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कश्मीरी पंडित माँ-बेटी दोनों से रेप… दोनों के प्राइवेट पार्ट में मारी गोली: कश्मीर फाइल्स फिल्म में जो दिखाया, उससे भी भयावह और क्रूर है इस्लामी आतंक

कश्मीर हिंदू हिंसाकश्मीरी हिंदुओं का दर्द और इस्लामी आतंकवाद के काले चेहरे को उजागर करती फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ में जो दिखाया गया है, जम्मू-कश्मीर की हालत उससे कहीं अधिक भयानक थी। यह कहना है रिटायर्ड IPS अधिकारी और दो बार कश्मीर के आईजीपी रहे एसएम सहाय का। सहाय ने कश्मीरी हिंदू माँ-बेटी के साथ हुए बलात्कार और फिर हत्या की भयावह दास्तान सुनाई है।

‘बीयर बायसेप्स’ नामक यूट्यूब चैनल पर जम्मू-कश्मीर के हालातों पर बात करते हुए एसएन सहाय ने कहा है, “फिल्म में तो बहुत कुछ नाटकीय ढंग से दिखाया गया है। लेकिन, वहाँ जो कुछ भी हो रहा था वह और भी भयानक था। मुझे याद है, एक सुबह मैं जल्दी उठा और मुझे क्रालखुद जाना पड़ा। जहाँ एक कश्मीरी हिंदू महिला और उसकी बेटी एक छोटे से घर में रहती थीं। दोनों के साथ बलात्कार किया गया इसके बाद उन्हें योनि में गोली मार दी गई थी। लड़की की मौके पर ही मौत हो गई थी। जब मैं वहाँ पहुँचा था लड़की की माँ जिंदा थी। मैं उसे लेकर हॉस्पिटल जा रहा था। लेकिन रास्ते में ही उसकी भी मौत हो गई। इससे भयानक भी कुछ हो सकता है?”

राष्ट्रपति पुरस्कार और वीरता पुरस्कार विजेता सहाय ने आगे कहा, “फ़िल्म में जो कुछ भी दिखाने की कोशिश की गई है वहाँ की सच्चाई कहीं अधिक दिल दहलाने वाली है। वह महिला जब जीवित थी तो उसने पूछा कि मेरी लड़की कैसी है? शायद उसे यह पता था कि अब वह नहीं बचेगी। लेकिन उसको खुद से ज्यादा अपनी बेटी की चिंता थी। वह अपनी बेटी के बारे में ही जानना चाहती थी।”

रहने को ठिकाना और खाना माँगा, फिर किया माँ बेटी का रेप

रिटायर्ड आईपीएस एसएम सहाय द्वारा बताई गई यह घटना 30 मार्च, 1992 की है। रात करीब 8:30 बजे इस्लामी आतंकी एक रिटायर्ड ट्रक ड्राइवर सोहन लाल के घर में घुस आते हैं। इसके बाद हथियारबंद आतंकियों ने सोहन लाल से खाना और रुकने के लिए स्थान की माँग की। सोहन लाल के परिवार ने आतंकियों के लिए ठहरने और खाने का इंतजाम किया। करीब 2 घण्टे बाद सोहन लाल और उसकी पत्नी ने देखा कि उनकी बेटी मदद के लिए चिल्ला रही है। जब आतंकियों से बचाने के लिए दोनों वहाँ पहुँचे तो उन्होंने सोहन लाल को गोली मार दी। इसके बाद उन लोगों ने विमला और उनकी बेटी अर्चना के साथ बलात्कार किया। फिर दोनों को गोली मार दी।

साभार: THE HUMAN RIGHTS CRISIS IN KASHMIR

मीडिया में नहीं है जिक्र

बलात्कार और हत्या की इस घटना का स्थानीय स्तर पर विरोध हुआ। लेकिन, इस्लामी आतंकियों की क्रूरता को दर्शाती क्रॉलखुद रेप (Kralkhud Rape Case) की घटना का जिक्र न मीडिया में कहीं नहीं है। हो सकता है कि स्थानीय अखबारों में इसका जिक्र हो लेकिन नेशनल मीडिया में ऐसी भयावह घटनाओं के न होने से यह साफ पता चलता है कि इस्लामी आतंकवाद को छिपाने के लिए किस हद तक प्रयास किए गए।

साभार: Kashmir A Kaleidoscopic View (D. N. Dhar)

ऐसी भीषण घटनाओं के बारे में अब या तो मौके पर तैनात किसी पुलिस अधिकारी से पता चलता है या फिर किसी किताब या रिसर्च पेपर के एक पैराग्राफ में कहानी शुरू होती है और वहीं खत्म हो जाती है। हालाँकि, सच्चाई यह है कि ऐसी घटनाओं पर एक पैराग्राफ नहीं बल्कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी कई फ़िल्में बन सकतीं हैं।

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