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मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ : सहयोगी दलों ने टारगेट पर लिया तो विरोधी कर रहे जमकर तारीफ

यूपी की राजनीति में अचानक समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के मुस्लिम सांसद योगी आदित्यनाथ सरकार की तारीफों की पुल बांध रहे हैं . दूसरी ओर सहयोगी दल योगी सरकार को टारगेट कर रहे हैं. इस बीच बीजेपी कार्यकर्ताओं ने भी पुलिस उत्पीड़न की शिकायतें बढ़ा दी हैं.

योगी आदित्यानाथ, उत्तर प्रदेश की राजनीति किधर जा रही है?लोकसभा चुनावों में बीजेपी को मिली उत्तर प्रदेश में हार के बाद से राजनीति खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है. लग रहा है कि प्रदेश में अभी भी चुनावी माहौल है. आरोप-प्रत्यारोप के दौर भी लगातार चल रहे हैं. एक तरफ एनडीए के साथी दल अपना दल और निषाद पार्टी ने योगी सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकारी नौकरियों में आरक्षित सीटों पर एसटी-एससी और ओबीसी की भर्तियां नहीं हो रही हैं. उन्हें Not Found Suitable लिखकर रिजेक्ट किया जा रहा है और नौकरी नहीं दी जा रही है. इसके साथ ही यह भी आरोप है कि आरक्षित सीटों को अनारक्षित करके और वहां नौकरी दी जा रही हैं. सवाल उठना स्वाभाविक है अचानक कई साल बाद अचानक इन सहयोगी दलों का जमीर जाग गया है या जानबूझकर किसी रणनीति के तहत सवाल उठाएं जा रहे हैं. ठीक उसी तरह योगी आदित्यनाथ के धुर विरोधी अचानक उनकी तारीफ करनी शुरू कर दिए हैं.उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी और कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद ने योगी की तारीफ में जो बातें की हैं उससे जनता में कई तरह के संदेश जा रहे हैं.

पहले चर्चा करते हैं गाजीपुर के सपा सांसद अफजाल अंसारी की. ये पूरा देश जानता है कि अफजाल अंसारी माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के भाई हैं. अंसारी परिवार की तमाम प्रॉपर्टीज और बिजनेस को नेस्तनाबूद करने में सीएम योगी का हाथ रहा है.अंसारी परिवार के साम्राज्य को जिस नेता तहस नहस कर दिया उस नेता की तारीफ अंसारी परिवार अगर कर रहा है तो मामला रहस्यमय तो लगेगा ही. इसी तरह से सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भी यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ में कसीदे पढ़े. 2024 लोकसभा चुनाव नतीजे के बाद अफजाल ने कहा था कि अगर योगी आदित्यनाथ वाराणसी में प्रचार नहीं करते तो पीएम नरेंद्र मोदी चुनाव हार जाते. उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ की वजह से ही बीजेपी यूपी में 33 सीटें जीत पाई. उन्होंने कहा था कि अगर योगी प्रचार नहीं करते तो बीजेपी तीन सीटें ही जीत पाती. उनका कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा खत्म हो चुका है. यही कारण है कि बीजेपी वाराणसी के आसपास की सभी सीटें हार गई जबकि योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के साथ-साथ पड़ोस की सभी लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रहें. सहारनपुर लोकसभा से पहली बार सांसद चुने गए इमरान मसूद ने सूबे की बिजली व्यवस्था को लेकर योगी सरकार की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा, सहारनपुर में बहुत-बहुत दिन तक लाइट नहीं आती थी. गर्मियों में हर साल ऐसा ही हाल रहता था, लेकिन इस बार इतनी भीषण गर्मी में भी यूपी में बिजली सही तरीके से आई है और बिजली विभाग के कर्मियों ने लगातार काम किया है. इस वजह से सूबे में बहुत ही बेहतर तरीके से बिजली आ रही.

अब सवाल उठता है कि योगी की तारीफ ये विरोधी दलों के सांसद क्यों कर रहे हैं. इसके लिए तरह तरह की बातें की जा रही हैं. कुछ लोग कहते हैं इमरान मसूद को क्षेत्र के राजपूत वोटर्स ने वोट दिया था इसलिए वो योगी को सपोर्ट कर रहे हैं. कुछ का कहना है कि इमरान मसूद और अफजाल अंसारी के खिलाफ तमाम केस हैं जिनके चलते वो योगी से राहत की उम्मीद कर रहे हैं. पर यह विषय का साधारणीकरण है. योगी का सपोर्ट करके ये अपने धुर समर्थकों का अपमान भी तो कर रहे हैं. जिस योगी ने इमरान मसूद को अजहर मसूद का दामाद बताया था या जिस योगी ने अंसारी परिवार को नेस्तनाबूद कर दिया उसको सपोर्ट करने की बात इतनी सी नहीं हो सकती है. जाहिर है ये केवल पीएम नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ की जोड़ी को कमजोर करने की साजिश का नाम हो सकता है. विपक्ष जानता है कि जब तक यह जोड़ी आबाद रहेगी यूपी में बीजेपी का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा.

सहयोगी दलों ने टारगेट पर लिया

अब सवाल उठता है कि अचानक सहयोगी दलों को क्यों यूपी में मिर्ची लगने लगी है. एनडीए सरकार में पिछले 10 सालों से शामिल अपना दल (एस) की चीफ और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल को अब लगता है कि उत्तर प्रदेश में आरक्षण का दुरुपयोग हो रहा है. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा है. इसके तुरंत बाद एनडीए में ही शामिल निषाद पार्टी के चीफ और योगी कैबिनेट में मंत्री संजय निषाद ने भी योगी सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है.

अनुप्रिया ने आरोप लगाया कि एसटी-एससी और ओबीसी नियुक्तियों में साक्षात्कार के जरिए होने वाली भर्तियों में गड़बड़ी की जा रही है. उनका आरोप था कि आरक्षित सीटों पर एसटी-एससी और ओबीसी की भर्तियां नहीं हो रही हैं. उन्हें Not Found Suitable लिखकर रिजेक्ट किया जा रहा है और नौकरी नहीं दी जा रही है. इसी के साथ अनुप्रिया पटेल ने ये भी आरोप लगाया कि आरक्षित सीटों को इसके बाद अनारक्षित किया जा रहा है और वहां नौकरी दी जा रही हैं.अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं. उनके पति आशीष पटेल उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं. सवाल यह उठता है कि क्या आरक्षण को लेकर दुरुपयोग केवल यूपी में हो रहा है. अनुप्रिया पटेल केंद्रीय मंत्री की हैसियत से किसी भी सरकार को पत्र लिख सकती हैं. हो सकता है कि उन्हें केवल यह समस्या यूपी में ही दिख रहा हो. या यह भी हो सकता है कि उन्हें केवल यूपी में ही राजनीति करनी हो. सवाल तो उठेंगे ही कि अचानक उन्हें यूपी सरकार में क्यों बुराई दिखने लगी.

लोकसभा चुनाव-2024 में विपक्षी राजनीतिक दलों ने संविधान बचाओ के नाम पर भाजपा पर आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाया था. विपक्षी दलों का कहना था कि भाजपा सरकार आरक्षण को खत्म करने का विचार कर रही है.विपक्ष ने साफ कहा था कि अगर भाजपा को 400 सीट मिल जाती हैं तो भाजपा इस बार आरक्षण खत्म करके संविधान भी बदल देगी. विपक्ष के इन आरोपों का असर चुनावी परिणाम में  देखने को मिला. उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में दलित वोट समाजवादी पार्टी की ओर शिफ्ट हुए . एनडीए में शमिल निषाद पार्टी के चीफ और योगी सरकार में केबिनेट मंत्री संजय निषाद ने भी भाजपा को आरक्षण के मुद्दे पर घेर रहे हैं. संजय निषाद कहते हैं कि जब योगी जी सांसद थे तब वह सदन में निषाद समाज के लिये आरक्षण की मांग करते थे. पर सरकार में आने के बाद कोई प्रयास नहीं किया गया.

लगातार यह साबित करने की कोशिश हो रही है कि प्रदेश में नौकरशाही हॉवी हैं

सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यूपी में वीआईपी कल्चर को खत्म करने के लिए लाल-नीली बत्ती और हूटर लगी गाड़ियों पर एक्शन लिया जा रहा है. उत्तर प्रदेश के कई जिलों से ऐसी खबरें आईं हैं जहां भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेताओं ने स्थानीय पुलिस और प्रशासन पर पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को परेशान करने का आरोप लगाया गया है. कुल मिलाकर ऐसी तस्वीर बनाने की कोशिश हुई है कि नौकरशाही प्रदेश में बुरी तरह हॉवी है. बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं की कोई सुनवाई नहीं है. इस बीच में जगह जगह पुलिस की चेकिंग में भी कई बीजेपी नेताओं का प्रशासन ने अपमान किया है. बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी के साथ जो हुआ उसके बाद तो ये चर्चा और गरम हो गई कि प्रशासन में बीजेपी के लोगों की पूछ नहीं के बराबर है. त्रिपाठी ने पुलिस को दी गई अपनी लिखित शिकायत में आरोप लगाया था कि उनके वाहन के सभी कागजात पूरे थे, इसके बावजूद अधिकारी ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया.

इसी कड़ी में बीते दिनों कानपुर में एक बीजेपी नेता की गाड़ी को पुलिसवालों ने चेक किया था. जिसके बाद बवाल मच गया और भाजपाई अभद्रता का आरोप लगाते हुए पुलिस से भिड़ गए थे. मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी. लेकिन अब प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इस मुद्दे पर अलग ही बयान दिया है. उन्होंने दो टूक कहा कि जिस तरह यहां-वहां गाड़ियों को रोककर चेक करने का अभियान चल रहा है, उससे वो सहमत नहीं हैं. ब्रजेश पाठक ने कहा कि इस अभियान को रोका जाना चाहिए. कार्यकर्ताओं से अभद्रता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने बीजेपी नेता पर पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मुकदमे को खत्म करने की भी बात कही.

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