नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में एनकाउंटरों पर जश्न मनता है। पुलिसवालों को प्रमोशन मिलते हैं और इनाम भी दिए जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट में यूपी के एनकाउंटरों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह सवाल उठाया गया। यही नहीं याची ने यूपी सरकार की उस स्टेटस रिपोर्ट पर भी सवाल उठाया, जिसमें कहा गया है कि यूपी पुलिस की अतीक अहमद और अशरफ की हत्या में कोई गलती नहीं थी। इसके अलावा अन्य एनकाउंटरों को लेकर भी यूपी सरकार ने पुलिस को क्लीन चिट दी थी।
याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने कहा, ‘एनकाउंटर में हत्याओं पर राज्य की पुलिस के अधिकारी जश्न मनाते हैं। इसके अलावा असंवैधानिक कार्रवाइयों को बढ़ावा दिया जाता है। यही नहीं आगे बढ़कर प्रमोशन दिए जाते हैं और ऐसी हत्याओं में शामिल अफसरों को पुरस्कारों से नवाजा जाता है।’ इस मामले में यूपी सरकार ने एफिडेविट दाखिल कर कहा था कि पुलिस ने रक्षात्मक कार्रवाई के तहत एनकाउंटर किए थे। इस पर विशाल तिवारी ने कहा कि एक ताकतवर फोर्स के तौर पर पुलिस को अत्यधिक बल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, जब सामने वाली ताकत कमजोर हो।
उन्होंने कहा, ‘पुलिस एक ताकतवर फोर्स है। वह हमेशा सेल्फ डिफेंस की थ्योरी बताकर कमजोर पक्ष पर हमला नहीं कर सकती। जब वे कम ही लोग हों और उनके पास हथियारों की भी कमी हो। जब पुलिस सामने वाले पर हमला करती है और उसे बिना मारे ही काबू कर लिया जाए तो वह जवाबी ऐक्शन कहलाता है। लेकिन जब पुलिस ऐसा ऐक्शन लेती है कि आरोपी मर ही जाए तो फिर वह न्यायिक प्रक्रिया का पालन किए बिना की गई हत्या है।’ विशाल तिवारी ने यह भी कहा कि यूपी सरकार ने सही तथ्य सामने नहीं रखे और अदालत को भ्रमित करने का प्रयास किया है।
गौरतलब है कि यूपी में एनकाउंटरों की संख्या काफी ज्यादा रही है और उसे लेकर मानवाधिकार संगठन सवाल भी उठाते रहे हैं। कुछ महीने पहले गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस सुरक्षा में मीडिया के सामने ही गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा अतीक अहमद के बेटे असद समेत कई लोगों के एनकाउंटर भी हुए, जिसमें बदमाश मारे गए।
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