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जब दंगाइयों के सामने दीवार बन गए यशपाल शर्मा और चेतन चौहान: 1984 में ऐसे बचाई सिद्धू, योगराज जैसे सिख क्रिकेटरों की जान

1983 की विश्वविजेता भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य रहे यशपाल शर्मा का मंगलवार (13 जुलाई, 2021) को 66 साल की उम्र में निधन हो गया था। उनकी मौत के बाद से कई लोग उस घटना को याद कर रहे हैं जब उन्होंने चेतन चौहान के साथ मिल तीन क्रिकेटरों को दंगाइयों से बचाया था। ये तीन क्रिकेटर थे, कॉन्ग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू, किसान आंदोलन के दौरान हिंदू घृणा का प्रदर्शन करने वाले योगराज सिंह और राजिंदर घई। उत्तर प्रदेश की सरकार में मंत्री रहे पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान का कोरोना संक्रमण की वजह से 16 अगस्त 2020 को निधन हो गया था। वे अमरोहा से 2 बार सांसद भी रहे थे।

रिपोर्ट के मुताबिक शर्मा और चौहान के साथ सिख खिलाड़ी सिद्धू, योगराज और घई नॉर्थ जोन की टीम में थे। ये लोग ट्रेन से यात्रा कर रहे थे जब सिख विरोधी दंगे चल रहे थे। तीनों सिख खिलाड़ी को कपार्टमेंट में छिपाने के बाद शर्मा और चौहान दंगाइयों के सामने डटकर खड़े हुए और यह सुनिश्चित किया कि उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचा सके।

अक्टूबर 31, 1984 में इंदिरा गाँधी की हत्या हुई और उसके बाद पूरे देश में कॉन्ग्रेस नेताओं ने सिख दंगों को भड़काया, जिसमें कई बड़े नेताओं पर भी आरोप लगे। जगदीश टाइटलर और सज्जन सिंह जैसों ने इसके लिए जेल की हवा खाई, वहीं कमलनाथ जैसे लोगों पर अभी भी आरोप लगते हैं कि वो जेल में क्यों नहीं हैं। ये कहानी उसी सिख दंगों के दौरान की है।

1984 में दिलीप ट्रॉफी का सेमीफइनल पुणे में हुआ था। इसके बाद सेंट्रल और नॉर्थ जोन के खिलाड़ी झेलम एक्सप्रेस से लौट रहे थे। मैच 30 अक्टूबर को ख़त्म हुआ और अगले दिन जब वे लोग ट्रेन पकड़ने के लिए तैयार हो रहे थे तो उन्हें सुबह इंदिरा गाँधी की हत्या समाचार प्राप्त हुआ।

हरियाणा के पूर्व ऑफ स्पिनर सरकार तलवार ने इस घटना के सम्बन्ध में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ से बातचीत करते हुए बताया था कि टीम मैनेजर प्रेम भाटिया ने उन सबके लिए झेलम एक्सप्रेस के फर्स्ट क्लास की टिकट कराई थी। उन्होंने कहा कि वो डरावनी यात्रा थी, जिसमें उन्हें दिल्ली पहुँचने में 4 दिन लग गए थे। एक स्टेशन पर जैसे ही ट्रेन रुकी, 40-50 लोग सिखों को ढूँढ़ते हुए ट्रेन में घुस गए।

नवजोत सिंह सिद्धू, राजिंदर घई और योगराज सिंह- उस समय ये तीन सिख क्रिकेटर उन लोगों के साथ ही थे। तलवार ने बताया था कि चेतन चौहान ने आगे बढ़ कर दंगाई भीड़ के साथ बहस की और उन्हें समझाया। जब उन्हें पता चला कि ये भारतीय क्रिकेटरों की टीम है तो दंगाई वहाँ से चले गए। इस दौरान यशपाल शर्मा भी उनके साथ थे, जो आगे आए। सभी खिलाड़ी काफी डरे हुए थे।

नवजोत सिंह सिद्धू और राजिंदर घई तो ट्रेन कम्पार्टमेंट की सबसे निचली सीट के नीचे बैग के पीछे छिपे हुए थे। योगराज सिंह ने सिद्धू से कहा कि वो अपने बाल कटवा लें, जिससे दंगाई भीड़ उन्हें सिख न समझे। योगराज सिंह बताते हैं कि सिद्धू ने तब ये कह कर बाल कटवाने से इनकार कर दिया था कि वो एक सरदार पैदा हुए हैं और सरदार ही मरेंगे। योगराज ने उस घटना की तुलना ‘बर्निंग ट्रेन’ से करते हुए बताया था कि चेतन चौहान और यशपाल ने दंगाइयों से बहस की थी।

एक दंगाई ने चेतन चौहान पर चिल्लाते हुए कहा कि वो लोग यहाँ सिर्फ सरदारों को खोजने के लिए आए हैं और उन्हें कुछ भी नहीं किया जाएगा। इस पर चेतन चौहान ने पलट कर जवाब देते हुए कहा था कि ये सभी उनके भाई हैं और कोई भी दंगाई उन्हें छू भी नहीं सकता। योगराज सिंह ने कहा कि चेतन चौहान जिस तरह से दंगाइयों से निपटे थे, वो काबिले तारीफ था। दूसरे कम्पार्टमेंट में रहे गुरशरण सिंह को भी ये घटना याद है।

उनका तो यहाँ तक कहना है कि अगर उस दिन चेतन चौहान और यशपाल शर्मा नहीं होते तो उनमें से एक भी सरदार शायद ज़िंदा नहीं बचता। उन्होंने बताया कि वो और उत्तर प्रदेश के लेग स्पिनर राजिंदर हंस दूसरी बोगी में थे और उन्हें जब इस घटना के बारे में पता चला तो सभी काफी डर गए थे। इसके बाद चेतन चौहान उनकी बोगी में आए और उन्होंने खिलाड़ियों को आश्वासन दिया कि वो सब सुरक्षित हैं और उन लोगों को दंगाई भीड़ कुछ नहीं करेगी।

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