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‘कानून के मुताबिक ध्वस्त किया गया जावेद पंप का घर’: सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने बताया, प्रयागराज के दंगाई के लिए जमीयत ने डाली है याचिका

हाल ही में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अधिकारियों द्वारा कई अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया गया है। जिसके बाद जमीयत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए इसे चुनौती दी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपने इस कदम को सही ठहराया है।

सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि प्रयागराज विध्वंस की प्रक्रिया स्थानीय विकास प्राधिकरण ने किया था। यह राज्य सरकार का एक स्वायत्त निकाय है। विध्वंस की प्रक्रिया शहर को अवैध और अनधिकृत निर्माण से मुक्त करने के उनके प्रयास का एक हिस्सा था।

आफरीन फातिमा के अब्बू जावेद मोहम्मद के घर के विध्वंस के संबंध में, राज्य ने बताया कि निर्माण ‘प्रयागराज विकास प्राधिकरण (PDA) के नियमों का उल्लंघन’ था और इसे गिराने की कार्यवाही दंगों से बहुत पहले ही शुरू कर गई थी।  यह दंगा भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी के बाद भड़की थी।

आगे कहा गया है कि जमीयत ने इस विध्वंस को गलत रंग देने का प्रयास किया है। इस विध्वंस से प्रभावित पक्ष में से किसी ने भी कोर्ट का रुख नहीं किया है। राज्य सरकार की तरफ से हलफनामे में कहा गया है कि की गई सभी कार्रवाई यूपी शहरी योजना और विकास अधिनियम, 1973 का पालन करते हुए की गई थी।

बता दें कि जमीयत उलमा-ए-हिंद की याचिका में कहा गया है कि राज्य में विध्वंस भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद किया गया था, जिन्होंने एक टेलीविजन डिबेट के दौरान पैगंबर मुहम्मद और इस्लाम के खिलाफ टिप्पणी की थी।

गौरतलब है कि पिछले दिनों प्रयागराज में इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा की गई हिंसा के मुख्य आरोपित और JNU छात्रा आफरीन फातिमा और उसके अब्बू जावेद उर्फ पंप की घर पर योगी सरकार ने बुलडोजर चला दिया। जावेद का मकान उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम-1973 के प्रावधानों के खिलाफ अनधिकृत रूप से निर्मित किया गया था। इस संबंध में 10 मई 2022 को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था, मगर 24 मई को सुनवाई के दौरान ना तो जावेद और ना ही उसका वकील उपस्थित हुआ। कोई दस्तावेज भी प्रस्तुत नहीं किया गया।

प्रयागराज विकास प्राधिकरण (PDA) की तरफ से जारी नोटिस में कहा गया था, “इसको ध्यान में रखते हुए 25 मई 2022 को भवन ध्वस्तीकरण के लिए आदेश पारित किया गया। इस संबंध में नोटिस लगा दी गई है। आप भवन को ध्वस्त कर 9 जून 2022 तक सूचित करें, अन्यथा 12 जून 2022 को प्रात: 11 बजे भवन को खाली करें, ताकि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा सके।”

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