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ISI का तालिबान और पाकिस्तानी सेना को निर्देश, अफगानिस्तान में भारतीय संपत्तियों को बनाएँ निशाना: 10 हजार लड़ाके शामिल

पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने तालिबानी लड़ाकों और उनकी सहायता के लिए गए पाकिस्तानी सेना के जवानों को यह निर्देश दिया है कि अफगानिस्तान में भारतीय सद्भावना के तौर पर बनाए गए प्रतीक चिन्हों को निशाना बनाया जाए। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार खुफिया सूत्रों से यह सूचना मिली है कि लगभग 10,000 पाकिस्तानी, इस्लामिक आतंकी संगठन की सहायता करने के लिए अफगानिस्तान में घुस चुके हैं।

खुफिया सूत्रों के मुताबिक इन लड़ाकों और कट्टरपंथियों को स्पष्ट तौर पर यह निर्देश दिया गया है कि भारतीय संपत्तियों और भारत सरकार के द्वारा सद्भावना नीति के तहत किए गए निर्माण कार्यों को निशाना बनाया जाए। पिछले कुछ सालों में अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के उद्देश्य से भारत ने 3 बिलियन डॉलर (लगभग 22,383 करोड़ रुपए) का निवेश किया है। इनमें अफगानी संसद और डेलारम एवं जरंज सलमा डैम के बीच 218 किमी की रोड भी शामिल है।

हाल ही में एक भारतीय फोटो पत्रकार को अफगानी सेना के साथ संघर्ष के दौरान तालिबानी लड़ाकों के द्वारा मार दिया गया। अफगानी सरकार ने यह संकेत भी दिए थे कि आगामी भविष्य में उसके द्वारा भारत से सैन्य सहायता ली जा सकती है।

भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुंडजे ने कहा कि अगर उन्हें तालिबान के साथ शांति वार्ता करने का मंच नहीं मिलता तो संभव है कि आगामी भविष्य में अफगानिस्तान, भारत से सैन्य सहायता की आशा कर सकता है। हालाँकि अफगानी राजदूत ने यह स्पष्ट किया है कि फिलहाल युद्धरत अफगानिस्तान भारतीय सैन्य बलों की सहायता नहीं ले रहा है।

मामुंडजे ने यह भी कहा कि हम अफगानिस्तान में सेना भेजने के लिए भारत की सहायता नहीं ले रहे हैं। वर्तमान स्थितियों में युद्ध लड़ने के लिए फिलहाल भारत की सहायता की आवश्यकता नहीं है। साथ ही मामुंडजे ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान की वायुसेना जरूर पायलट प्रशिक्षण जैसी जरूरतों के लिए भारत की सहायता ले सकती है और भारत भी एक ऐसी स्वाभाविक जगह है जहाँ से वह शामिल होना चाहेगा।

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