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समाचार पत्र की आड़ में गिरोहबंदी करके ब्लैकमेंलिंग का धंधा चलने वाले संजय पुरबिया पर कार्यवाही होना तय, पति-पत्नी दोनों जा सकते हैं जेल

भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक का कार्यालय द्वारा जिलाधिकारी कार्यालय को दिए जांच के आदेष!

मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा संजय श्रीवास्तव एवं उनकी पत्नी दिव्या श्रीवास्तव द्वारा समाचार पत्र की आड़ में गिरोहबंदी करके जो ब्लैकमेंलिंग का धंधा विगत वर्षो से चलाया जा रहा है, उसके संबंध में प्राप्त शिकायतों पर उच्च स्तरीय जांच कराई जाने के उपरांत अत्यंत विस्फोटक खुलासे सामने आये है जो इन दोनांे पति-पत्नी के साथ उनके सहयोगियों को जेल भेजे जाने के लिये पर्याप्त आधार है। यहीं नहीं इनके सहयोगियों द्वारा सोशल मीडिया पर झूठी, भ्रामक, असत्य, ब्लैकमेंलिंग करने के समाचारों को प्रचारित एवं प्रसारित करने का जो कार्य किया गया है, उनके विरुद्ध भी कानून की उचित धाराओं में कार्यवही की जायेगी। जिनके द्वारा ‘द संडे व्यूज‘ समाचार पत्र के समाचारों को सोशल मीडिया पर प्रचारित करने का कार्य किया गया है। उन्हें चिन्हित कर उनके नाम पुलिस के आला अधिकारियों को कानून की उचित धाराओं में कार्यवाही करने हेतु भेज दिए गये है।

उत्तर प्रदेश शासन के उच्च अधिकारियों की अनेक टीमों द्वारा समाचार पत्र के सम्भावित प्रकाशन स्थलों एवं प्रिटिंग प्रेस के कार्यालयों में आकस्मिक जांच के उपरांत अपनी जांच रिर्पोट अग्रिम कार्यवाही हेतु प्रेषित की गयी है जिससे प्रमाणित होता है कि ‘द संडे व्यूज़‘ नामक समाचार पत्र द्वारा गैर कानूनी रूप से जाली दस्तावेजों को आधार बनाकर फर्जी प्रकाशन स्थल दिखाकर आधारहीन समाचार पत्रों का प्रकाशन किया जा रहा है जिसका संज्ञान लेकर केन्द्रीय संचार ब्यूरो, भारत सरकार एवं आर.एन.आई द्वारा जिलाधिकारी कार्यालय, लखनऊ को समाचार पत्र के संबंध में छानबीन करने के उपरांत तत्काल कार्यवाही करने के निर्देश जारी किये गये है। उत्तर प्रदेश सरकार की अलग-अगल टीमों द्वारा समाचार पत्र के प्रकाशन स्थल पर जांच की गई तो पता चला कि 5-6 साल पहले संजय श्रीवास्तव व दिव्या किराए पर रहते थे, अब वर्तमान में कहां रहते हैं, इसकी जानकारी नहीं है, समस्त दस्तावेजों में ‘द संडे व्यूज़‘ द्वारा जिस ऑफसेट इंडिया से समाचार पत्र का प्रकाशन होना बताया जा रहा है उसके संबंध में जांच कर अवगत कराया कि उक्त नाम की कोई फर्म संचालित नही पायी गयी। चूंकि पंजीयन फर्म स्वामी द्वारा उनकी मृत्यु से पूर्व ही दिनांक 31.05.2018 को निरस्त कराया जा चुका है। फर्म सर्वश्री आफसेट इण्डिया वर्तमान में संचालित न होने एवं सर्वश्री ‘द संडे व्यूज़‘ समाचार पत्र की छपाई से संबंधित कोई साक्ष्य नही पाया गया। वहीं, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा पत्र संख्या 1336 दिनांक 29 दिसम्बर 2022 के माध्यम से अवगत कराया गया है कि उक्त समाचार पत्र का कार्यालय एम.एम.19 सेक्टर डी-1, एलडीए कालोनी, लखनऊ में स्थित है एवं समाचार पत्र द्वारा ड्रीम डिजाइन, आईएनसी, फ्लैट नं. 5, 27/6, राजाराम मोहन राय मार्ग, (निकट कृषि भवन) लखनऊ, उ.प्र. से प्रकाशन कराया जाता है। जांच टीम द्वारा पते की जांच में अवगत कराया कि उक्त पते पर कोई भी व्यवसायिक गतिविधियां संचालित नहीं पायी गयी। उक्त स्थल बंद पाया गया। उक्त पते की तहकीकात करने पर ज्ञात हुआ कि उक्त फ्लैट नं. 5 विगत कई महीनों से बंद है। अतः प्रमाणित है कि समाचार पत्र द्वारा ब्लैकमेंलिंग करने के लिये आधारहीन समाचारों के प्रकाशन करने हेतु प्रकाशन स्थल, प्रिंटिंग प्रेस आदि में फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से अपने मनमाफिक परिवर्तन किया जाता है। गोल्डन लाइन प्रेस 510/115 न्यू हैदराबाद, फूल वाला पार्क, लखनऊ उत्तर प्रदेश द्वारा जांच टीम को बताया गया कि  विगत वर्ष 14 से 16 बार 8 पृष्ठीय समाचार पत्र की प्रिंटिंग का काम किया गया एवं एक बार की छपाई के लिए दो हजार रुपया का भुगतान नकग प्राप्त किया गया है, इस तथ्य से विपरीत ‘द संडे व्यूज़‘ द्वारा केन्द्रीय संचार ब्यूरो, भारत सरकार, को चार्टेड एकाउटेंट, अरुन के. रस्तोगी, मोबाइल नं. 9839010925 द्वारा सत्यापित एनेक्सजर ष्।ष् में 14300 प्रतियों को प्रति सप्ताह छापे जाने हेतु सत्यापन प्रस्तुत किया गया है जो जालसाजी और फर्जीवाड़े को प्रमाणित करता है।

प्रेस एवं पुस्तक रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1867 के नियम, कानून, प्रावधानों के विपरीत प्रकाशित ‘द संडे व्यूज़‘ नामक हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र द्वारा फर्जी प्रसार संख्या दिखाकर वर्गीकृत विज्ञापन एवं आधारहीन समाचार पत्र का प्रकाशन किया जाता है जिसमें न तो सम्पादक का नाम स्पष्ट रुप से वर्णन किया जाता है और न ही समाचार पत्र के प्रकाशन स्थल का वर्णन किया जाता है। जिस प्रिंटिंग प्रेस का नाम दिया गया है उस प्रेस का न तो जिलाधिकारी कार्यालय में कोई पंजीकरण है और न ही उद्योग निदेशालय में। ऐसे में समाचार पत्र का सर्कुलेशन 13700 प्रमाणित किये जाने का संज्ञान लेकर भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक का कार्यालय द्वारा जिलाधिकारी कार्यालय को जांच करने का आदेष जारी किया गया है। छानबीन के उपरांत धारा 3 में दो माह की सज़ा दिये जाने का भी प्रावधान है एवं धारा 8(ख) के बिन्दु ;पद्ध एवं ;पअद्ध में वर्णित प्रावधानों, नियमों के अंतर्गत फर्जी रुप से प्रकाशित समाचार पत्र ‘द संडे व्यूज़‘ के शीर्षक एवं घोषणा पत्र को निरस्त किये जाने की कार्यवाही से इंकार नही किया जा सकता, इसके साथ ही पति-पत्नी पर फर्जीवाड़े और जालसाज़ी का अपराध कारित किये जाने के संबंघ में भारतीय दण्ड संहिता की उचित धाराओं मेें मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्यवाही की जाने की प्रबल संभावना है।

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