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LJP में किसकी चलेगी? पशुपति ने अध्यक्ष पद से हटाया तो चिराग ने पांचों सांसदों को निलंबित किया

पटना। लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में घमासान जारी है. LJP में किसकी चलेगी, फिलहाल ये स्पष्ट होता नहींं दिख रहा है. मंगलवार को चिराग पासवान को संसदीय दल के नेता के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से भी हटा दिया गया.

चाचा पशुपति कुमार पारस समर्थित नेताओं ने LJP संविधान का हवाला देते हुए चिराग को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाया. उनका कहना था कि चिराग तीन-तीन पदों पर एक साथ काबिज थे.

वहीं, शाम को चिराग पासवान ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई और पांचों सांसदों को निलंबित कर दिया. बैठक से पहले पटना में चिराग के समर्थकों ने चाचा पशुपति कुमार पारस के खिलाफ नारेबाजी और हंगामा किया. समर्थकों ने पशुपति पारस समेत सभी 5 सांसदों और नीतीश कुमार की तस्वीरें भी जलाईं.

चिराग ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी के साथ की बैठक
चिराग ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी के साथ की बैठक

चिराग समर्थकों का आरोप है कि नीतीश कुमार ने LJP में टूट कराई है, वो सिर्फ चिराग को ही नेता मानते हैं. रामविलास पासवान ने पशुपति पारस को MLA-MP बनाया और उन्होंने उनके बेटे की पीठ में छुरा भोंका. अगर कोई नाराजगी थी तो चिराग से बात करनी चाहिए थी.

इस बैठक से पहले चिराग ने चाचा के नाम के नाम बेहद भावुक ट्वीट किया. उन्होंने कहा कि पापा की मौत के बाद आपके व्यवहार से टूट गया. मैं पार्टी और परिवार को साथ रखने में असफल रहा. चिराग एक पुराना पत्र भी ट्विटर पर शेयर किया है.

चिराग पासवान ने ट्वीट में लिखा- ”पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए किए मैंने प्रयास किया लेकिन असफल रहा. पार्टी मां के समान है और मां के साथ धोखा नहीं करना चाहिए. लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है. पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूं. एक पुराना पत्र साझा करता हूं.”

पटना पहुंचे महबूब अली कैसर, कहा- चिराग में अनुभव की कमी

LJP में हुए परिवर्तन को लेकर  सांसद चौधरी महबूब अली कैसर ने कहा कि बिहार चुनाव में चिराग ने बड़ी गलती की. एनडीए में रहते हुए JDU के विरोध में काम किया. इसी कारण हम लोगों ने नेतृत्व परिवर्तन का निर्णय लिया. चिराग में अनुभव की कमी है इसलिए हमने पशुपतिनाथ पारस का समर्थन किया.

कैसर ने कहा कि चिराग ने बिहार की राजनीति का नब्ज नहीं पकड़ा और बड़ी भूल की जिसका खामियाजा उन्हें और पूरी पार्टी को भुगतना पड़ा. चिराग पासवान को हमारी शुभकामनाएं हैं. इस परिस्थिति से निपट कर वे आगे बढ़ेंगे और एक बड़े नेता बनेंगे. ललन सिंह के मसले पर उन्होंने कहा कि ललन सिंह के कहने पर पार्टी में टूट नहीं हुई है.  हमारी मुलाकात ललन सिंह से वीणा सिंह के घर पर हुई थी. हम चाहते हैं चिराग पासवान हमारे साथ रहे.

चिराग के खिलाफ क्यों छिड़ी बगावत?

चिराग पासवान के खिलाफ पार्टी में इतनी बड़ी बगावत के पीछे कारण ये बताया जा रहा है कि वे पिता रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद से सारे फैसले खुद ही लेने लग गए थे. वे किसी भी सांसद या पार्टी के पदाधिकारी से कोई राय नहीं लेते थे. बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद चिराग पासवान ने एलजेपी के कई नेताओं से दूरी बना ली थी. इतना ही नहीं सांसदों से भी न के बराबर मिल रहे थे.

पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि चिराग पासवान हर फैसला राजनीतिक सलाहकार सौरव पांडेय की सलाह पर लेते थे. पार्टी सूत्रों की मानें तो सौरव पांडेय की सलाह पर ही एलजेपी ने बिहार में एनडीए से बाहर जाकर चुनाव लड़ा, जिसके नतीजे सबके सामने हैं.

पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी में किस को क्या जिम्मेदारी दी जाएगी और कौन सा नेता किस सीट से चुनाव लड़ेगा ये भी सौरव पांडेय तय करते थे. चिराग सिर्फ उन फैसलों पर मुहर लगाते थे.

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