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यूपीः पूर्वांचल बना पॉलिटिक्स का पावर सेंटर, अखिलेश-प्रियंका के बाद नड्डा भी मैदान में

काशी में एक कार्यक्रम में जेपी नड्डा, सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए राजनीतिक दल अब अपनी जमीन मजबूत करने में जुट गए हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव तीन दिन पूर्वांचल में रहकर अपना राजनीतिक समीकरण साधते नजर आए तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी रविदास जयंती पर वाराणसी पहुंची थीं. वहीं, अखिलेश-प्रियंका की वापसी के दूसरे दिन रविवार को दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पूर्वांचल को सियासी तौर पर मजबूत बनाने की कवायद करते नजर आए.

पूर्वांचल साधने में जुटे बीजेपी दिग्गज

जेपी नड्डा ने अपने दौरे के पहले दिन वाराणसी के रोहनिया में बने बीजेपी के काशी क्षेत्र के नए कार्यालय का उद्घाटन किया. भाजपा का यह नया दफ्तर पूर्वांचल का सबसे बड़ा पार्टी का मुख्यालय है. इसके बाद जेपी नड्डा ने सीएम योगी आदित्यनाथ, यूपी प्रभारी राधा मोहन सिंह, स्मृति ईरानी और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह सहित तमाम दिग्गज नेताओं के साथ काशी क्षेत्र के सभी 16 जिलों के पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और विभिन्न सामाजिक वर्गों के प्रमुखों की बैठक कर पूर्वांचल के मुद्दों की थाह ली. नड्डा ने बैठक में ‘मेरा बूथ-सबसे मजबूत’ संकल्प को दोहराया और कहा कि मिशन 2022 के लिए अभी से हमें जमीनी रूप से काम करना होगा.

बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि पिछले 4 सालों में प्रदेश सरकार और 6 साल की केंद्र की मोदी सरकार ने जन कल्याणकारी नीतियों को लागू किया है. इससे शोषित, वंचित और निचले पायदान पर खड़े लोगों की जिंदगी में बलदाव आया है. अब कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि इन योजनाओं का घर-घर जाकर प्रचार-प्रसार करें. साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिन लोगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है. उनकी पहचान करें और उन्हें योजनाओं का लाभ दिलाएं. साथ ही लाभार्थियों के बारे में लोगों को बताएं कि कैसे सरकार की योजनाओं से उनके जीवन में बदलाव आया है.

दरअसल, पूर्वांचल की जंग फतह करने के बाद ही यूपी की सत्ता पर कोई पार्टी काबिज हो सकती है, क्योंकि सूबे की 33 फीसदी सीटें इसी इलाके की हैं. हालांकि, पिछले तीन दशक में पूर्वांचल का मतदाता कभी किसी एक पार्टी के साथ नहीं रहा. वह एक चुनाव के बाद दूसरे चुनाव में एक का साथ छोड़कर दूसरे का साथ पकड़ता रहा है. सपा 2012 और बसपा 2007 में पूर्वांचल में बढ़िया प्रदर्शन करने के बाद भी इस इलाके पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए नहीं रख सकी थी. 2017 में बीजेपी ने इस इलाके में क्लीन स्वीप किया था, लेकिन 2019 में चार लोकसभा सीटें गवां दी है और 2022 के लिए जिस तरह से विपक्ष पूर्वांचल में सक्रिय है, उसे लेकर बीजेपी भी अपने गढ़ को मजबूत करने में जुट गई है.

पूर्वांचल के 28 जिले की 164 सीटें आती हैं.

पूर्वांचल में 28 जिले आते हैं, जो सूबे की राजनीतिक दशा और दिशा तय करते हैं. इनमें वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, प्रयागराज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, संतकबीरनगर, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, चंदौली, अयोध्या, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, सुल्तानपुर, अमेठी, प्रतापगढ़, कौशांबी और अंबेडकरनगर जिले शामिल हैं. इन 28 जिलों में कुल 162 विधानसभा सीट शामिल हैं.

पूर्वांचल में हर चुनाव में बदलता मिजाज

बीजेपी ने 2017 के चुनाव में पूर्वांचल की 164 में से 115 सीट पर कब्जा जमाया था जबकि सपा ने 17, बसपा ने 14, कांग्रेस को 2 और अन्य को 16 सीटें मिली थी. ऐसे ही 2012 के चुनाव में सपा ने 102 सीटें जीती थीं जबकि बीजेपी को 17, बसपा को 22, कांग्रेस को 15 और अन्य को 8 सीटें मिली थीं. वहीं, 2007 में मायावती पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थी तो पूर्वांचल की अहम भूमिका रही थी. बसपा 85 सीटें जीतने में कामयाब रही थी जबकि सपा 48, बीजेपी 13, कांग्रेस 9 और अन्य को 4 सीटें मिली थी.

विपक्ष ने क्यों बनाया सियासी प्रयोगशाला

बीजेपी ने 2017 में पूर्वांचल की 28 जिलों की 164 विधानसभा सीट में से 115 सीट जीतकर भले ही रिकॉर्ड बनाया हो, लेकिन कई जिलों में पार्टी सपा से पीछे रह गई थी. बीजेपी आजमगढ़ की 10 में से सिर्फ एक सीट, जौनपुर की 9 में से 4, गाजीपुर की 7 में से 3, अंबेडकरनगर की पांच में से 2 और प्रतापगढ़ की 7 में से दो सीटें ही जीत सकी थी. इसीलिए बीजेपी पूर्वांचल पर खास फोकस कर रही है तो विपक्ष भी इसे अपनी सियासी प्रयोगशाला बनाने में जुट गया है

पूर्वांचल के सियासी ताकत और हर चुनाव में बदलते सियासी समीकरण को देखते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव की नजर पूर्वांचल पर है और उन्होंने इसी मद्देनजर तीन दिन का दौरा किया था, इस दौरान वह जौनपुर, मिर्जापुर और वाराणसी गए थे. पार्टी का प्रशिक्षण शिविर मिर्जापुर में किया था, जहां उन्होंने पार्टी नेताओं को 2022 में जीतने का मंत्र दिया, वहीं, कांग्रेस सोमवार से यानी आज से नदी अधिकार यात्रा इसी पूर्वांचल इलाके से शुरू कर रही है, जो प्रयागराज से शुरु होकर बलिया तक जाएगी. इस यात्रा में प्रियंका गांधी भी जुड़ेगीं. प्रियंका ने रविदास जयंती के मौके पर वाराणसी में रविदास मंदिर में जाकर पूजा की थी.

वहीं, योगी आदित्यनाथ खुद पूर्वांचल से हैं और 2017 के चुनाव में पूर्वांचल ने उन्हें गद्दी तक पहुंचाया है. बीजेपी इस बात को अच्छे से जानती है कि 2022 का विधानसभा चुनाव जीतना है तो पूर्वांचल को साधे रखना होगा. इसीलिए सीएम योगी पूर्वांचल की विकास योजनाओं को जल्द के जल्द जमीन पर उतारने के लिए एक्टिव हो गए हैं और अब जेपी नड्डा सहित तमाम बीजेपी नेता काशी में जुटे हैं, जो पार्टी के दुर्ग पूर्वांचल को सियासी तौर पर मजबूत रखने के लिए कवायद कर रहे हैं. ऐसे में देखना है कि पूर्वांचल के रण में कौन भारी पड़ता है?

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