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भारतीय सैनिकों को निकालने का ऐलान करना मालदीव पर पड़ रहा भारी, ‘बदला’ लेने जा रहा भारत

भारतीय सैनिकों को निकालने का ऐलान करना मालदीव पर पड़ रहा भारी, 'बदला' लेने जा रहा भारतनई दिल्ली। मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू का भारत के सैनिकों के खिलाफ रुख उनपर ही भारी पड़ गया है। मुइज्जू की ताजपोशी को लेकर मालदीव ने पड़ोसी देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित कर किया था। मगर भारत ने मुइज्जू के शपथ ग्रहण समारोह खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। भारत केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को भेजकर खानापूर्ति पड़ोसी होने के फर्ज की खानापूर्ति करने वाला है। उल्लेखनीय है कि मालदीव के पिछले राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी खुद आए थे, मगर इस बार भारत पृथ्वी विज्ञान मंत्री को मालदीव के राष्ट्रपति की ताजपोशी में भेजने वाला है। विदेश मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी साझा करते हुए कहा कि मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के निमंत्रण पर राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए किरेन रिजिजू 16-18 नवंबर तक मालदीव का दौरा करेंगे।

मालदीव ने मोहम्मद मुइज्जू के शपथ ग्रहण समारोह के लिए पड़ोसी देशों के राष्ट्राध्यक्षों या सरकार के प्रमुखों को आमंत्रित किया था। उल्लेखनीय है कि मुइज्जू को चीन के करीबी माने जाने वाले गठबंधन का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने ‘इंडिया आउट’ अभियान का समर्थन किया था और मालदीव से सभी भारतीय सुरक्षा सैनिकों को हटाने का वादा किया था। मुइज्जू के रुख का अपने अंदाज में जवाब देते हुए भारत ने उनकी ताजपोशी में खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है।

बता दें रिजिजू का मालदीव में होना भी चीन के लिए एक जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। सीमावर्ती राज्य अरुणाचल प्रदेश से हैं, जिस पर चीन अपना दावा करता है। चीनी पक्ष द्विपक्षीय या बहुपक्षीय कार्यक्रमों में अरुणाचल प्रदेश के मंत्रियों या अधिकारियों की उपस्थिति को लेकर हमेशा असहज रहा है। ऐसे में मुइज्जू के शपथ ग्रहण समारोह में रिजिजू की मौजूदगी से चीन की बेचैनी बढ़ने वाली है।

सोलिह की ताजपोशी में पहुंचे थे पीएम 

सितंबर में राष्ट्रपति पद की दौड़ में मुइज्जू ने राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हराया। उल्लेखनीय है कि सितंबर 2018 में सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाग लिया था। सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में 46 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे, हालांकि मोदी इस कार्यक्रम में आमंत्रित एकमात्र सरकार प्रमुख थे।

सोलिह ने सत्ता में आने के बाद ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति अपनाई थी। उन्होंने बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं के लिए बजटीय समर्थन और अरबों डॉलर के अनुदान और आसान ऋण के लिए भारत से संपर्क किया था। इसके विपरीत मुइज्जू की नीति भारत विरोधी है, ऐसे में भारत मालदीव के साथ संबंधों को सावधानीपूर्वक अंजाम दे रहा है।

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