नई दिल्ली। पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में ही रहेगा। समाचार एजेंसी एएनआइ ने यह जानकारी दी है। एफएटीएफ ने कहा है कि पाकिस्तान को सभी नामित आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। साथ ही वित्तीय प्रतिबंधों के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में काम करना होगा। पेरिस स्थित वित्तीय कार्यबल (Financial Action Task Force, FATF) ने दो-टूक कहा कि पाकिस्तान की अदालतों को आतंकवाद में शामिल लोगों को कड़ी से कड़ी सजा देना चाहिए।
एफएटीएफ ने कहा कि पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित किए गए आतंकियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ प्रभावी और निर्णायक कार्रवाई करना चाहिए। मालूम हो कि FATF ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा था। साथ ही पाकिस्तान की सरकार को धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए अपनी ओर से सौंपी गई कार्ययोजना को लागू करने के लिए कहा था। हालांकि कोरोना महामारी के कारण यह समयसीमा बढ़ा दी गई थी।
पिछले साल अक्टूबर में आयोजित बैठक में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को फरवरी 2021 तक अपनी ‘ग्रे लिस्ट’ (FATF Grey List) में रखने का फैसला किया था। एफएटीएफ ने कहा था कि पाकिस्तान वैश्विक धनशोधन और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानी के 27 में से छह दायित्वों को पूरा करने में विफल रहा है। एफएटीएफ एक्शन प्वाइंट में भारत के दो सबसे वांछित आतंकियों मौलाना मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई किया जाना भी शामिल है।
मसूद अजहर जैश-ए मोहम्मद का प्रमुख है जबकि हाफिज सईद जमात-उद-दावा की कमान संभाल रहा है। पाकिस्तान इन दोनों आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई से बचता रहा है। वहीं भारत की ओर से बार बार इन आतंकियों को सौंपे जाने और कानून के कटघरे तक लाने की मांग की जाती रही है।
धनशोधन और आतंकी फंडिंग पर निगरानी करने वाली वैश्विक संस्था एफएटीएफ के पहले से ही ‘ग्रे लिस्ट’ से बाहर निकलने की उम्मीद नहीं थी। बीते दिनों समाचार एजेंसी पीटीआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कई देशों का मानना है कि पाकिस्तान एफएटीएफ द्वारा निर्धारित कार्ययोजना के सभी बिंदुओं का पूरी तरह से अनुपालन करने में विफल रहा है।
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