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बहुत खतरनाक होगी कोरोना की तीसरी लहर

लखनऊ। भारत में कोरोना की दूसरी लहर अब धीमी पड़ती जा रही है लेकिन तीसरी लहर का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। एक स्टडी ने चेताया गया है कि भारत में कोरोना की संभावित तीसरी लहर उतनी ही खतरनाक होगी जितनी दूसरी लहर है। इस स्टडी में अनुमान जताया गया है कि तीसरी लहर 98 दिन तक चल सकती है। भारत की तरह यूनाइटेड किंगडम और साउथ अफ्रीका समेत कई देशों में कोरोना की तीसरी लहर की चेतवानी दी गयी है। यूके में तो बताया जा रहा है कि तीसरी लहर आ भी चुकी है और मामले बढ़ने लगे हैं।

एसबीआई इकोरैप की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना की तीसरी लहर का प्रभाव दूसरी लहर से ज्यादा अलग नहीं होगा और नई लहर उतनी ही संक्रामक और मारक होगी। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि कोरोना से निपटने की बेहतर तैयारी और व्यापक वैक्सीनेशन करके तीसरी लहर में मौतों को कम किया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के टॉप देशों में कोरोना की तीसरी लहर औसतन 98 दिन चली है, जबकि दूसरी लहर 108 दिन चली। कई वैज्ञानिकों ने भी तीसरी लहर की चेतावनी दी है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, तीसरी लहर में गंभीर मामलों को 5 फीसदी के अंदर लाकर कुल मौतों को कम करके 40 हजार तक लाया जा सकता है। जबकि दूसरी लहर में गंभीर मामले 20 फीसदी थे, जिससे अब तक 1.7 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। गौरतलब है कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने भारी तबाही मचाई है। दूसरी लहर में प्रतिदिन नए संक्रमण के मामले 4.14 लाख तक पहुंच गए थे। अकेले मई के महीने में कोरोना के 90.3 लाख नए मामले रिपोर्ट हुए, एक महीने में इतने ज्यादा नए कोरोना के केस अब तक किसी भी देश में नहीं रिपोर्ट किए गए हैं।

क्या है कोरोना की लहर

महामारी में लहर या वेव शब्द का इस्तेमाल वायरस के फैलाव के पैटर्न को दर्शाने के लिए किया जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पहले आई महामारियों में बीमारी लहर के रूप में आई थी। यानी प्रकोप महीनों तक बढ़ता घटता रहा। 1918 की स्पेनिश फ्लू महामारी ही कई लहरों के रूप में आई थी। चूँकि पहले आई महामारियों का बहुत रिकार्ड या रिसर्च नहीं है सो जो कुछ भी सीमित जानकारी है उसके आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि कोरोना महामारी भी ऊपर नीचे होती रहेगी।

भारत में अभी तक कोरोना महामारी की दो लहरें आई हैं। पिछले साल सितम्बर में सर्वाधिक 97 हजार संक्रमण प्रतिदिन रिकार्ड किये गए। उसके बाद महामारी उतार पर आ गयी और सब कुछ सामान्य दिखने लगा। लेकिन इस साल अप्रैल में फिर बीमारी का ग्राफ बहुत तेजी से बढ़ा और उसने व्यापक तबाही मचा दी। ऐसा ही पैटर्न कई देशों में देखा जा चुका है। मिसाल के तौर पर अमेरिका में अब तक कोरोना महामारी की तीन लहरें आ चुकी हैं। हर लहर पहले वाली से ज्यादा घातक और मारक साबित हुई। अमेरिका में इस साल जनवरी में सबसे ज्यादा संक्रमण – 3 लाख प्रतिदिन रिकार्ड किये गए।

लेकिन महामारी पूरे देश में एक समान रूप से नहीं फैलती। भारत में ही दिल्ली में चार लहरें आ चुकी हैं। कोई भी लहर कितनों को अपनी चपेट में लेगी ये इस बात पर निर्भर करता है कि कितने लोग सुरक्षा कवच से बाहर हैं। सुरक्षा कवच यानी इम्यूनिटी। जितने ज्यादा लोग वैक्सीन पाएंगे उतने लोग सुरक्षा कवच में आ जायेंगे। सो अगली लहर का प्रकोप सुरक्षा कवच से बाहर रह गए लोगों की तादाद पर निर्भर करेगा। जहाँ तक वायरस की बात है तो वह लगातार म्यूटेट हो रहा है। उसे जब असुरक्षित लोग मिलेंगे वह उनको झट अपनी गिरफ्त में ले लेगा।

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