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‘उमर खालिद को मिली मुस्लिम होने की सजा’: कन्हैया के कॉन्ग्रेस ज्वाइन करने पर छलका जेल में बंद ‘दंगाई’ के लिए कट्टरपंथियों का दर्द

कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी द्वारा कॉन्ग्रेस का हाथ थामे जाने के चर्चाओं के बीच सोशल मीडिया पर एक नई बहस शुरू हो गई है। इस्लामी कट्टरपंथी इस चर्चा में उमर खालिद के लिए अपना रोना रो रहे हैं।

कोई कह रहा है कि जैसे इन दो युवा नेताओं को कॉन्ग्रेस से जुड़ने का मौका मिला वैसे उमर खालिद को नहीं मिला, तो कोई पूछ रहा है कि क्या अब जब ये लोग कॉन्ग्रेस में घुस गए हैं तो उमर खालिद को जेल से बाहर निकालने का काम करेंगे। हालाँकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तकनिकी कारणों से जिग्नेश मेवानी कॉन्ग्रेस में नहीं शामिल हो पाए हैं क्यों वो MLA हैं।

इस क्रम में आरफा खानुम शेरवानी कन्हैया कुमार को प्रतिभाशाली नेता तो कहती हैं और साथ ही इस बात पर भी खेद जताती है कि इससे उमर खालिद की मदद नहीं होगी जो कि उनके चमकते सितारे हैं और जेल में हैं। वह पूछती हैं कि क्या उन्हें मुस्लिम होने की सजा दी जा रही है।

सैफ नाम का यूजर लिखता है, “उमर खालिद और कन्हैया कुमार ने एक ही बिंदु पर शुरुआत की। कन्हैया को टीवी डिबेट, कॉन्क्लेव में आमंत्रित किया गया, भाकपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, अब कॉन्ग्रेस में घुस गए; वह एक पूर्णकालिक राजनीतिज्ञ हैं। दूसरी ओर, उमर खालिद को बहिष्कृत कर दिया गया और अब वह एक साल से अधिक समय से जेल में सड़ रहा है।”

अफजल लिखता है, “मुस्लिम होने की सजा भुगत रहे उमर खालिद, क्या कन्हैया कुमार कॉन्ग्रेस में आएँगे और उन्हें जेल से बाहर निकालेंगे?”

पत्रकार जेबा वारसी लिखती हैं, “ये देखना बेहद दिलचस्प है कि कन्हैया और मेवानी जैसे युवा कार्यकर्ता मुख्यधारा राजनीति में आ रहे हैं। कॉन्ग्रेस ज्वाइन कर रहे हैं। लेकिन उमर खालिद का क्या जिन्हें जेल में रखा गया है। मेवानी गुजरात के निर्दलीय विधायक हैं। कॉन्ग्रेस से जुड़ रहे हैं। लेकिन कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवानी और उमर खालिद सब एक ही नस्ल के युवा कार्यकर्ता हैं और अब खालिद की वर्तमान हालत अलग है।”

मोहम्मद रिजवान कहते हैं, “सीपीआईएम अपना अस्तित्व खो रही है। अल्पसंख्यकों से तथाकथित उदारवादी जो कम्युनिस्ट पार्टी का काम करते हैं और उसका बचाव करते हैं, उन्हें उमर खालिद को याद रखना चाहिए। कन्हैया, जिग्नेश और उमर सभी एक ही पंक्ति में थे। लेकिन उमर जेल में सड़ रहा है। ये सीखने के लिए सबक है।”

यहाँ बता दें कि जिस उमर खालिद के रिहाई और उसके राजनैतिक जीवन पर इस्लामी कट्टरपंथी चर्चा कर रहे हैं उसे पिछले साल 14 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था, वो भी उत्तर पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा के मामले में। खालिद पर ट्रंप के भारत दौरे के दौरान हिंसा की साजिश रचने का आरोप है। इसके बावजूद कई इस्लामी और उनके हमदर्द ये दिखा रहे हैं कि कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवानी सब एक ही जैसे थे लेकिन उमर खालिद को प्रताड़ित किया जा रहा है क्योंकि वो मुसलमान है।

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