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‘7वीं शताब्दी में मुहम्मद, 21वीं सदी में तालिबान’: ‘जमीन कब्जाने वालों’ पर ट्वीट कर ‘मुनाफ़िक़ीन’ बनीं तस्लीमा नसरीन

बांग्लादेश की लेखिका तस्लीमा नसरीन ने अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद इस घटना पर टिप्पणी की है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “21वीं सदी में तालिबान ऐसे ही जमीन पर कब्ज़ा कर रहा है, जैसे 7वीं शताब्दी में मुहम्मद जमीन कब्जाते थे। ये हमारे आधुनिक समय में एक ‘मध्यकालीन युग’ है।” तस्लीमा नसरीन के इस ट्वीट के बाद कई इस्लामी कट्टरपंथी भड़क भी गए और इस ट्वीट से आक्रोश जताया।

उमर नाम के एक ट्विटर यूजर ने तस्लीमा नसरीन की ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “इसी ‘मध्यकालीन युग’ के लोगों ने 21वीं सदी की आधुनिक सेना को हरा दिया। आप कहना क्या चाहती हो?”

एसके मुजफ्फर नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा, “देशद्रोही महिला दूसरों को ज्ञान दे रही है।”

युसूफज़ैन नाम के ट्विटर यूजर ने तस्लीमा नसरीन को ‘मुनाफ़िक़ीन (Hypocrote या दोहरे रवैये वाला)’ बताते हुए लिखा, “क़यामत तक तेरे जैसे कितने आएँगे लेकिन इस्लाम का कुछ बिगाड़ नहीं पाएँगे।”

बता दें कि कट्टरपंथियों के गुस्से के कारण तस्लीमा नसरीन को बांग्लादेश से निकाल दिया गया था, जिसके बाद से वो भारत में ही रहती आई हैं। हाल ही में उन्होंने 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर तिरंगे के साथ तस्वीर भी पोस्ट की थी। 1994 से ही बांग्लादेश से बाहर रह रहीं तस्लीमा नसरीन अपने उपन्यास ‘लज्जा’ को लेकर विख्यात है। कभी वो मेडिकल प्रोफेसर हुआ करती थीं। वो बुर्का सहित इस्लाम की कई कुरीतियों के खिलाफ आवाज़ उठाती रही हैं।

तस्लीमा नसरीन के बयानों पर इससे पहले भी इस्लामी कट्टरपंथी आक्रोशित होते रहे हैं। दिसंबर 2020 में उन्होंने आरोप लगाया था कि बांग्लादेश के मस्जिद-मदरसों में हर दिन बलात्कार होते हैं। उन्होंने लिखा था, “बांग्लादेश में रोजाना मस्जिद-मदरसे में बलात्कार हो रहे हैं। अल्लाह के नाम पर बलात्कार हो रहे हैं। मदरसे के बलात्कारी-शिक्षक, बलात्कारी-मस्जिद के इमामों का मानना है कि अगर वो पाँच वक्त की नमाज अदा करेंगे तो उनके गुनाह आजाद होंगे, क्योंकि अल्लाह माफ कर रहा है।”

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