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नारायण राणे का सिर कलम करने पर ₹51 लाख: शिवसेना से जुड़े रहे वांटेड का ऐलान, कहा- अस्थियॉं विसर्जित नहीं होने दूॅंगा

वाराणसी/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में विश्व हिंदू सेना के अध्यक्ष अरुण पाठक ने केंद्रीय मंत्री नारायण राणे का सिर कलम करने वाले को 51 लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा की है। अपने ट्विटर अकाउंट से अरुण पाठक ने इस ऐलान के साथ ही केंद्रीय मंत्री के लिए कहा कि वह खुद उनकी अस्थियों को काशी में विसर्जित नहीं करने देगा। मालूम हो कि इस अरुण पाठक के शिवसेना से संबंध होने के प्रमाण उसकी कुछ तस्वीरों और उसके सोशल मीडिया अकाउंट से मिलते हैं।

अपने सोशल मीडिया पोस्ट में अरुण पाठक ने लिखा, “जिस पॉकेटमार और टिकट ब्लैक में बेचने वाले को बाला साहेब दया करके शिव सैनिक बनाए, उसे मुख्यमंत्री भी बनाए, उसने घटिया काम किया। सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए बाला साहेब के बेटे पर आक्रमण किया। ऐसे आदमी का सिर कलम करना चाहिए और यह जो करेगा उसे मैं 51 लाख रुपए का इनाम दूँगा।”

इस पोस्ट के बाद अरुण ने अपने ट्विटर अकॉउंट पर लिखा, “मैं तुझसे वादा करता हूँ एहसान फरामोश नारायण राणे कि तेरे मरने के बाद काशी में तेरी अस्थियाँ विसर्जित नहीं करने दूँगा। तेरी आत्मा सदियों तक भटकते रहेगी।”

एक अन्य ट्वीट में अरुण लिखता है, “नारायण राणे तुझे क्या लगता है कि मैंने शिवसेना छोड़ दी तो तू कुछ भी बोलेगा। मैं अरुण पाठक विहिसे अध्यक्ष ये ऐलान करता हूँ कि जो भी बाला साहेब के ख़िलाफ़ अनर्गल प्रलाप करेगा उसकी जुबान खींच ली जाएगी।”

जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को लेकर ऐसा पोस्ट करने वाला अरुण पाठक पहले से ही वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोस्टर चिपकाने के मामले में तीन माह से फरार है।

ज्ञात हो कि अरुण पाठक का नाम पिछले साल भी खबरों में आया था। उस समय उसने एक व्यक्ति का जबरन सिर मूँड़ कर उस पर ‘जय श्री राम’ लिख दिया था। जिसे गंजा किया गया वो भारतीय ही था लेकिन शुरू में खबरें आई कि वो नेपाली था, इसलिए उससे नेपाल के प्रधानमंत्री ओली के खिलाफ नारे लगवाए गए और उसके गंजे सिर पर ‘जय श्री राम’ लिख दिया गया। वाराणसी पुलिस ने खुद इस बात की सूचना दी थी कि व्यक्ति 1000 रुपए लेकर भाड़े का नेपाली बना था।

मीडिया खबरों में उस समय भी हर जगह यही बात सामने आई थी कि विश्व हिंदू सेना से जुड़े अरुण पाठक ने यह काम किया है। हालाँकि ऑपइंडिया की पड़ताल में ये बात सामने आई थी कि अरुण पाठक का शिवसेना से गहरा संबंध है। अपने फेसबुक प्रोफाइल के बॉयो में उसने लिखा हुआ था, “बाला साहेब का शिष्य एवं एक सनातन।”


अरुण पाठक के फेसबुक का स्क्रीनशॉट

इसके अलावा अन्य जानकारियों में भी इस बात का उल्लेख था कि वो साल 2000 से 2003 तक शिवसेना का जिलाध्यक्ष रह चुका है। उसकी फेसबुक पर अपलोड तस्वीर देखने पर भी मालूम चला था कि शिवसेना के बड़े नेताओं के साथ भी उसका उठना-बैठना रहा है। उसकी टाइमलाइन पर कई पोस्टर भी थे। इनमें बाला साहेब की तस्वीर साफ दिख रही थी।

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