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UCC के खिलाफ मस्जिदों के बाहर लगे Bar Code, स्कैन करो-विरोध दर्ज कराओ: AIMPLB ने धमकी देकर कहा- कभी लागू नहीं होने देंगे समान नागरिक संहिता

मस्जिद के बाहर QR कोडदेश में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने को लेकर कुछ मुस्लिम संगठन विरोध कर रहे हैं। इसका विरोध करने के लिए अब तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। बरेली में मस्जिद के बाहर Bar Code लगाया गया है। इसे स्कैन करके UCC के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया जा सकता है। दो दिन पहले मुंबई से भी ऐसी ही खबर आई थी।

उत्तर प्रदेश के बरेली में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के कार्यकर्ताओं ने मस्जिद के बाहर QR कोड लगाया है। इसे लगाने का उद्देश्य है कि मस्जिद में नमाज अता करने आने वाले मुस्लिम इसे मोबाइल से स्कैन कर UCC पर अपना विरोध दर्ज करा सकें। जमीयत ने कहा है कि UCC शरीयत के खिलाफ है। इसलिए मुस्लिम इसका विरोध करते हैं।

समान नागरिक संहिता का सिर्फ जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने ही विरोध नहीं कर रहा है, बल्कि अधिकांश इस्लामी संगठन इसके खिलाफ हैं। मुस्लिमों के संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board- AIMPLB) ने को धमकी देते हुए यहाँ तक कहा है कि वह देश में UCC को लागू नहीं होने देगा।

बरेली की मस्जिद में नमाज पढ़ने आए मुस्लिमों ने बताया कि समान नागरिक संहिता इस्लामी कानून शरीयत के खिलाफ है। मुस्लिम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे, क्योंकि आजादी से पहले ही मुस्लिमों को कुछ नियम-कानून मिले हुए हैं। मुस्लिम उन्हीं नियमों का पालन करते हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले लखनऊ और मुंबई में समान नागरिक संहिता के खिलाफ मस्जिदों के बाहर बार कोड लगाए गए थे। मुंबई शहर के मलाड इलाके के पठानवाड़ी में स्थित नूरानी मस्जिद में UCC का विरोध करने के लिए बार कोड लगाया गया है।

इसकी सूचना मिलते ही इलाके की पुलिस नूरानी मस्जिद पहुँची थी और मस्जिद से जुड़े लोगों को थाने बुलाया था। थाने में उनसे पूछताछ की गई थी। इस क्रम में पूर्व नगर सेवक अहमद जमाल ने बताया कि मुस्लिमों को समान नागरिक संहिता मंजूर नहीं है।

बताते चलें कि AIMPLB और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अलावा, इत्तेहाद मिल्लत काउंसिल (IMC) के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा और ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन ने भी UCC का विरोध किया है। रजा ने कहा कि UCC ड्राफ्ट आने के बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी। UCC से केवल मुस्लिम ही नहीं, 220 जनजातियाँ भी प्रभावित होंगी।

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