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चांद के बाद अब सूरज पर छलांग, जानिए- क्या है इसरो का आदित्य L-1 और गगनयान प्लान?

चांद के बाद अब सूरज पर छलांग, जानिए- क्या है इसरो का आदित्य L-1 और गगनयान प्लान?चांद पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग ने भारत के अंतरिक्ष मिशन का आगाज कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान को दोहराते हुए इसरो के अध्यक्ष  एस सोमनाथ ने भी बुधवार को कहा कि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के सुनहरे युग की शुरुआत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में अंतरिक्ष एजेंसी का ध्यान चंद्रयान -3 की सफलता सुनिश्चित करने पर था लेकिन इसके साथ ही इसरो कुछ अन्य बड़ी परियोजनाओं पर भी काम कर रहा है जो आने वाले महीनों में उड़ान भरने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता के साथ भारत ने वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में एक मजबूत और दक्ष खिलाड़ी के तौर पर अपना नाम अंकित किया है।

क्या है आदित्य L-1 मिशन
सोमनाथ ने कहा, “हमारे पास कतार में कुछ बड़े मिशन हैं। चंद्रयान-3 के तुरंत बाद हम आदित्य-एल1 परियोजना शुरू करने जा रहे हैं।” उन्होंने कहा कि यह भारत का पहला सूर्य मिशन है, जो सूर्य का अध्ययन करेगा। इसरो अध्यक्ष के मुताबिक, इस अंतरिक्ष यान को सितंबर की शुरुआत में लॉन्च करने की योजना बनाई जा रही है। प्रोजेक्ट को पहले ही असेंबल किया जा चुका है और श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र ले जाया जा चुका है।  इसरो की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस अंतरिक्ष यान में 7 तरह के वैज्ञानिक पेलोड्स होंगे। इसकी मदद से अलग-अलग तरह से सूर्य का अध्ययन करने में मदद मिलेगी।  यह यान लगभग 5 वर्षों तक सूर्य का अध्ययन करेगा।

आदित्य से आदित्य एल-1 नाम कैसे पड़ा
चूँकि पृथ्वी और सूर्य के बीच हेलो ऑर्बिट (halo orbit)के पहले लैग्रैन्जियन पॉइंट (L1) के आसपास  में रखे गए उपग्रह को बिना किसी बाधा या ग्रहण के सूर्य को लगातार देखने का लाभ होता है, इसलिए आदित्य-1 मिशन का नाम बदलकर आदित्य-L1 कर दिया गया है। इस अंतरिक्ष यान को पृथ्वी और सूर्य के बीच हेलो ऑर्बिट के लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में स्थापित किया जाएगा। इस जगह को बिना किसी बाधा के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए उपयुक्त माना जा रहा है। यह स्थान पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है। इसरो के मुताबिक, इससे सूर्य की गतिविधियों को समझने में आसानी होगी, क्योंकि इसकी वजह से अंतरिक्ष के मौसम पर पड़ने वाले असर की रीयल टाइम जानकारी जुटाई जा सकेगी।

इसरो के नवीनतम मिशन दस्तावेज़ में कहा गया है, “सौर मिशन का अंतरिक्ष यान सात पेलोड ले जाएगा जो विद्युत चुम्बकीय, कण और चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टरों का उपयोग कर प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का अध्ययन करेगा। इनमें से चार पेलोड विशेष सुविधाजनक बिंदु L1 का उपयोग करते हुए सीधे सूर्य को देखेंगे जबकि, शेष तीन पेलोड लैग्रेंज बिंदु L1 पर कणों और क्षेत्रों का इन-सीटू अध्ययन करेंगे और अंतरग्रहीय सौर गतिशीलता के प्रसार प्रभाव का महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अध्ययन करेंगे।”

क्या है मिशन गगनयान
ISRO ने यह भी घोषणा की है कि इसी साल के आखिर तक गगनयान मिशन लॉन्च की जाएगी। गगनयान मिशन तीन चरणों में पूरा होगा। इसका पहला चरण मानव रहित होगा। हालांकि, दूसरे चरण में एक रोबोट को भेजा जाएगा और तीसरे चरण में अंतरिक्ष में तीन एस्ट्रोनॉट भेजे जाएंगे। गगनयान मिशन की शुरुआत सितंबर के आखिरी सप्ताह या अक्टूबर की शुरुआती हफ्तों में होने की उम्मीद है।

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