Tuesday , April 23 2024

भोपाल गैस त्रासदी पर ध्यान देने के बजाय राजीव गाँधी थे PMO के सौंदर्यीकरण में व्यस्त, ‘कॉन्ग्रेस वैनिटी प्रोजेक्ट’ का खुलासा

नई दिल्ली। भारत के सातवें प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की 30वीं पुण्यतिथि (21 मई 2021) के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए अनगिनत लेख लिखे गए। इन्ही में से एक ‘द वीक’ में सुनीता कोहली का लेख प्रकाशित हुआ। लेख में कई बड़े खुलासे किए गए हैं। इसके मुताबिक, राजीव गाँधी ने भोपाल गैस त्रासदी के कुछ महीने बाद ही अपने वैनिटी प्रोजेक्ट के तहत पीएमओ का सौंदर्यीकरण करवाया था।

सुनीता कोहली ने कथित तौर पर राजीव गाँधी के साथ कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया है। इनमें साउथ ब्लॉक में प्रधानमंत्री सचिवालय का पुनर्निर्माण, संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, हैदराबाद हाउस, पंचशील भवन, जवाहर भवन और दो आधिकारिक बोइंग विमान के अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट मीटिंग रूम की परियोजनाओं पर भी काम किया है। हालाँकि, इन दिनों प्रधानमंत्री कार्यालय का सौंदर्यीकरण सुर्खियों में है, क्योंकि यह राजीव गाँधी के प्रधानमंत्री बनने के कुछ महीने बाद और भोपाल गैस त्रासदी की अनदेखी कर तैयार किया गया था।

लेखिका के अनुसार, राजीव गाँधी के साथ उन्होंने जो सबसे महत्वपूर्ण काम किया, वह 1985 में साउथ ब्लॉक में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और सचिवालय के पुर्निर्माण और सौंदर्यीकरण का था, जिस पर पूर्व पीएम विशेष ध्यान दे रहे थे। हर्बर्ट बेकर (9 जून 1862–4 फरवरी 1946) एक ब्रिटिश शिल्पकार था। इसे ही सचिवालय के सौंदर्यीकरण का दायित्व सौंपा गया था। प्रधानमंत्री कार्यालय को नया रूप देने में उस समय करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे, जबकि भोपाल गैस त्रासदी में जान गँवाने वालों के परिवार वालों और इससे प्रभावित लोगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था। हालाँकि, जितने रुपए राजीव गाँधी ने अपनी आत्मसंतुष्टि के लिए PMO को डिजाइन करने में खर्च किए उसका आधा भी उन्होंने उन मासूमों पर खर्चा करना जरुरी नहीं समझा, जो इस दुनिया में अपने आपको बेबस और लाचार समझ रहे थे।

पीएमओ में आए बदलाव पर कोहली लिखती हैं, ”प्रधानमंत्री ने अपने कमरे को पूरी तरह से नया कर दिया था। कमरा काफी सुंदर और डिजाइन किया हुआ लग रहा था, लेकिन अब इसमें पहले वाली बात नहीं थी। इस कार्यालय के लिए फर्नीचर के सभी आइटम कस्टम-डिजाइन किए गए थे। एक नई डेस्क का निर्माण किया गया था, जैसा कि पहले 1950 में पंडित जवाहरलाल नेहरू के लिए तीन मूर्ति भवन में बनाया गया था, हालाँकि बाद में इसे संग्रहालय में बदल दिया गया था। अब इंदिरा गाँधी द्वारा इस्तेमाल की गई इसकी प्रतिकृति अब प्रधानमंत्री के कार्यालय में थी।”

गौरतलब है कि 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के बाद एंडरसन के अमेरिका जाने के पीछे राजीव गाँधी का हाथ बताया जाता है। कहा जाता है तत्कालीन पीएम राजीव गाँधी के इशारे पर राज्य के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने उनकी देश छोड़कर जाने में मदद की थी। एंडरसन को सरकारी प्लेन से कड़ी सुरक्षा के बीच भोपाल से दिल्ली पहुँचाया गया था, जिसके बाद वो अमेरिका वापस चला गया और कभी भारत लौट कर नहीं आया।

आधिकारिक तौर पर इस हादसे में 3,787 लोगों के मरने की बात कही गई, लेकिन कई मीडिया रिपोर्टों में यह संख्या 20-25 हजार बताई जाती है। पीड़ितों के संगठन की याचिका पर सुनवाई करते हुए 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि 15,274 लोगों की मौत हुई और 5,74,000 लोग बीमार हुए थे।

बता दें कि साल 2019 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलीला मैदान की रैली में यह जानकारी दी कि भारत के मुख्य युद्धपोत आईएनएस विराट का इस्तेमाल राजीव गाँधी ने अपने निजी मनोरंजन और छुट्टियों के लिए किया तो यह बात बहुत लोगों को एक जुमला लगी थी। हालाँकि, भाषण के थोड़ी देर बाद ही में इंटरनेट पर इंडिया टुडे की एक स्टोरी शेयर की गई थी, जिसमें राजीव गाँधी के कथित मनोरंजक छुट्टियों की पूरी जानकारी विस्तृत रूप से दी गई थी।

इंडिया टुडे मैगजीन की जनवरी 31, 1988 की एक रिपोर्ट के अनुसार, अनिता प्रताप ने इस पूरे ‘हॉलीडे’ का ब्यौरा दिया था। उन्होंने लिखा था कि राजीव गाँधी की पूरी कोशिश थी कि प्रेस उनसे दूर रहे, लेकिन इंडियन एक्सप्रेस एवं बाकी मीडिया के फोटोग्राफ़र ने उनकी कई तस्वीरें निकाल लीं। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय नौसेना के युद्धपोत का इस्तेमाल हुआ, जो कि आश्चर्यजनक बात है।

द्वीप का वह छोटा हिस्सा 26 दिसंबर 1987 को तब सुर्खियों में आया, जब राजीव के बेटे राहुल गाँधी ने यहाँ अपने चार दोस्तों के साथ नारंगी और सफेद रंग की लक्षद्वीप प्रशासन के हेलीकॉप्टर से उड़ान भरी। मेहमानों की सूची में राहुल और प्रियंका के चार दोस्त, सोनिया गाँधी की बहन, बहनोई और उनकी बेटी, उनकी विधवा माँ आर. मैनो, उनके भाई और एक मामा शामिल थे।

साहसी पत्रकारिता को सपोर्ट करें,
आई वॉच इंडिया के संचालन में सहयोग करें। देश के बड़े मीडिया नेटवर्क को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर इन्हें ख़ूब फ़ंडिग मिलती है। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें।

About I watch