नई दिल्ली। जातिगत जनगणना की मांग को लेकर बिहार में सियासत तेज हो गई है, सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने पीएम मोदी से मुलाकात की थी, इसके दो दिन बाद जदयू के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि उनकी पार्टी भले ही एनडीए का हिस्सा है, लेकिन यदि उनकी मांग नहीं मानी जाती है, तो टकराव निश्चित तौर पर होगा।
गैर राजनीतिक फोरम सोशलिस्ट थिंकर्स द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि जातिगत जनगणना की अनुमति नहीं देना बेईमानी होगी, खासकर तब जबकि 2010 में मनमोहन सिंह सरकार ने संसद में इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया था, एनडीए सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान भी केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा इस बारे में आश्वस्त किया गया था।
बीजेपी के साथ टकराव होगा
कुशवाहा ने आगे कहा, जब पीएम मोदी ने खुद को पिछड़े समुदाय का बताया था, तो हम बहुत गौरवान्वित हुए थे, हम उम्मीद करते हैं कि पीएम मोदी सीएम नीतीश कुमार की जातिगत जनगणना की मांग पर विचार करेंगे, भले ही हम एनडीए का हिस्सा हैं, लेकिन यदि मांग पूरी नहीं हुई, तो टकराव होगा, उन्होने सवालिया लहजे में कहा, जब सभी दल इस पर एकमत हैं, कुछ बीजेपी नेता भी इसकी मांग कर रहे हैं, तो आखिर केन्द्र को जातिगत जनगणना की अनुमति देने से किसने रोक रखा है।
कहां हैं आंकड़े
उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि कुछ लोग कह सकते हैं कि ओबीसी की कुछ प्रमुख जातियां जैसे कोइरी, कुर्मी और यादव ने ओबीसी आरक्षण का सबसे ज्यादा लाभ लिया है, उन्होने कहा, ये सच हो भी सकता है, लेकिन किस आधार पर लोग ऐसा कह रहे हैं, आंकड़े कहां है, यदि ऐसा है, तो हम आरक्षण का लाभ छोड़ने को तैयार हैं, लेकिन पहले ये जानने के लिये जनगणना हो, जदयू उपाध्यक्ष जितेन्द्र नाथ ने कहा, कि ये कहना उचित नहीं होगा, कि समाज में टकराव नहीं होगा, टकराव तो होता है, लेकिन संघर्ष और टकराव के बिना कुछ नहीं मिलता, ये समस्या तब शुरु हुई, जब जन्म के आधार पर जाति का निर्धारण किया गया।