शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने पार्टी द्वारा विधायकों को दी गई चेतावनी को नज़रअंदाज़ करते हुए अपना चीफ व्हिप नियुक्त कर लिया है। एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के कदम को अवैध बताते हुए कहा है कि उनके पास 46 विधायकों का समर्थन है। उधर शिवसेना के 34 विधायकों ने एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे उद्धव सरकार में मंत्री रहे अनिल देशमुख और नवाब मलिक पर भ्रष्टाचार के आरोपों पर असंतोष जताया है।
उधर उद्धव ठाकरे ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा है कि वो इस पर ज्यादा चर्चा नहीं करना चाहते हैं कि हिंदुत्व के लिए उनकी पार्टी ने क्या-क्या किया है। उन्होंने अपने पिता बाल ठाकरे की दुहाई दी।
14वीं महाराष्ट्र विधानसभा के इन 34 सदस्यों ने एकनाथ शिंदे को शिवसेना के विधायक दल का नेता घोषित कर दिया है। विधायकों ने अपने हस्ताक्षरित प्रस्ताव में कहा कि 2019 विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी का भाजपा के साथ गठबंधन था, लेकिन उसके बाद NCP-कॉन्ग्रेस के साथ जाने के कारण और भ्रष्टाचार के तमाम मामलों के सामने आने के कारण कार्यकर्ताओं में असंतोष है। पुलिस पोस्टिंग और प्रशासन में भी भ्रष्टाचार की बात कही गई है।
34 #MLAs signed d resolution under the leadership of #Eknath_Shinde levelling up great dissatisfaction over corruption and other cases of #AnilDeshmukh & #NawabMalik. Mentions harassment by opposition on personal & political ground due to #Shivsena alliance with #NCP, #Congress pic.twitter.com/Go5IJ3sUa9
— Shivani Mishra (@ShivaniReports) June 22, 2022
साथ ही इन विधायकों ने यह भी कहा कि कॉन्ग्रेस-NCP के साथ जाने के कारण उन्हें विपक्ष के हाथों व्यक्तिगत और राजनीतिक रूप से प्रताड़ना का सामना भी करना पड़ा है। हालाँकि, शिवसेना के विधायकों को तोड़ने के लिए 37 के नंबर की आवश्यकता है। ये भी खबर आ रही है कि उद्धव ठाकरे कोविड-19 नेगेटिव पाए गए हैं और उन्हें कोरोना नहीं है। फ़िलहाल एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस विधायक असम के गुवाहाटी स्थित रेडिसन ब्लू होटल में रुके हुए हैं।
इन 34 विधायकों ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भेजे गए पत्र में एकनाथ शिंदे को अपना समर्थन दिया है। एकनाथ शिंदे ने भारत गोगावले को शिवसेना का चीफ का चीफ नियुक्त किया है। शिवसेना ने अपने पत्र में उन्हें बैठक में उपस्थित रहने के लिए कहा गया है। पत्र में कहा गया है कि जो भी विधायक अनुपस्थित रहेगा, ये समझा जाएगा कि उसने स्वेच्छा से शिवसेना छोड़ दी है। साथ ही बिना किसी पूर्व सूचना या वैध कारण के अनुपस्थित रहने वाले विधायकों को संवैधानिक प्रक्रिया के तहत उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कराने की धमकी भी दी गई है।