Friday , November 22 2024

यूपी चुनाव से पहले राजा भैया और प्रमोद तिवारी आये साथ, नये सियासी समीकरण बनाने की कोशिश

लखनऊ। यूपी के जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में प्रतापगढ उन चुनिंदा सीटों में से एक है, जहां बीजेपी का अब तक खाता नहीं खुला है, वहीं 2010 का चुनाव छोड़ दें, तो 1995 से लेकर 4 बार जिला पंचायत के चुनाव में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का ही जादू चला है, सूबे में इस बार बीजेपी की सरकार होने के नाते पहली बार जिला पंचायत की कुर्सी पर कब्जा जमाने के लिये जोर आजमाइश कर रही है, जबकि सपा सबसे बड़ी पार्टी है, कांग्रेस किंगमेकर की भूमिका में है, ऐसे में प्रमोद तिवारी ने राजा भैया के साथ हाथ मिलाकर सपा और बीजेपी को रोकने ही नहीं बल्कि जिले में नई सियासी समीकरण बनाने के भी संकेत दे दिये हैं।

त्रिकोणीय मुकाबला

प्रतापगढ के जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी ने क्षमा सिंह, सपा ने अमरावती देवी को मैदान में उतारा है, वहीं राजा भैया ने अपनी जनसत्ता पार्टी से माधुरी पटेल को उम्मीदवार बनाया है, ऐसे में मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है, इन सबके बीच सबसे अहम भूमिका में जिले के कद्दावर कांग्रेसी नेता प्रमोद तिवारी आ गये हैं।

किसके कितने पंचायत सदस्य

जिला पंचायत के कुल 57 सदस्य हैं, जिसमें सबसे ज्यादा 17 सपा के हैं, जनसत्ता पार्टी के 11 सदस्य हैं, जबकि बीजेपी के सिर्फ 7 सदस्य जीते हैं, इसके अलावा 5 सदस्य कांग्रेस के जीते हैं, और 17 अन्य के खाते में हैं, अन्य में बसपा, निर्दलीय, आम आदमी पार्टी के सदस्य हैं, जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर कब्जा करने के लिये 29 सदस्यों के बहुमत की जरुरत है। बसपा ने पहले ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव से खुद को अलग कर लिया है, ऐसे में चुनाव से पहले सदस्यों को अपने पाले में लाने के लिये सियासी दिग्गजों में खींचतान मची है, प्रमोद तिवारी ने कांग्रेस के साथ-साथ निर्दलीय सदस्यों में से 7 को अपने साथ मिला लिया है, जिसकी वजह से अब उनके पास कुल संख्या 12 हो गई है, जिला पंचायत पर काबिज होने के लिये बीजेपी के दिग्गज नेता भी डेरा डाले हुए हैं।

किंगमेकर की भूमिका में प्रमोद तिवारी

प्रतापगढ जिले की सियासत को करीब से समझने वाले राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी एक बार फिर किंगमेकर की भूमिका में नजर आ रहे हैं, जिला पंचायत के चुनाव में कांग्रेस के सिर्फ 5 जिला पंचायत सदस्य होने के बाद भी बीजेपी और सपा को रोकने के लियो उन्होने गोटी बिछा दी है, अब वो अपनी रणनीति में कितने सफल हो पाते हैं, इसका पता 3 जुलाई को मतदान के बाद होगा।

राजा भैया-प्रमोद तिवारी साथ आये
2011 में प्रमोद कुमार मौर्या को अध्यक्ष बनवाने में भी प्रमोद तिवारी का बड़ा रोल था, सपा समर्थित उम्मीदवार घनश्याम यादव को रोकने के लिये प्रमोद तिवारी ने पूरी ताकत झोंक दी थी, उनके प्रयास से ही क्षेत्रीय दलों ने एकजुट होकर बसपा प्रत्यासी प्रमोद कुमार मौर्या को जीत दर्ज कराई थी, इस बार चुनाव में प्रमोद तिवारी ने राजा भैया के जनसत्ता दल को समर्थन का ऐलान कर दिया है।

साहसी पत्रकारिता को सपोर्ट करें,
आई वॉच इंडिया के संचालन में सहयोग करें। देश के बड़े मीडिया नेटवर्क को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर इन्हें ख़ूब फ़ंडिग मिलती है। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें।

About I watch