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सवाल के बदले कैश-तोहफा कांड में फँसीं महुआ मोइत्रा से उनकी पार्टी ने भी किया किनारा: अलग-थलग पड़ीं TMC सांसद, अब बर्खास्तगी की माँग

महुआ मोइत्रा TMC बीजेपीतृणमूल कॉन्ग्रेस ने अपनी लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा से पूरी तरह दूरी बना रखी है। जो भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा ‘संसद में सवाल पूछने के लिए रिश्वत लेने’ के आरोपों का सामना कर रही  हैं। इस मामले में उनपर और कई आरोप सामने आए हैं लेकिन पार्टी महुआ से एक दूरी बनाए हुए हैं। वहीं यह बात भी सामने आई है कि उनका जिला नेतृत्व भी उनसे नाराज है।

ऐसे में TMC नेता कुणाल घोष ने शनिवार (21 अक्टूबर, 2023 ) को कहा, “संबंधित व्यक्ति ही इन मुद्दों का जवाब दे सकता है।” TMC के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने एएनआई को बताया, “इस विशेष मुद्दे पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। हमारे पास इस पर कहने के लिए कुछ नहीं है, तृणमूल कॉन्ग्रेस एक भी शब्द नहीं कहेगी। हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है और कोई टिप्पणी नहीं है। संबंधित व्यक्ति मुद्दों को समझा सकता है या जवाब दे सकता है, लेकिन तृणमूल कॉन्ग्रेस नहीं।”

बीजेपी ने महुआ मोइत्रा को घेरा

वहीं अब लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ सवालों के बदले रिश्वत लेने के आरोपों पर तृणमूल कॉन्ग्रेस की चुप्पी पर प्रतिक्रिया देते हुए, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि तृणमूल यह स्पष्ट किए बिना ‘कोई टिप्पणी नहीं’ नहीं कह सकती कि क्या उनकी चुप्पी का मतलब महुआ मोइत्रा के ‘उल्लंघनों’ को स्वीकार करना है।

पार्टी से सवाल करते हुए उन्होंने पूछा कि तृणमूल कॉन्ग्रेस ने अभी तक महुआ मोइत्रा को बर्खास्त क्यों नहीं किया है, भाजपा नेता ने पूछा कि क्या पार्टी मोइत्रा के खिलाफ कोई कार्रवाई करने से डरती है क्योंकि पार्टी के पास छिपाने के लिए कुछ है। पूनावाला ने कहा, “शायद पार्टी के लोग इसे जानते थे या इसका समर्थन करते थे? टीएमसी को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।”

महुआ मोइत्रा हुईं अपनी ही पार्टी में अलग-थलग

इस पूरे मामले में TMC का कोई टिप्पणी न देना इस बात का संकेत भी है कि पार्टी ने इस विवाद से दूरी बना ली है। वहीं इस मामले में महुआ मोइत्रा आरोप सामने आने के बाद भी इस जिद पर अड़ी हुईं हैं कि वह किसी भी तरह की पूछताछ का सामना करने के लिए तैयार हैं, चाहे वह संसद की आचार समिति हो या सीबीआई।

राशन वितरण घोटाला में पहले से ही फँसी है पार्टी 

तृणमूल का इस मामले से दूरी बनाने को इस घटना से भी जोड़कर देखा जा रहा है कि पार्टी और राज्य सरकार पहले से ही स्कूल की नौकरियों, नगर पालिकाओं की नौकरियों, कोयला और पशु तस्करी जैसे कई कथित घोटालों से घिरी हुई है, जिसमें नया-नया शामिल राशन वितरण घोटाला भी है। ऐसे में महुआ मोइत्रा का पैसे लेकर सवाल पूछने का मुद्दा TMC के लिए एक अतिरिक्त बोझ बन गया है। जिससे पार्टी एक दूरी बनाती हुई नजर आ रही है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसके पहले महुआ मोइत्रा द्वारा माँ काली पर दिए गए विवादित बयान को लेकर पैदा हुए विवाद के दौरान तृणमूल नेतृत्व ने उन्हें चेताया था और कहा था कि भविष्य में इस तरह की कोई बयानबाजी न करें। ऐसे में इस नए विवाद में पार्टी ने महुआ को अपनी लड़ाई खुद लड़ने के लिए छोड़ दिया है।

जिला नेतृत्व पहले से महुआ मोइत्रा से है नाराज

पार्टी या TMC कार्यकर्ताओं या नेताओं के महुआ के साथ न होने की वजह नदिया जिले में पार्टी के भीतर अंदरूनी कलह और जिला नेताओं का महुआ से खफा होना भी बताया जा रहा है। नदिया जिला नेतृत्व के एक वर्ग की ओर से पहले से ही मोइत्रा के खिलाफ उनके निर्वाचन क्षेत्र को ज्यादा समय नहीं देने की शिकायतें पार्टी नेतृत्व को मिली थीं। जिससे मोइत्रा के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण पहले से ही मौजूद था। वहीं इस मामले ने स्थिति और ख़राब कर दी है।

महुआ मोइत्रा ने उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत ली

ओम बिरला को लिखे पत्र में, दुबे ने वकील जय अनंत देहाद्राई से प्राप्त एक पत्र का हवाला दिया और कहा कि वकील ने ‘पुख्ता’ सबूत साझा किए हैं कि महुआ मोइत्रा ने संसद में सवाल पूछने के लिए उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी से ‘नकद’ और ‘उपहार’ के रूप में रिश्वत ली है। वहीं दुबे के पत्र के जवाब में, मोइत्रा ने कहा था कि सांसदों के सभी संसदीय कार्य निजी सहायक (पीए), सहायकों, प्रशिक्षुओं और बड़ी टीम द्वारा किए जाते हैं।

बता दें कि लोकसभा की आचार समिति ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा दायर शिकायत के संबंध में इस महीने के अंत में मौखिक साक्ष्य के लिए भाजपा सांसद और वकील जय अनंत देहाद्राई को बुलाया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि टीएमसी सांसद की ‘संसद में कैश फॉर क्वेरी’ मामले में सीधी भागीदारी है।

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