मणिपुर के कांगपोकपी जिले में नेशनल हाईवे पर अनिश्चितकाल नाकेबंदी दोबारा शुरू हुई है। राज्य का एक आदिवासी संगठन पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी-जो समुदायों के लिए जरूरी चीजों की पर्याप्त सप्लाई की मांग कर रहा है। इसे लेकर सोमवार को कांगपोकपी में 2 राजमार्गों पर अनिश्चितकाल के लिए नाकेबंदी शुरू की गई। नगालैंड के दीमापुर से इंफाल को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे संख्या-2 (NH-2) और असम के सिलचर को इंफाल से जोड़ने वाले नेशनल हाईवे 37 (NH-37) को बाधित किया गया।
मेइती गुट पर सप्लाई रोकने का लगाया आरोप
सीओटीयू के मीडिया सेल कोऑर्डिनेटर लून किपगेन ने कहा, ‘2 नेशनल हाईवे की आर्थिक नाकेबंदी इसलिए लगाई गई क्योंकि मेइती गुट दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं को हमारे क्षेत्रों तक पहुंचने से रोक रहे हैं। केवल दवाओं की सप्लाई को नाकाबंदी से छूट दी जाएगी, जो कुकी क्षेत्रों में सामानों की सुचारू आवाजाही होने तक जारी रहेगी।’ किपगेन ने कहा कि नाकेबंदी के दौरान जरूरी वस्तुओं को बिना सुरक्षा कवर के ले जाने की इजाजत होगी। हम चाहते हैं कि केंद्र मणिपुर सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दे। हम ऐसा करने के लिए मजबूर हैं।
इस बीच, मणिपुर पुलिस ने रविवार को कहा कि आवश्यक वस्तुओं से भरे 163 वाहनों की एनएच-2 पर आवाजाही सुनिश्चित की गई है। पुलिस की ओर से कहा गया, ‘प्रदर्शन की सभी संभावित जगहों पर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है। साथ ही संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा काफिला मुहैया कराया गया है ताकि वाहनों की मुक्त और सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित की जा सके।’ एक अन्य आदिवासी संगठन कुकी-जो डिफेंस फोर्स ने भी चेतावनी दी है। इनकी ओर से कहा गया कि अगर कुकी-जो जनजाति की बसावट वाले इलाके में आवश्यक सामग्री व दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की गई तो वह 26 अगस्त से सड़कों को बाधित कर देगा।
जातीय हिंसा में 160 से ज्यादा लोगों की मौत
बता दें कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में 3 मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाला गया था। इस आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है, जो अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं। राज्य सरकार की ओर से तमाम कोशिशों के बावजूद अभी तक पूरी तरह से शांति बहाल नहीं हो पाई है।