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‘INDIA’ को एक और बड़ा झटका, BJP के साथ जा सकते हैं जयंत चौधरी, RLD को 4 सीटों का ऑफर

रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी बीजेपी के साथ गठबंधन कर सकते हैंलखनऊ। लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हैट्रिक रोकने की तैयारी में जुटे INDIA गठबंधन को एक और बड़ा झटका लग सकता है. कारण, जयंत चौधरी बीजेपी के साथ गठबंधन में शामिल हो सकते हैं. सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने यूपी में आरएलडी को चार लोकसभा सीटों का ऑफर दिया है. इसके बाद चर्चाएं तेज हैं कि आरएलडी और समाजवादी पार्टी का गठबंधन टूट सकता है.

सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ने जो 4 सीटें आरएलडी को ऑफर की हैं, उनमें कैराना, बागपत, मथुरा और अमरोहा शामिल हैं. वहीं समाजवादी पार्टी चाहती थी कि उसके उम्मीदवार मुजफ्फरनगर, कैराना, बिजनौर लोकसभा सीटों पर आरएलडी के सिंबल पर चुनाव लड़ें. इसके चलते आरएलडी और सपा गठबंधन में टूट के कारण बनते दिख रहे हैं.

बता दें कि काफी पहले ही जयंत चौधरी और अखिलेश यादव की लखनऊ में हुई मुलाकात के बाद सात सीटों पर डील हो गई थी. इन 7 सीटों में बागपत, मुजफ्फरनगर, कैराना, मथुरा और हाथरस तो तय हैं लेकिन दो सीटों पर अभी भी नाम को लेकर संशय बना हुआ था. अभी यह नहीं हो पा रहा कि मेरठ, बिजनौर, अमरोहा, नगीना और फतेहपुर सीकरी में से कौन सी और 2 सीट आरएलडी को दी जाएंगी.

वहीं मुजफ्फरनगर में प्रत्याशी को लेकर भी सपा और आरएलडी में खींचतान बताई गई थी. समाजवादी पार्टी चाहती है की हरेंद्र मलिक को वहां से आरएलडी के सिंबल पर चुनाव लड़ाया जाए. आरएलडी के कई स्थानीय नेता इसके विरोध में हैं और नहीं चाहते की हरेंद्र मलिक को मुजफ्फरनगर की सीट दी जाए. कारण, हरेंद्र मलिक जब कांग्रेस में हुआ करते थे तब से चौधरी परिवार से पुरानी अदावत रही है और मुजफ्फरनगर सीट चौधरी परिवार की कोर सीट मानी जाती है.

यूपी में 2018 उपचुनाव से है गठबंधन

बता दें कि उत्तर प्रदेश में आरएलडी और सपा का गठबंधन 2018 के लोकसभा उपचुनाव से है. कैराना लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सपा ने अपनी नेता तबस्सुम हसन को आरएलडी के सिंबल पर चुनाव लड़ाया था. इस चुनाव में तबस्सुम हसन की शानदार जीत हुई थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों दलों ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था. तब सपा ने आरएलडी को तीन सीटें दी थीं, हालांकि किसी भी सीट पर आरएलडी जीत नहीं सकी. वहीं इस चुनाव में सपा पांच सीटें जीती थी, जबकि बसपा ने दस सीटों पर जीत दर्ज की थी. 2022 का विधानसभा चुनाव भी सपा और आरएलडी ने मिलकर लड़ा था. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी ने आरएलडी को 33 सीटें दी थीं. इनमें से आरएलडी ने 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

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