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गजब स्‍पीड है! सुप्रीम कोर्ट में किससे इतना इम्‍प्रेस हो गए CJI चंद्रचूड़, पूरा किस्सा

नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट में बीते दिनों एक दिलचस्प वाकया हुआ। शुक्रवार को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्‍यक्षता में बेंच दिव्यांगों के अधिकारों से जुड़ा मामला सुन रही थी। एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड संचिता ने सीजेआई के सामने गुहार लगाई कि बधिर एडवोकेट सारा सन्‍नी को वर्चुअल जिरह का मौका दिया जाए। वह चाहती थीं कि सारा साइन लैंग्‍वेज की मदद से दलीलें पेश करें जिन्हें सौरव रॉय चौधरी इंटरप्रेटर करके अदालत को बताएंगे। सीजेआई चंद्रचूड़ फौरन मान गए और इस तरह सुप्रीम कोर्ट में इशारों के जरिए बात कही गई। अगले कुछ मिनट पूरी अदालत ने जो देखा, उससे सब हैरान थे। अदालतों की चिल्ल-पों वाली दुनिया में शांति से, मगर बेहद प्रभावशाली ढंग से दलीलें पेश की जा रही थीं। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी कार्यवाही का साइन लैंग्‍वेज में अनुवाद करने की इजाजत दे दी। सबसे बड़ी अदालत की ओर से यह संदेश था कि अदालतों में हर बात जोर से बोलने की जरूरत नहीं होती।

सारा-सौरव की जुगलबंदी ने सबको हैरान कर दिया

सारा-सौरव की जुगलबंदी ने सबको हैरान कर दिया

सारा का केस नंबर 37 था लेकिन अदालत ने कहा क‍ि वे और उनके इंटरप्रेटर पूरे दिन की कार्यवाही में मौजूद रह सकते हैं। सारा और सौरव की जुगलबंदी अदालत में कई के लिए एकदम नया अनुभव थी। इंटरप्रेटर ने हाथ और उंगलियों के बेहद तेज मूवमेंट से सारा को पूरी कार्यवाही का ब्यौरा दिया। कौन क्‍या कह रहा है, यह बताया। अर्जेंट लिस्टिंग के लिए सीजेआई की बेंच रैपिड फायर के मूड में थी। उस दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘जिस स्पीड से इंटरप्रेटर ने अदालती कार्यवाही से वकील को रूबरू कराया, कमाल था!’ सीजेआई पूरी तरह सहमत दिखे।

सारा ने जावेद आबिदी फाउंडेशन की ओर से याचिका लगाई है। केस की पुकार लगते ही सारा-सौरव की जोड़ी ने साइन लैंग्वेज में बात करते हुए जिरह शुरू की। जब सीजेआई की बेंच ने केंद्र से जवाब मांगा तो अडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा, ‘केंद्र सरकार की ओर से एक अपडेट स्टेटस रिपोर्ट रिपोर्ट दायर की जाएगी ताकि अगले अवसर पर याचिका का फाइनल निपटारा किया जा सके।’ सोमवार को भूमिका ट्रस्ट के संस्‍थापक अध्‍यक्ष जयंत सिंह राघव ने जिरह की थी। वह नेत्रहीन हैं। उन्‍होंने विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम की धारा 23 के प्रावधानों को लागू करने के लिए दलीलें दीं। SC ने केंद्र से जवाब मांगा है।

जहां चाह वहां राह

जहां चाह वहां राह
दृष्टिबाधित वकीलों के लिए, एडवोकेट संतोष कुमार रूंगटा ‘जहां चाह वहां राह’ का जीवंत उदाहरण हैं। उन्होंने अपने केस लड़ने के कौशल में नेत्रहीनता को रुकावट नहीं बनने दिया। 2011 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें ‘वरिष्ठ वकील’ नामित किया गया। वह सीनियर एडवोकेट का गाउन पाने वाले पहले दृष्टिबाधित व्यक्ति हैं। रूंगटा ने 2013 में सरकारी नौकरियों में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए 3% आरक्षण लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से निर्देश प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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