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योगी 2.0… दूसरी पारी में और चलेगा बुलडोजर, अब ‘मथुरा’ की भी बारी!

लखनऊ (आई वाच न्यूज़ नेटवर्क)। तारीख- 29 दिसंबर 2021. जगह- यूपी का अमरोहा जिला. सीएम योगी आदित्यनाथ एक जनसभा कर रहे थे. यहां उन्होंने कहा, ‘हमने कहा था अयोध्या में प्रभु राम का भव्य मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ कराएंगे. मोदीजी ने कार्य प्रारंभ करा दिया है. अयोध्या में राम मंदिर बनने से खुश हैं. और अभी काशी में भगवान विश्वनाथ का धाम का भी भव्य रूप से बन रहा है. आपने देख लिया न. और फिर मथुरा वृंदावन कैसे छूट जाएगा. वहां पर भी काम भव्यता के साथ आगे बढ़ चुका है.’

इससे पहले 1 दिसंबर को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर मुथरा को लेकर नया नारा दिया. मौर्य ने लिखा, ‘अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है. मथुरा की तैयारी है.’

ये कुछ ऐसे बयान थे, जिसने साफ कर दिया था कि इस बार बीजेपी मथुरा के एजेंडे को लेकर आगे चल रही है. सीएम योगी और डिप्टी सीएम मौर्य के इन बयानों का संत समाज और हिंदुओं ने भी समर्थन किया. शायद यही वजह रही कि इस बार बीजेपी को उसके इतिहास के सबसे ज्यादा वोट मिले हैं. इस बार बीजेपी को 41.3% वोट मिले हैं और 255 सीटों पर जीत हासिल हुई है.

तो क्या अब वाकई मथुरा की बारी है?

इसे समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना चाहिए. बात 90 के दशक की है. देश में बीजेपी अपने पैर पसारना शुरू कर रही थी. उधर राम मंदिर आंदोलन भी शुरू हो गया था. 1980 में बनी बीजेपी के एजेंडे में शुरू से ही अयोध्या रही है. 1992 में बाबरी विध्वंस हुआ और उसके बाद एजेंडे में काशी और मथुरा भी शामिल हो गई. लेकिन अयोध्या का एजेंडा सबसे ऊपर रहा, जिसमें काशी और मथुरा काफी पीछे चले गए.

नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का फैसला सुनाया. फैसला कोर्ट का था, लेकिन श्रेय बीजेपी को मिला. उसकी वजह ये भी रही कि बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में लिखा था कि संविधान के हिसाब से अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा.

2017 में यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद अयोध्या, काशी और मथुरा पर जोर रहा. अयोध्या में दिवाली बनाई गई तो मथुरा में होली भी खेली गई. अप्रैल 2018 में एक इंटरव्यू में योगी आदित्यनाथ ने कहा था, ‘देश की भावनाओं का प्रतिनिधित्व हमारी पवित्र नगरियां करती हैं. ये देश और दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए भी महत्वपूर्ण स्थल हैं. ये देश-दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए भी महत्वपूर्ण स्थल हैं. पर्यटन के तीर्थाटन को भी आगे बढ़ाने के लिए हम अयोध्या, मथुरा, काशी में काम करते हैं.’

अयोध्या और काशी लगभग पूरा, मथुरा बाकी!

सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या विवाद का हल हो चुका है. वहां राम मंदिर निर्माण का काम तेजी से चल रहा है और दिसंबर 2023 तक मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोले जाने की बात कही जा रही है. काशी में विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद है. विवाद खत्म नहीं हुआ है, लेकिन दिसंबर 2021 में यहां काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया गया.

900 करोड़ की लागत से 5 लाख स्क्वायर फीट में बने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर छोटी-बड़ी 23 इमारतें और 27 मंदिर हैं. कॉरिडोर बनने के बाद ज्ञानवापी मस्जिद के साथ विवाद फिलहाल उतना बड़ा नहीं रह गया.

जबकि, मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर विवाद है. ये मामला भी कोर्ट में है. दिसंबर में यहां जमकर तनाव हुआ था. हिंदू संगठनों का दावा है कि जिस जगह मस्जिद है, वहीं कृष्ण का जन्म हुआ था. दिसंबर 2021 में हिंदू संगठन यहां जाकर जलाभिषेक करने की तैयारी कर रहे थे. हालांकि, प्रशासन ने अनुमति नहीं दी, लेकिन तनाव जारी रहा.

उत्तर प्रदेश में चुनाव तारीखों के ऐलान से पहले ही सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य समेत बीजेपी के तमाम नेता ‘मथुरा की बारी है…’ जैसे नारे देने लगे थे. इससे माना जा रहा है कि आज नहीं तो कल बीजेपी मथुरा के एजेंडे को आगे बढ़ा सकती है.

ब्रज के इलाके से निकला संदेश

कृष्ण की नगरी मथुरा के ब्रज इलाके में बीजेपी का पल्ला भारी रहा. ब्रज क्षेत्र के 6 जिलों की 30 सीटों में से 24 सीटें बीजेपी ने जीती हैं. आगरा की सभी 9, मथुरा की सभी 5 और एटा की सभी चारों सीटों पर भाजपा का कब्जा हो गया है. वहीं, कासगंज-मैनपुरी-फिरोजाबाद में दो-दो सीटें जीती हैं. मथुरा में सपा का आरएलडी से गठबंधन करने का फॉर्मूला भी काम नहीं आया. सपा के अब तक के इतिहास में मथुरा में कभी खाता नहीं खोल पाई.

मथुरा में बीजेपी ही बीजेपी

मथुरा में 5 विधानसभा सीट आती है. ये सीटें हैं- बलदेव, छाता, गोवर्धन, मांट और मथुरा. इन पांचों सीटों पर अब बीजेपी का कब्जा है. 2017 में बीजेपी ने इस 5 में से 4 पर जीत हासिल की थी. वहीं, मथुरा लोकसभा सीट से बीजेपी की हेमा मालिनी सांसद हैं. वो 2019 में यहां से दूसरी बार जीती थीं.

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