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WhatsApp पर लगाई DGP प्रशांत कुमार की डीपी, फिर अफसरों को मैसेज भेज की पैसों की डिमांड, पुलिस ने किया अलर्ट

डीजीपी प्रशांत कुमार उत्तर प्रदेश से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां जालसाज अपने व्हाट्सऐप पर डीजीपी प्रशांत कुमार (DGP Prashant Kumar) की डीपी (फोटो) लगाकर ठगी करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में खुद यूपी पुलिस ने लोगों से सतर्क रहने के लिए कहा है. साथ ही दोषियों के खिलाफ एक्शन लेने की बात कही है. बताया जा रहा है कि जालसाज जिले के अफसरों को फोन कर ठगी का प्रयास कर रहे हैं.

इस मामले में DGP प्रशांत कुमार ने कहा है कि बावर्दी व्हाट्सऐप पर डीपी लगाकर अनुचित मांग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि डीजीपी की फोटो लगाकर दुरुपयोग करने वालों की पुलिस को तत्काल सूचना दें.

दरअसल, डीजीपी प्रशांत कुमार (DGP Prashant Kumar) की अपने व्हाट्सऐप पर डीपी लगाकर कई पुलिस अधिकारियों को ठगने का प्रयास करने का मामला सामने आया है. अधिकारियों के पास रुपयों के डिमांड के मैसेज किए गए. ऐसे में अब यूपी पुलिस ने ऐसे मैसेज से सतर्क रहने के लिए कहा है.

सोशल मीडिया के जरिए जनता से अपील

दावा किया जा रहा है कि कुछ व्यापारियों के पास भी ऐसे मैसेज पहुंचे हैं. जिसपर अब पुलिस ने सोशल मीडिया के जरिए जनता से अपील की है कि डीजीपी प्रशांत कुमार की वर्दी में तस्वीर को अपने निजी या सरकारी मोबाइल नंबर के व्हाट्सऐप की डीपी पर न लगाएं.

पुलिस ने अपील करते हुए कहा- संज्ञान में आया है कि अराजक तत्वों द्वारा डीजीपी महोदय की बावर्दी अपने व्हाट्सऐप पर डीपी लगाकर उसका दुरुपयोग किया जा रहा है. कुछ मोबाइल नंबरों पर फोन/मैसेज कर पैसों की डिमांड की जा रही है.

इस संबंध में अवगत कराना है कि डीजीपी द्वारा निजी अथवा सरकारी व्हाट्सऐप नंबर पर बावर्दी डीपी का उपयोग नहीं किया जा रहा है. ना ही किसी से पैसों की मांग की गई है. इसलिए आप सब सतर्क रहें. फिलहाल, आवश्यक कार्यवाही की जा रही है. अगर आपको ऐसी कोई जानकारी मिले तो पुलिस को सूचित करें.

मालूम हो कि 31 जनवरी को IPS प्रशांत कुमार को उत्तर प्रदेश का नया कार्यवाहक डीजीपी (DGP) बनाया गया है. प्रशांत कुमार अभी तक स्पेशल डीजी के पद पर कार्यरत थे. प्रशांत कुमार को यूपी पुलिस में ‘सिंघम’ के नाम से भी जाना जाता है. हाल ही में उन्हें गैलेंट्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है.

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