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केंद्र के मंत्रियों से लेकर येदियुरप्पा की विदाई तक, खत्म हो रहा अटल-आडवाणी का दौर

नई दिल्ली। हाल में केंद्रीय मंत्रिपरिषद से कई दिग्‍गज नेताओं का पत्‍ता कटा था। इनमें खासतौर से रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर और रमेश पोखरियाल निशंक शामिल थे। ये पार्टी से कई दशक से जुड़े रहे हैं। इनकी जगह केंद्रीय कैबिनेट में कई नए चेहरों को शामिल किया गया। यह दिखाता है कि मोदी-शाह के नेतृत्‍व वाली भाजपा का मूड कुछ अलग करने का है। वह नई टीम के साथ आगे बढ़ना चाहती है।

​भाजपा में नए युग की शुरुआत?

कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया था। वह दो दशकों तक प्रदेश में भाजपा का चेहरा रहे हैं। कर्नाटक ही नहीं दक्षिण भारत के राज्यों में भी वह लोकप्रिय नेता हैं। उनकी राज्य में काफी पकड़ भी है। 2023 में कर्नाटक में चुनाव होने हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि यह जोखिम भरा हो सकता है यह जानते हुए भी बीजेपी की ओर से ऐसा क्यों किया गया। दूसरी अहम बात यह है कि हाल में हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्‍तार और फेरबदल में कई दिग्‍गज नेताओं का पत्‍ता काटा गया था। इनमें खासतौर से रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर और रमेश पोखरियाल निशंक शामिल थे। ये अटल-आडवाणी के दौर से पार्टी से जुड़े रहे हैं। सवाल उठने लगा है कि क्‍या मोदी-शाह की जोड़ी वाली भाजपा पुराने दिग्‍गजों से हाथ जोड़ सिर्फ युवा चेहरों पर दांव लगाएगी?

कितना बड़ा जोखिम है येदियुरप्‍पा का इस्‍तीफा?

लिंगायत समुदाय के बीच बीएस येद‍ियुरप्‍पा की अच्छी पकड़ है। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपे लेख में वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी का कहना है कि लिंगायत जो राज्य की आबादी का 17% है, दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है – दलित लगभग 23% हैं और भाजपा का मुख्य आधार रहे हैं। राज्य की 224 विधानसभा सीटों में से 100 सीटों पर चुनावी नतीजों को प्रभावित करते हैं। येद‍ियुरप्‍पा इसी समुदाय से आते हैं। नीरजा चौधरी का कहना है कि इस्तीफे ने दो दिलचस्प सवाल खड़े किए हैं। भाजपा आलाकमान ने येदियुरप्पा से इस्तीफा क्यों लिया। अप्रैल-मई 2023 में होने वाले अगले राज्य चुनावों तक भाजपा उनके साथ बनी रह सकती थी उसके बाद भी ऐसा किया जा सकता था। दूसरा सवाल वह राजी कैसे हुए। येदियुरप्‍पा इस स्थिति में हैं कि बीजेपी को राज्य में नुकसान पहुंचा सकते हैं। पहले सवाल का जवाब है कि भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की हर स्तर पर नए चेहरों और टीमों को जगह देने की योजना का हिस्सा है। दूसरे सवाल का संक्षिप्त उत्तर यह है कि चुनौती देने के लिए बीएस येदियुरप्पा में अब वह पहले जैसी बात नहीं है।
​क्‍या येदियुरप्‍पा के बाद शिवराज का नंबर?

केंद्रीय नेतृत्‍व जोखिम लेने को तैयार

हाल में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहला मंत्रिमंडल विस्‍तार और फेरबदल हुआ। इसमें जहां कई युवा चेहरों को जगह दी गई तो तमाम पुराने मंत्रियों की कुर्सी गई। इनमें खासतौर से रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर और रमेश पोखरियाल निशंक शामिल हैं। ये पार्टी से कई दशक से जुड़े रहे हैं। इनकी जगह केंद्रीय कैबिनेट में कई नए चेहरों को शामिल किया गया। यह दिखाता है कि मोदी-शाह के नेतृत्‍व वाली भाजपा का मूड कुछ अलग करने का है। पुराने नेताओं की विदाई और युवाओं की एंट्री संकेत है कि केंद्रीय नेतृत्व नई टीम बनाना चाहती है। इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व जोखिम उठाने के लिए भी तैयार है।

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