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ड्रोन पॉलिसी का ड्राफ्ट जारी, 5 अगस्त तक दे सकते हैं सुझाव: जम्मू में 27 जून के हमले के बाद से 7 बार आए हैं नजर

नई दिल्ली। जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन के पास एक बार फिर से बुधवार (14 जुलाई 2021) की बीती रात को संदिग्ध ड्रोन दिखाई दिया। 27 जून 2021 को जम्मू हवाईअड्डे में भारतीय वायुसेना के अधिकार वाले क्षेत्र में ड्रोन के जरिए आतंकी हमले का प्रयास किया गया था। उसके बाद से सातवीं बार जम्मू के इलाकों में ड्रोन दिखाई दिया है। साथ ही लगातार सामने आ रही ड्रोन गतिविधियों के बीच केंद्र सरकार ने भी ड्रोन कानूनों से संबंधित ड्राफ्ट सुझावों के लिए सार्वजनिक किया है।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक बुधवार की रात को जम्मू एयरफोर्स स्टेशन में संदिग्ध ड्रोन की गतिविधि देखी गई। 27 जून को देश में पहली बार आतंकी हमलों में ड्रोन का इस्तेमाल हुआ था। इसके बाद से लगातार ड्रोन की गतिविधियाँ देखी जा रही थीं। इससे पहले मंगलवार को भी जम्मू की अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास ड्रोन देखा गया जिस पर बीएसएफ के द्वारा गोलीबारी की गई। इसके बाद वह ड्रोन वापस से पाकिस्तानी सीमा में लौट गया था। हालाँकि 27 जून को जम्मू एयरफोर्स स्टेशन में ड्रोन के जरिए हुए आतंकी हमले में कोई बड़ा नुकसान देखने को नहीं मिला, लेकिन उसके बाद से अब तक सात बार जम्मू के इलाकों में ड्रोन की गतिविधि का देखा जाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक नई चुनौती है और इससे निपटने के लिए वो लगातार कार्य कर रही हैं।

जम्मू के कई इलाकों में ड्रोन दिखाई दिए जाने के बाद श्रीनगर, कुपवाड़ा, राजौरी और बारामूला जिलों में ड्रोन और अन्य UAVs (Unmanned Aerial Vehicles) के संग्रहण, बिक्री और परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ ही नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भी गुरुवार (15 जुलाई 2021) को सार्वजनिक सुझावों के लिए ड्राफ्ट ड्रोन रूल्स, 2021 जारी कर दिए हैं। जनता के द्वारा इस ड्राफ्ट पर सुझाव देने की अंतिम तिथि 05 अगस्त 2021 तय की गई है। नए ड्रोन रूल्स, मार्च 2021 में जारी किए गए UAS (Unmanned Aircraft System) रूल्स, 2021 की जगह लेंगे। ड्रोन हमलों के तुरंत बाद ही 29 जून 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में भारत की नई ड्रोन नीति पर चर्चा की गई थी।

ज्ञात हो कि 27 जून 2021 को जम्मू एयरफोर्स स्टेशन में ड्रोन के जरिए दो हमलों को अंजाम दिया गया था। पहला हमला एक बिल्डिंग पर हुआ था जिससेछत को नुकसान पहुँचा था और दूसरा हमला खुले मैदान में किया गया था। हालाँकि हमलों के बाद ही सुरक्षा एजेंसियाँ सतर्क हो गई थीं और हमले की जाँच प्रारंभ कर दी गई थी। प्रारम्भिक जाँच के बाद इसे आतंकी हमला बताया गया था। मीडिया खबरों में यह भी रिपोर्ट सामने आई थी कि इन ड्रोन हमलों के जरिए लश्कर-ए-तैयबा पार्क किए गए हेलिकॉप्टर, एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) अथवा राडार को निशाना बनाना चाहता था।

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