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45 साल में 54 विरासत देश लौटे, इनमें से 41 तो मोदी सरकार के 7 साल में आईं: 14 कलाकृतियाँ वापस करेगा ऑस्ट्रेलिया

नई दिल्ली। साल 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद विदेशों से 41 कलाकृतियों को वापस भारत लाया गया है। ये अब तक लौटाई गई कुल वस्तुओं का 75 फीसदी से भी अधिक है। इसकी जानकारी केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने गुरुवार (5 अगस्त 2021) संसद में एक सवाल के जवाब में दी।

केंद्रीय मंत्री ने राज्यसभा में लिखित उत्तर में कहा कि 1976 से अब तक विदेशों से कुल 54 पुरावशेष वापस लाए गए हैं, जिनमें से 41 को पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत वापस लाया गया है।रेड्डी ने कहा, “यह गर्व की बात है कि चोरी कर विदेशों में भेजी गई अपनी विरासत वस्तुओं को हम विदेशों से वापस लाने में सक्षम हैं। पिछले सात वर्षों में बरामद पुरावशेषों की संख्या अब तक की सबसे अधिक है। 2014 के बाद से भारत 41 विरासत वस्तुओं को वापस लाया है, जो कुल वस्तुओं का 75 प्रतिशत से भी अधिक है।”

उन्होंने इस सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हुए कहा कि उनके अथक प्रयासों के कारण भारत की विरासत के पुरावशेषों को फिर से वापस लाया जा सका है। संस्कृति मंत्री ने कहा, “मेरा मानना ​​है कि हाल की सफलता हमारे सांस्कृतिक संबंधों में लगातार सुधार के कारण है जो हमारे प्रधानमंत्री के विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों के साथ घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंधों के कारण संभव हुए हैं और इसलिए उनकी शीघ्र वापसी संभव हुई है।” रेड्डी ने ASI, CBI जैसी विभिन्न सरकारी एजेंसियों के अथक प्रयासों की भी सराहना की।

रेड्डी ने कहा, “1976 से कॉन्ग्रेस सरकार ने करीब 25 सालों तक शासन किया, लेकिन इस दौरान 10 से भी कम पुरावशेषों को भारत वापस लाया गया। यह भारतीय संस्कृति, सभ्यता और विरासत को संरक्षित करने के प्रति कॉन्ग्रेस सरकारों की उदासीनता और सम्मान की कमी को दिखाता है।”

गौरतलब है कि एक सप्ताह पहले ही ऑस्ट्रेलिया की नेशनल गैलरी ने भारत सरकार को सांस्कृतिक महत्व की 14 कलाकृतियों को वापस करने का फैसला किया था। 29 जुलाई 2021 को ऑपइंडिया ने बताया कि कुल 14 कलाकृतियों को वापस लाया जा रहा है, जिसमें छह कांस्य या पत्थर की मूर्तियाँ, एक पीतल का जुलूस मानक, एक चित्रित स्क्रॉल और छह तस्वीरें शामिल हैं। यह कलेक्शन करीब 2.2 मिलियन डॉलर (करीब 16.34 करोड़ रुपए) का है। इनमें से कुछ कलाकृतियाँ 12वीं शताब्दी की हैं। नेशनल गैलरी ऑस्ट्रेलिया (NGA) के निदेशक ने कहा था, “यह सांस्कृतिक जिम्मेदारी है और ये ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच आपसी सहयोग का परिणाम है।”

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