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महाराष्ट्र से सिर्फ 12 दिन में 9 लाख+ लोगों का पलायन, 82000 करोड़ रुपए का घाटा: साल भर क्यों सोती रह गई ठाकरे सरकार?

मुंबई।  कोरोना महामारी से देश जूझ रहा है – यह सच्चाई है। सच लेकिन एक और भी है – राज्य सरकारों की निष्क्रियता। यह आरोप नहीं है – आँकड़े हैं। आँकड़े जो कोरोना महामारी से ज्यादा भयावह स्थिति की ओर देश को धकेलने का इशारा कर रहे हैं।

राज्य सरकारों ने कोरोना महामारी से निपटने में पिछले एक साल में जो निष्क्रियता दिखाई है, उसका परिणाम है पलायन। पलायन मजदूरों-कामगारों का। यह पलायन अकेले नहीं आया है। साथ लाया है बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ने वाले आँकड़े। SBI की 41 पन्नों की रिपोर्ट में इसका पूरा लेखा-जोखा है।

Thwarting the Second Wave: Rapid Vaccination should be the primary tool and not Lockdown नाम की इस रिपोर्ट में देश के हालात और आने वाली अर्थव्यवस्था को लेकर हर आँकड़े दिए गए हैं। इसके अनुसार 1,49,970 करोड़ रुपए का घाटा देश को अभी लगाए गए लॉकडॉउन (विभिन्न राज्यों के द्वारा) के कारण हो सकता है।

महाराष्ट्र को अकेले 81,672 करोड़ रुपए का घाटा

देश के विभिन्न राज्यों ने जो अभी तक लॉकडाउन लगाए हैं, उससे कुल 1,49,970 करोड़ रुपए के घाटे का अनुमान लगाया गया है। अकेले महाराष्ट्र की बात करें तो देश के कुल घाटे का 54% मतलब 81,672 करोड़ रुपए का वित्तीय घाटा यहाँ हो सकता है। रिपोर्ट में इस बात की भी चिंता जाहिर की गई है कि अगर महाराष्ट्र में और अधिक कड़ा या लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई गई तो घाटे का यह आँकड़ा और भी बढ़ सकता है।

SBI की रिपोर्ट के पेज 3 का स्क्रीनशॉट

महाराष्ट्र के बाद 21,712 करोड़ रुपए के साथ सबसे अधिक घाटा वाला राज्य मध्य प्रदेश होगा। दिल्ली के 6 दिनों के लॉकडाउन में इसे 5,178 करोड़ रुपए के घाटे का अनुमान लगाया गया है। हालाँकि इसके बाद केजरीवाल सरकार ने एक सप्ताह का और जो लॉकडाउन बढ़ाया है, उससे होने वाला घाटा इसमें शामिल नहीं है।

महाराष्ट्र से 12 दिनों में 9 लाख 2 हजार लोगों का पलायन

महाराष्ट्र देश की आर्थिक राजधानी है। यहीं सबसे कड़ा लॉकडाउन भी लगाया गया है। नतीजा सबके सामने है। पलायन चरम पर है। सिर्फ 1 से 12 अप्रैल के बीच महाराष्ट्र से 9,02,000 लोगों का पलायन हुआ है – यह आँकड़ा सिर्फ रेलवे का है।


SBI की रिपोर्ट के पेज 4 का स्क्रीनशॉ

वेस्टर्न रेलवे के आँकड़ों के अनुसार 4,32,000 लोग रेलगाड़ियों से उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, असम और ओडिशा की ओर लौटे हैं, इनमें उत्तर प्रदेश और बिहार के 3,23,000 लोग हैं। सेंट्रल रेलवे के आँकड़ों की बात करें तो 4,70,000 लोग महाराष्ट्र से उत्तरी और पूर्वी राज्यों की ओर लौट चुके हैं सिर्फ 12 दिनों में। सड़क से जो लोग लौटे होंगे, उनका सिर्फ अंदाजा लगाया जा सकता है।

लॉकडाउन की स्थिति क्यों?

कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए पहले फेज में जो निर्णायक कदम उठाए गए थे, उसके रिजल्ट बाकी दुनिया से बेहतर थे। इसके विपरीत दूसरे फेज में बाकी दुनिया के देशों ने अच्छा प्रदर्शन किया। यहीं पर भारत की विभिन्न राज्य सरकारें मात खा गईं। साल 2021 में जनवरी के बाद अब तक जो 31 लाख कोरोना के मामले आए हैं, उसमें 52% अकेले महाराष्ट्र से हैं जबकि टॉप के 5 राज्यों को मिला दें तो देश के कुल संक्रमण का 75% इन्हीं से है।


SBI की रिपोर्ट के पेज 38 का स्क्रीनशॉट

देश के सबसे ज्यादा संक्रमित 15 जिलों (13 शहरी, 2 ग्रामीण) में से 6 महाराष्ट्र से हैं और 3 छत्तीसगढ़ से। अगर सिर्फ सबसे ज्यादा ग्रामीण जिलों (देश में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण से प्रभावित) की बात करें तो इनमें 9 महाराष्ट्र से हैं, जबकि 3 छत्तीसगढ़ से।

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