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विश्व के बेस्ट जेवलिन खिलाड़ी रहे उवे होन को कोच बनाया, 4 साल पहले ही मोदी सरकार ने कर दी थी व्यवस्था: सच हुई गुरु की भविष्यवाणी

टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में ‘भाला फेंक (Javelin Throw)’ प्रतियोगिता में भारत ने नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने स्वर्ण पदक (Gold Medal) अपने नाम किया। क्या आपको पता है कि इसके लिए उनकी तैयारी अभी नहीं, बल्कि कई वर्षों से चल रही थी। साथ ही केंद्रीय खेल मंत्रालय भी इसके लिए व्यवस्थाएँ कर रहा था। तभी जेवलिन थ्रो के महान खिलाड़ी उवे होन (Uwe Hohn) को उनका कोच नियुक्त किया गया था।

2018 में जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में भी नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीता था। तब भी वो उवे होन के अंतर्गत ही प्रशिक्षित हो रहे थे। कभी 104.80 मीटर भाला फेंकने वाले उवे होन ऐसा करने वाले खिलाड़ी हैं। भाले की रिडिजाईनिंग के कारण ये एक ‘इटरनल वर्ल्ड रिकॉर्ड’ है। उवे होन ने 2018 में ही इसकी भविष्यवाणी कर दी थी कि ओलंपिक में नीरज चोपड़ा सोना लेकर स्वदेश लौटेंगे। नीरज चोपड़ा के करियर को धार देने में उनका बड़ा हाथ है।

2018 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान भी वो नीरज चोपड़ा के कोच थे। वहाँ भी नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल ही हासिल किया था। 2018 में कोच ने कहा था कि ओलंपिक में मेडल उनकी क्षमताओं से परे नहीं है और वो अभी ही दुनिया में ‘जेवलिन थ्रो’ के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हैं। हरियाणा के पानीपत में जन्मे नीरज चोपड़ा ने टोक्यो में इतिहास रच कर अपने गुरु की बातों को सच्चा साबित कर दिया है।

खुद उवे होन का भी कभी ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने का सपना था, लेकिन 1984 में लॉस एंजेल्स में हुए ओलंपिक खेलों का ईस्ट जर्मनी ने बहिष्कार कर दिया था। इससे वो उसमें हिस्सा नहीं ले पाए। लेकिन, वर्ल्ड कप और यूरोपियन चैंपियनशिप में उन्होंने ज़रूर सोना अपने नाम किया। 1999 से ही वो युवा खिलाड़ियों को तराश रहे हैं। चीन के नेशनल चैंपियन झाओ किंगगांग ने भी उन्हें ही अपना गुरु बनाया था।

मई 2017 में ही ‘एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (AFI)’ ने उवे होन का नाम भारत के जेवलिन कोच के रूप में सुझाया था और केंद्रीय खेल मंत्रालय के पास इसका प्रस्ताव भेजा था। उस समय विजय गोयल केंद्रीय खेल मंत्री थे। हालाँकि, 4 महीने बाद ही राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को ये जिम्मेदारी दे दी गई थी। ऑस्ट्रेलिया के गैरी कल्वर्ट के इस्तीफे के बाद ये पद खाली हुआ था। तब IAAF वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए नीरज चोपड़ा के साथ-साथ देविंदर सिंह ने भी क्वालीफाई किया था।

2018 के IAAF कप में नीरज चोपड़ा को अपने खेल में कुछ तकनीकी खामी नजर आई थी। उन्होंने पाया था कि उनके थ्रो जो आमतौर पर सीधे जाते हैं, वो बाईं तरफ जा रहे हैं और एक मौके पर तो सीमा से बाहर भी चले गए। कुहनी में चोट के कारण 2019 विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में वो हिस्सा नहीं ले पाए थे। ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने का ये अवसर उनके साथ से निकल गया था।

1 साल बाद वापसी करते हुए जनवरी 2020 में उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता, लेकिन फिर कोरोना महामारी आ गई। उन्होंने जैव-यांत्रिकी विशेषज्ञ क्लाउस बार्टोनिट्ज़ (Klaus Bartonietz) के अंतर्गत भी प्रशिक्षण लिया। 2021 में उन्होंने 88.07 मीटर के थ्रो के साथ अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा। तब उन्हें लगा कि वो ओलंपिक के लिए तैयार हैं। फिर लिस्बन मीट में भी उन्हें गोल्ड मेडल हासिल हुआ। अब टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने झंडा गाड़ दिया है।

16 जून, 2021 को नीरज चोपड़ा ने एक ट्वीट कर के जानकारी दी थी, “जहाँ तक टोक्यो ओलंपिक के लिए मेरी तैयारियों का सवाल है, मेरी सारी ज़रूरतों का सर्वश्रेष्ठ तरीके से ख्याल रखा गया है। मैं फ़िलहाल यूरोप में प्रशिक्षण ले रहा हूँ। कठिन वीजा नियमों के बावजूद भारत सरकार और भारतीय दूतावास द्वारा किए गए प्रयासों के लिए मैं उनका आभारी हूँ।” इससे साफ़ है कि भारत सरकार नीरज चोपड़ा के करियर में उनका पूरा साथ दे रही थी।

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