मणिपुर में म्यांमार (Myanmar) के 11 नागरिकों को पकड़ा गया है। ये वैध दस्तावेज के बिना भारत में घुसे हैं। इनकी गिरफ्तारी 10 जुलाई को हिंसा प्रभावित चुराचांदपुर जिले से हुई है। पकड़े गए सभी लोग मणिपुर (Manipur) की सीमा से लगते म्यांमार के तमू (Tomu) शहर के रहने वाले हैं। चुराचांदपुर (Churachandpur) जिला हॉस्पिटल में ये बम और गोली से हुए घावों का इलाज करवा रहे थे। यह स्पष्ट नहीं है कि इन्हें ये चोटें कैसे आई थी।
यह मामला 16 जून को तब सामने आया जब चुराचांदपुर पुलिस स्टेशन के प्रभारी को अस्पताल में म्यांमार के नागरिकों का इलाज चलने के बारे में जानकारी मिली। द फ्रंटियर मणिपुर की रिपोर्ट के अनुसार 28 जून के मेडिकल दस्तावेजों से कम से कम म्यांमार के 5 नागरिकों का जिला अस्पताल में इलाज होने की पुष्टि होती है। इनकी पहचान थर्गयी (15 जून से 28 जून तक एडमिट रहा), खैपी (15 जून को एडमिट हुआ), लुलमिनलाल (15 जून को एडमिट), कोनम (17 जून को एडमिट) और लोकी (17 जून को एडमिट) के तौर पर की गई है। 20 अप्रैल को म्यांमार के तीन अन्य नागरिकों को इसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इनकी पहचान अवंगफ्योवाई, नगाम्बोई और डेविड थेटपिंग के रूप में की गई है।
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आईएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी आशंका है कि मणिपुर के चुराचांदपुर और बिष्णुपुर जिलों में हिंसा के दौरान ये लोग घायल हुए थे। घायलों में लोकी की हालत सबसे गंभीर बताई जा रही है, जिसके पेट में काफी नुकसान हुआ है। उसका ICU में इलाज चल रहा है। बताते चलें कि मणिपुर में हिंसा के दौरान मैतेई समूह ने कुकी विद्रोहियों को म्यांमार से मदद मिलने का भी आरोप लगाया था।
गौरतलब है कि मणिपुर में हिंसा का प्रमुख कारण म्यांमार और बांग्लादेशी से आए अवैध घुसपैठिए भी हैं। मैतेई समुदाय इसको लेकर अपनी पहचान पर खतरा बता रहा है। दरअसल, उत्तर पूर्व भारत म्यांमार के साथ 1,643 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, म्यांमार के लगभग 52,000 शरणार्थी पूर्वोत्तर राज्यों में बसे हुए हैं। इनमें से 7800 मणिपुर में शरणार्थी हैं। इन्हें शरणार्थी का दर्जा मिला हुआ है। इसके अलावा, म्यांमार और बांग्लादेश से बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी भी मणिपुर में बसे हुए हैं। इनके आँकड़े सरकार का पास नहीं हैं। मैतेई संगठनों का दावा है कि म्यांमार और बांग्लादेश से बड़े पैमाने पर अवैध आप्रवास के कारण उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।