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ध्यान रखिए! अब यह गठबंधन तीन दलों का है; अजित पवार को क्यों मंच से ही बोलना पड़ा

ध्यान रखिए! अब यह गठबंधन तीन दलों का है; अजित पवार को क्यों मंच से ही बोलना पड़ामैं याद दिलाना चाहता हूं कि अब तो इस सरकार में तीन पार्टियां शामिल हैं। महाराष्ट्र की सरकार में हाल ही में शामिल हुए अजित पवार ने सोमवार को मंच से ही भाजपा नेताओं को यह याद दिलाया। उस वक्त सीएम एकनाथ शिंदे भी मंच पर ही मौजूद थे। दरअसल यह मौका धुले में आयोजित ‘सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम के आयोजन का था। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ ही अजित पवार भी आए थे। मंच और आसपास शिवसेना और भाजपा के झंडे लगाए गए थे। इसे देखकर अजित पवार ने कहा कि अब तो यह सरकार तीन दलों की है। इसका ध्यान रखा जाना चाहिए और मंच पर एनसीपी के भी झंडे होने चाहिए।

इस पर खुद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ही मोर्चा संभाला और उन्हें भरोसा दिलाया कि आगे से एनसीपी के झंडे भी रहेंगे। धुले के प्रभारी मंत्री और विधायक गिरीश महाजन की ओर से यह कार्यक्रम आयोजित कराया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अजित पवार ने गिरीश महाजन की आयोजन के लिए तारीफ की और कहा कि उन्होंने बड़ी संख्या में लोगों को जुटाया है, जो बड़ी बात है। इसी दौरान उन्होंने कहा कि एनसीपी अब इस सरकार में तीसरी पार्टी है।

उन्होंने कहा, ‘मैं गिरीश महाजन को याद दिलाना चाहता हूं कि मौजूदा राज्य सरकार में तीन पार्टियां शामिल हैं। हालांकि मौके पर भाजपा और शिवसेना की ही झंडे हैं। कृपया अब ऐसे कार्यक्रमों में तीनों दलों के झंडे लगाना शुरू करिए।’ इसके बाद जब एकनाथ शिंदे की बारी आई तो उन्होंने अजित पवार के ऐतराज पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि शिवसेना और भाजपा का गठबंधन 25 साल पुराना है। इसलिए उन दोनों के ही झंडे लगाए गए हैं। अजित दादा आपकी पार्टी ने कुछ दिन पहले ही जॉइन किया है। एनसीपी के झंडे लगाने में कुछ वक्त लगेगा ही। लेकिन आप चिंता ना करें। अब एनसीपी के झंडों को भी ऐसे कार्यक्रमों में लगाया जाएगा।

कार्यक्रम में क्यों नहीं पहुंचे देवेंद्र फडणवीस

इस मौके पर खुद गिरीश महाजन भी मंच पर थे, जिन्हें डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस का करीबी माना जाता है। इस कार्यक्रम में फडणवीस को भी आना था, लेकिन वह पुलिस के एक आयोजन में बिजी थी, जिसके चलते नहीं आ सके। वहीं शिंदे और अजित पवार भी देर से ही पहुंचे क्योंकि भीषण बारिश हो रही थी। दोनों का हेलिकॉप्टर नहीं उतर सका और फिर वे जलगांव में जाकर उतरे। फिर सड़क मार्ग से ही दोनों नेता धुले पहुंचे।

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