नेपाल और भारत के बीच भारतीय सेना की अग्निपथ भर्ती योजना को लेकर विवाद चल रहा है। लिहाजा पिछले जून के बाद से तीसरी बार भी भारतीय सेना नेपाल से किसी गोरखा सैनिक की भर्ती नहीं करेगी। द प्रिंट की एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। अगस्त 2022 में नेपाल सरकार ने अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना की 43 बटालियन गोरखा रेजिमेंट के लिए नेपाली गोरखाओं की भर्ती रोक दी थी। नेपाल ने दावा किया कि यह योजना 1947 में नेपाल, भारत और यूके सरकारों के बीच हुए एक समझौते का उल्लंघन है।
अग्निपथ भर्ती योजना की शुरुआत पिछले साल जून में हुई थी। इसके तहत सेना अधिकारी रैंक से नीचे के जवानों की भर्ती कर रही है। चार साल की सर्विस के बाद ये ‘अग्निवीर’ रिटायर हो जाएंगे और कुल भर्तियों में से केवल 25 प्रतिशत को ही नियमित किया जाएगा। गोरखाओं की प्रत्येक बटालियन में लगभग 60 प्रतिशत नेपाली हैं, जबकि बाकी भारतीय हैं। 2021 से नेपाल के लगभग 12,000 गोरखा रिटायर हो चुके हैं।
नेपाल ने लगाई भर्ती पर रोक
नेपाल की ओर से रोक लगाने के बाद से पिछली जुलाई, इस साल फरवरी और देश के विभिन्न हिस्सों में चल रही वर्तमान भर्ती प्रक्रिया में किसी भी नए नेपाली गोरखा की भर्ती नहीं की गई है। नेपाल ने शुरू में सेना की नई भर्ती नीति पर यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि यह सैनिकों की सेवा शर्तों पर दोनों देशों के बीच बनी सहमति के खिलाफ है। नेपाल इकलौता ऐसा विदेशी मुल्क है जिसके नागरिक भारतीय सेना में सेवा देते हैं।
पिछले दिनों खबर आई थी कि नेपाल के गोरखा सैनिक वैगनर प्राइवेट आर्मी में शामिल हो रहे हैं। ये वही निजी सेना है जो राष्ट्रपति पुतिन के इशारों पर रूस की तरफ से यूक्रेन में युद्ध लड़ रही थी लेकिन कुछ दिनों पहले वैगनर चीफ ने पुतिन के खिलाफ एक असफल विद्रोह का नेतृत्व किया था। इसके बाद से वैगनर ग्रुप और रूसी सरकार के संबंध खराब हो गए। बीते दिनों सोशल मीडिया पर शेयर कई वीडियो में नेपाली गोरखा रूस में मिलिट्री ट्रेनिंग लेते हुए नजर आए थे।