किया गया था, जिसमें मारे गए सैनिक के बारे में बताया गया था, उसकी पहचान चीनी सैनिक चेन सियानग्रोंग के रूप में हुई थी।

उल्लेखनीय है कि चीन द्वारा सम्मानित किए गए 4 सैनिकों में से एक चेन सियानग्रोंग भी है, जिसका उल्लेख मकबरे के एपिटाफ में किया गया था। और उसकी एक तस्वीर अगस्त 2020 में वायरल हो गई थी।

वहीं अब चीन के मारे गए सैनिकों को सम्मानित करने और उनके नाम सार्वजनिक करने के बाद यह सच्चाई सामने आ गई है कि अगस्त 2020 में वायरल हुई यह तस्वीर और व्यापक रूप से भारतीय मीडिया के एक वर्ग द्वारा रिपोर्ट की गई खबर, जिसमें ऑपइंडिया भी शामिल था, वास्तव में बिल्कुल सही और सटीक थी।

चीन के झूठ के विपरीत कब्र की तस्वीर एक सबूत है, हालाँकि इसके बावजूद कई भारतीय मीडिया प्लेटफॉर्म और ड्रैगन के प्रति सहानुभूति रखने वाले लोग गलवान घाटी में हुए झड़प के बाद चीन के वाहवाही करने में जुट गए थे और साथ ही देश को बदनाम करने की पूरी कोशिश कर रहे थे। इसके अलावा वायरल हुई तस्वीर को फेक बताने पर तूल गए थे।

स्व-घोषित फैक्ट-चेकर्स प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद जुबैर का पोर्टल AltNews भी एकतरफा मीडिया की इस रेस में शामिल था।

उस दौरान तस्वीर वायरल होने के ठीक बाद AltNews ने उन सैनिकों की कब्रों का फैक्ट चेक किया था, जो गलवान घाटी संघर्ष के दौरान मारे गए थे। लेख की हेडलाइन में लिखा है, “इंडिया टुडे ग्रुप, टाइम्स नाउ ने पीएलए कब्रिस्तान की पुरानी तस्वीरों को गलवान में मारे गए चीनी सैनिकों की कब्रों के रूप में दिखाया है।” और इस लेख को प्रतीक सिन्हा, मोहम्मद जुबैर और उनके एक अन्य प्रोपेगेंडाबाज ने लिखा था।

पत्रकार सुशांत सिन्हा के हवाले से ट्विटर पर मोहम्मद ज़ुबैर ने इस लेख को डाला था, जिन्होंने अपने ट्वीट में दो तस्वीरें जोड़ी थीं। एक कब्रिस्तान और दूसरा जो किसी कब्र के रूप में दिखता था।


जुबैर ट्विटर

हालाँकि, ट्वीट में लगी तस्वीरों को देखते ही पता चल जाता है कि दोनों तस्वीरें फेंक है। मोहम्मद ज़ुबैर द्वारा लिखे गए लेख को देखते ही यह पता चलता है कैसे AltNews ने न केवल मकबरे की तस्वीर को बदनाम करने की कोशिश की, बल्कि इस तथ्य को भी मानने से इनकार कर दिया कि वास्तव में भारत के साथ गलवान घाटी में हुए संघर्ष के दौरान चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे।

वहीं मकबरे को लेकर ऑल्ट न्यूज़ ने अपने खबर में यूज़र गीता मोहन द्वारा किए गए एक ट्वीट को भी लगाया और मामले में खुद को बचाने की कोशिश की। ऑल्ट न्यूज़ ने लिखा सोशल मीडिया पर एक और तस्वीर वायरल हो रही है, हो सकता है कि यह हाल ही की हो, लेकिन वो ये बात कंफर्म नहीं कर पा रहे।


साभार: ऑल्ट न्यूज़

मात्र एक लाइन में बात को घुमाने की कोशिश करने के बाद उन्होंने एक अलग सेक्शन में इस बात को लेकर भी जिक्र किया कि कैसे सोशल मीडिया पर भ्रामक खबरे फैलाई जा रही हैं। उस सेक्शन में ऑल्ट न्यूज़ ने पत्रकार सुशांत सिन्हा का ट्वीट लगाया और इसे गलत सूचना बताया।

सुशांत सिन्हा के ट्वीट को लगाते हुए उन्होंने बस यह उल्लेख किया कि उसने कांग्सीवा युद्ध स्मारक की छवियों को पोस्ट करते हुए दावा किया है और वह गलत सूचना फैला रहे हैं।

गौरतलब है कि AltNews द्वारा किया गया यह पूरा फैक्ट- चेक पाठकों के मन में संदेह का बीज डालने की एक धूर्त कोशिश थी कि अगर पहली छवि युद्ध स्मारक के रूप में साबित होती है और गलवान घाटी के सैनिकों की नहीं, तो दूसरी छवि कब्र वाली भी फर्जी खबर होनी चाहिए और यह अल्ट्न्यूज़ द्वारा अक्सर की जाने वाली एक स्टैंडर्ड रणनीति है।

यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य है कि AltNews द्वारा यह एकमात्र किया गया फैक्ट चेक नहीं था, जिसने इस तथ्य को खारिज करने और अस्वीकार करने की कोशिश की कि गलवान में हुए झड़प में चीन के एक भी सैनिक हताहत नहीं हुए।

बता दें, गलवान घाटी में हुए हिंसक झड़प के एक दिन बाद ही ऑल्ट न्यूज़ इस खबर को अफवाह बताते हुए फैक्ट चेक किया कि गतिरोध के दौरान 5 चीनी सैनिक भारतीय सैनिकों द्वारा मार दिए गए थे।

चीनी राज्य प्रचार चैनल ग्लोबल टाइम्स के साथ मुख्य रिपोर्टर ने ट्वीट किया था कि गतिरोध के दौरान 5 चीनी सैनिक मारे गए और 11 घायल हुए थे। इस खबर को तब कई भारतीय पत्रकारों और मीडिया हाउसों ने चलाया था। यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि ये प्रारंभिक रिपोर्ट्स थीं और बाद में 43 सैनिकों के हताहत होने की रिपोर्ट आई थी।

वहीं ऑल्ट न्यूज़ द्वारा प्रकाशित एक दूसरे लेख को शीर्षक दिया गया , “भारत-चीन विवाद: 43 चीनी सैनिक मारे गए? मीडिया आउटलेट और पत्रकार का गुमराह करना”

जहाँ एक और ऑल्ट न्यूज़ फैक्ट-चेक ने 43 सैनिकों की मौत को फेक न्यूज़ बताया वहीं में एएनआई ने बताया कि झड़प में चीन के हताहतों की संख्या 43 थी, जिसमें मृत और घायल शामिल थे।

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