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मोदी सरकार ने चंदा हासिल करने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया, अपने वित्तीय लेन-देन पर ‘श्वेत पत्र’ लाए BJP: खड़गे

कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा कि BJP अपने वित्तीय लेन-देन पर ‘श्वेत पत्र’ लाएकांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार पर चंदा हासिल करने के लिए जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया और कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को अपने वित्तीय लेन-देन पर ‘श्वेत पत्र’ लाना चाहिए।

खड़गे ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ क्या अधिक चंदा पाने के लिए यह ब्लैकमेल, रंगदारी, लूट और जबरदस्ती थी ? ताजा जांच से पता चलता है कि ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग के छापों के बाद 15 और कंपनियों ने बीजेपी को चंदा दिया, जिससे कुल मिलाकर 45 कंपनियों ने बीजेपी को लगभग 400 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।’’

उन्होंने कहा कि खबरों के मुताबिक, चार ‘शेल’ कंपनियों ने भी बीजेपी को पैसे दिए। खड़गे ने आरोप लगाया कि ‘‘तानाशाह मोदी सरकार’’ ने कांग्रेस पार्टी के बैंक खाते फ्रीज कर दिए हैं, जबकि वह केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग करके पैसे निकालती है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया, ‘‘बीजेपी ने अपने लूट के खजाने को भरने के लिए असंवैधानिक और अवैध चुनावी बांड का इस्तेमाल किया और अपने चंदे की लूट को 10 गुना बढ़ाने के लिए चुनावी ट्रस्ट में भी हेरफेर किया है।’’ उन्होंने कहा कि यदि बीजेपी को ‘‘लोकतंत्र की जननी’’ की चिंता है तो उसे स्वतंत्र जांच के माध्यम से अपने वित्तीय लेन-देन पर श्वेत पत्र लाना चाहिए।’’

चुनावी बॉन्ड से खुलासा! जिन कंपनियों पर पड़े छापे, उन्होंने दिया चंदा, जिन्हें मिला धंधा, उन्होंने भी दिया चंदा: जयराम रमेश

कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग द्वारा चुनावी बॉन्ड के आंकड़े सार्वजनिक किए जाने के बाद कहा कि यह आंकड़े ‘किसी लाभ के बदले लाभ पहुंचाने, हफ्ता वसूली, रिश्वतखोरी और मुखौटा कंपनियों के माध्यम से धनशोधन’ जैसी बीजेपी की ‘भ्रष्ट तरकीबों’ को बेनकाब करते हैं।

फोटो: सोशल मीडिया चुनाव आयोग अपनी वेबसाइट पर चुनावी बॉन्ड से जुड़ा डेटा अपलोड करने के बाद कांग्रेस पार्टी की इस प्रतिक्रिया आई है। कांग्रेस महासचिव संचार प्रभारी जयराम रमेश ने एक बयान जारी किया है।

बयान में का गया है, “इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी सामने आने के बाद यह पहला विश्लेषण है जिसे एसबीआई ने चुनाव के बाद तक स्थगित करने के कई हफ़्तों के प्रयास के बाद कल रात सार्वजनिक किया:

  • 1,300 से अधिक कंपनियों और व्यक्तियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में दान दिया है, जिसमें 2019 के बाद से बीजेपी को 6,000 करोड़ से अधिक का दान शामिल है।

अब तक, इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा बीजेपी की कम से कम 4 भ्रष्ट नीति को सामने लाता है:

1) चंदा दो, धंधा लो

ऐसी कई कंपनियों के मामले हैं जिन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड दान किया है और इसके तुरंत बाद सरकार से भारी लाभ प्राप्त किया है:

क. मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रा ने 800 करोड़ रुपए से अधिक इलेक्टोरल बॉन्ड में दिए हैं। अप्रैल 2023 में, उन्होंने 140 करोड़ डोनेट किया और ठीक एक महीने बाद, उन्हें 14,400 करोड़ रुपए की ठाणे-बोरीवली ट्विन टनल प्रोजेक्ट मिल गया।

ख. जिंदल स्टील एंड पावर ने 7 अक्टूबर 2022 को इलेक्टोरल बॉन्ड में 25 करोड़ रुपए दिए और सिर्फ़ 3 दिन बाद वह 10 अक्टूबर 2022 को गारे पाल्मा 4/6 कोयला खदान हासिल करने में कामयाब हो गया।

2) हफ़्ता वसूली:

बीजेपी की हफ्ता वसूली नीति बेहद सरल है – ईडी/सीबीआई/आईटी के माध्यम से किसी कंपनी पर छापा मारो और फ़िर कंपनी की सुरक्षा के लिए हफ़्ता (“दान”) मांगो। शीर्ष 30 चंदादाताओं में से कम से कम 14 पर छापे मारे गए हैं।

क. इस साल की शुरुआत में एक जांच में पाया गया कि ईडी/सीबीआई/आईटी छापे के बाद, कंपनियों को चुनावी ट्रस्टों के माध्यम से बीजेपी को दान देने के लिए मजबूर किया गया था। हेटेरो फार्मा और यशोदा अस्पताल जैसी कई कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से चंदा दिया है।

ख. इनकम टैक्स विभाग ने दिसंबर 2023 में शिरडी साईं इलेक्ट्रिकल्स पर छापा मारा और जनवरी 2024 में उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से 40 करोड़ रुपए का दान दिया।

ग. फ्यूचर गेमिंग एंड होटल्स ने 1200 करोड़ रुपए से अधिक का दान दिया है जो इसे अब तक के आंकड़ों में सबसे बड़ा दान देने वाला बनाता है। आप क्रोनोलॉजी समझिए:

2 अप्रैल 2022: ईडी ने फ्यूचर पर छापा मारा, और 5 दिन बाद (7 अप्रैल) को उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड में 100 करोड़ रुपए का दान दिया।

अक्टूबर 2023: आईटी विभाग ने फ्यूचर पर छापा मारा, और उसी महीने उन्होंने इलेक्टोरल‌ बॉन्ड में 65 करोड़ रुपए का दान दिया।

3) रिश्वत लेने का नया तरीक़ा

आंकड़ों से एक पैटर्न उभरता है, जिसमें केंद्र सरकार से कुछ मदद मिलने के तुरंत बाद कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से एहसान चुकाया है।

क. वेदांता को 3 मार्च 2021 को राधिकापुर पश्चिम प्राइवेट कोयला खदान मिला, और फिर अप्रैल 2021 में उन्होंने चुनावी बॉन्ड में 25 करोड़ रुपए का दान दिया।

ख. मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रा को अगस्त 2020 में 4,500 करोड़ का जोजिला सुरंग प्रोजेक्ट मिला, फिर अक्टूबर 2020 में उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड  बॉन्ड में 20 करोड़ रुपए का दान दिया।

ग. मेघा को दिसंबर 2022 में बीकेसी बुलेट ट्रेन स्टेशन का कॉन्ट्रैक्ट मिला, और उन्होंने उसी महीने 56 करोड़ रुपए का दान दिया।

4) शेल कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग

इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के मामले में एक बड़ा मुद्दा यह है कि इसने यह प्रतिबंध हटा दिया कि किसी कंपनी के मुनाफे का केवल एक छोटा प्रतिशत ही दान किया जा सकता है, जिससे शेल कंपनियों के लिए काला धन डोनेट करने का रास्ता साफ़ हो गया। ऐसे कई संदिग्ध मामले हैं, जैसे 410 करोड़ रुपए का दान क्विक सप्लाई चेन लिमिटेड द्वारा दिया गया है, यह एक ऐसी कंपनी है जिसकी पूरी शेयर पूंजी MoCA फाइलिंग के अनुसार सिर्फ 130 करोड़ रुपए है।

बयान में आगे कहा गया, “एक अन्य प्रमुख मुद्दा डेटा का नहीं होना है

  • एसबीआई द्वारा प्रदान किया गया डेटा अप्रैल 2019 से शुरू होता है, लेकिन एसबीआई ने मार्च 2018 में बॉन्ड की पहली किश्त बेची। इससे 2,500 करोड़ रुपए के बॉन्ड का डेटा गायब है। मार्च 2018 से अप्रैल 2019 तक इन गायब बांड्स का डेटा कहां है? उदाहरण के लिए, बांड की पहली किश्त में, बीजेपी को 95% धनराशि मिली। बीजेपी किसे बचाने की कोशिश कर रही है?

जैसे-जैसे इलेक्टोरल बॉन्ड डेटा का विश्लेषण आगे बढ़ेगा, बीजेपी के भ्रष्टाचार के ऐसे कई मामले स्पष्ट होते जाएंगे। हम यूनिक (विशिष्ट) बॉन्ड आईडी नंबरों की भी मांग करते रहेंगे, ताकि हम दाताओं का प्राप्तकर्ताओं से सटीक मिलान कर सकें।”

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