मुंबई। शिवसेना संस्थापक बालासाहब ठाकरे के जीवन पर मराठी में बनी फिल्म ‘बालकाडु’ की निर्माता डॉक्टर स्वप्ना पाटकर को मुंबई पुलिस ने मंगलवार (8 जून 2021) को गिरफ्तार किया। यह फिल्म 2015 में रिलीज हुई थी और पाटकर हाल में शिवसेना सांसद संजय राउत पर प्रताड़ना का आरोप लगाने को लेकर चर्चा में रही हैं।
39 वर्षीय पाटकर को क्लिनिकल साइकोलॉजी में पीएचडी की फर्जी डिग्री हासिल कर एक अस्पताल में नौकरी हासिल करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। रिपोर्ट में एक पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि 26 मई को मुंबई के बांद्रा थाना में आईपीसी की धारा 419 (भेष बदलकर धोखाधड़ी), 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी) और 468 (धोखाधड़ी के मकसद से जालसाजी) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। 51 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता गुरदीप कौर सिंह ने अप्रैल में एक सीलबंद लिफाफे में पाटकर की पीएचडी डिग्री से संबंधित दस्तावेजों का एक सेट एक गुमनाम स्रोत से प्राप्त करने के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।
दस्तावेजों के अनुसार 2009 में छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा जारी किया गया पाटकर का पीएचडी प्रमाणपत्र वास्तव में फर्जी है। इससे पहले पाटकर की वकील आभा सिंह ने बताया था कि पुलिस बिना समन उन्हें उनके घर से उठा ले गई और एफआईआर की कॉपी तक नहीं दी। पाटकर ने राउत के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में स्टॉकिंग का मामला दर्ज कर रखा है।
पिछले दिनों राउत ने मुंबई के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में एक मामला दायर किया था। इसमें ट्विटर इंडिया और गूगल इंडिया को उन सभी ट्वीट और अन्य डिजिटल सामग्रियों को हटाने के लिए निर्देश देने की गुहार लगाई थी, जिसमें मराठी फिल्म निर्माता ने उनके खिलाफ आरोप लगाए हैं।
शिकायत में राउत ने दावा किया था कि उन पर किए गए ट्वीट भ्रामक हैं और देश की ‘शांति और सद्भाव को नुकसान’ पहुँचा सकते हैं। यह दावा करते हुए कि ट्वीट्स अपमानजनक हैं और पाटकर के ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक किया जाना चाहिए, राउत ने कहा था कि यह आरोप ‘भारत और विशेष रूप से महाराष्ट्र राज्य में राजनीतिक और सामुदायिक समूहों के बीच भेदभाव पैदा कर सकते हैं।’
गौरतलब है कि इसी साल अप्रैल में पाटकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर न्याय की गुहार लगाई थी। उन्होंने खुद को एक शिक्षित और सबल भारतीय महिला बताते हुए पत्र में लिखा था कि उन्हें सहानुभूति नहीं, इंसाफ चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया था कि शिवसेना मुखपत्र ‘सामना’ के सह-संपादक संजय राउत पिछले 8 वर्षों से अपनी पार्टी के रुतबे और सिस्टम पर पकड़ का इस्तेमाल कर न सिर्फ उन्हें गालियाँ दे रहे हैं, बल्कि उनके परिवार और रिश्तेदारों को भी प्रताड़ित कर रहे हैं।
पाटकर ने बताया था कि राउत के इशारे पर पुलिस ने उन पर ‘धंधा करने’ का आरोप भी लगाया था। उन्होंने कहा था कि 2017 में खुद संजय राउत ने फोन पर धमकी दी और 2018 में कॉन्ट्रैक्ट पर आदमी रख कर उनका पीछा कराया गया। बकौल स्वप्ना, उनके सोशल मीडिया हैंडल्स को हैक कर कभी सुसाइड नोट तो कभी अश्लील सामग्रियाँ डाली गईं, लेकिन पुलिस ने साफ़ कह दिया कि संजय राउत के खिलाफ वो FIR दर्ज नहीं कर सकते।
पीएम को लिखे पत्र में कहा था कि ‘शिवसेना भवन’ की तीसरी मंजिल पर बुला कर उनके रिश्तेदारों से मारपीट की गई। उनसे संपर्क काटने को मजबूर किया गया। साथ ही सब ख़त्म करने के लिए 4 करोड़ रुपए की वसूली का प्रस्ताव रखने का आरोप भी लगाया गया था।
स्वप्ना ने पत्र में लिखा था, “पुलिस से पूछताछ करवा के भी जब संजय राउत की राक्षसी ख़ुशी को संतुष्टि नहीं मिलती तो मुझे परेशान, प्रताड़ित और बदनाम कर के मेरा चरित्र-हनन किया जाता है। वो कहते हैं कि पुलिस के पास जाओगी तो भी कुछ नहीं होगा। 2013 में मेरे ऊपर 2 बार हमला हुआ। जाँच अभी तक चल रही है। कोई आरोपित नहीं मिला। 2014 में ACP प्रफुल्ल भोंसले ने बिना कारण मेरे खिलाफ जाँच शुरू की। मुझ पर संजय राउत से फिरौती माँगने का आरोप लगाया गया। 2015 में मेरा पीछा करना शुरू किया गया। धमकियाँ मिलीं। मैं किससे बात करूँ और किससे नहीं, इस पर नियंत्रण करने की कोशिश की गई। मैं कहाँ जा रही हूँ, क्या कर रही हूँ – संजय राउत का सब पर ध्यान रहता था। मुझे रोज ईमेल भेज कर बताना होता था कि मैं कहाँ गई और किससे मिली। बात न मानने पर पुलिस का नया मामला बन जाता था।”