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20000 महिलाओं को रेप-मौत से बचाने के लिए जब कॉन्ग्रेसी मंत्री ने RSS से माँगी थी मदद: एक पत्र में दर्ज इतिहास, जिसे छिपा लिया गया

तत्कालीन रक्षा मंत्री सरदार बलदेव सिंह ने सरदार पटेल को पत्र लिखा था। इस पत्र की एक कॉपी उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी भेजी थी। पत्र की खास बात यह थी कि नेहरू सरकार में मंत्री रहते हुए सरदार बलदेव सिंह ने आरएसएस की मदद माँगी थी।

विभाजन के समय माँगी गई आरएसएस से मददकॉन्ग्रेस ने समय-समय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर जो हमले किए वो किसी से छिपे नहीं है, लेकिन ये बात भी हकीकत है कि मुश्किल के समय में आरएसएस ही वो संगठन था जो नेहरू सरकार के सबसे ज्यादा काम आया था। बात 1947 की है। विभाजन की आग में लोग जल रहे थे। हिंदू और सिख महिलाओं का अपहरण हो रहा था। तब, तत्कालीन रक्षा मंत्री सरदार बलदेव सिंह ने तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने आरएसएस से मदद लेने की बात सुझाई थी। इस पत्र की एक कॉपी उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी भेजी थी।

पत्र की खास बात यह थी कि नेहरू सरकार में मंत्री होते सरदार बलदेव सिंह ने आरएसएस की मदद माँगी थी। पत्र के मुताबिक जिस समय ये मुद्दा उठाया गया था उस समय तक पश्चिम पंजाब से 20 हजार महिलाओं और लड़कियों का अपहरण हो चुका था। बताया जाता है कि आरएसएस ने उस समय पाकिस्तान में घुसकर लोगों की मदद की थी और कइयों को बचाया भी था। पत्र की कॉपी को आज सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है। इसका कारण यही है कि हाल में मोदी सरकार ने आरएसएस पर लगे उस बैन को हटाया है जो कॉन्ग्रेस ने 58 साल पहले लगाया था।

इस पत्र में सरदार बलदेव सिंह ने पश्चिम पंजाब में गैर मुस्लिमों की चिंता जाहिर करते हुए सरदार वल्लभ भाई पटेल से साफ-साफ कहा था कि पश्चिम पंजाब के शहर और गाँव की एक भी जगह ऐसी नहीं है जहाँ पर महिलाएँ पीड़ित न हों, लड़कियों का अपहरण न हो रहा हो। उन्होंने इस पत्र में वो बिंदु सुझाए थे जिनके जरिए लड़कियों को बचाने का काम हो सकता है। इसमें सबसे पहले कहा गया था कि रेस्क्यू अधिकारी नियुक्त किए जाएँ, इन्हें अधिकार दिया जाए, इन्हें काम पूरा करने के लिए अगर पुलिस और मिलिट्री की जरूरत हो तो वो दी जाए।

आगे उन्होंने सीक्रेट सर्विस का जिक्र करते हुए ये भी बताया था कि इलाके में कुछ उत्साही युवा मुखबिर के रूप में कार्य करने के लिए इस्लाम अपनाने के लिए भी तैयार हैं. क्योंकि यही तरीका है जिससे कि सही जानकारी पाई जा सकती है। बलदेव सिंह ने इस पत्र में कहा था कि उन्हें लगता है कि उन्हें ऐसे युवाओं से मदद लेने से नहीं झिझकना चाहिए क्योंकि यही लोग उन्हें वास्तविक स्थिति बता सकते हैं। इसी पत्र में अगर आगे देखेंगे तो कहा गया है कि आरएसएस ‘फील्ड वर्क’ के लिए लोगों को अत्यधिक प्रशिक्षित करेगा और संघ प्रमुख श्री गोलवर्कर से परामर्श लिया जा सकता है।

तत्कालीन रक्षा मंत्री द्वारा लिखा गया पत्र

पत्र में आरएसएस का नाम साफ-साफ है। इसके साथ ही नीचे तत्कालीन रक्षा मंत्री बलदेव सिंह के हस्ताक्षर भी हैं। इस पत्र को गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने लिखा था जबकि इसकी कॉपी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भेजे गई थी। इसके बाद जो हुआ वो इतिहास में दर्ज है।

बता दें कि सरदार बलदेव सिंह के इस पत्र से पहले ऐसा नहीं था कि आरएसएस स्वयंसेवक शांति से बैठे थे, वो उससे पहले भी पाकिस्तान में फँसे लोगों की मदद करने में लगे थे। शायद यही वजह थी कि उन्हें मुश्किल के समय में रक्षा मंत्री द्वारा याद किया गया। लाहौर में अंग्रेजी के प्रोफेसर एएन बाली ने 1949 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘नाउ इट कैन बी टोल्ड’ में बताया है कि कैसे संघ के स्वयंसेवकों ने सूबे के हर मोहल्ले में हिंदू-सिख महिलाओं और बच्चों को खतरनाक इलाकों से निकालकर सुरक्षित केंद्रों तक पहुँचाने का काम किया। हिंदुओं और सिखों को भारत ले जाने वाली ट्रेनों तक पहुँचाने के लिए लॉरी और बसों की व्यवस्था की गई और उसकी सुरक्षा के उपाय किए गए। हिंदू और सिख इलाकों में चौकसी रखी जाती थी और हमला होने पर बचाव के उपाय सिखाए जाते थे। यहाँ तक ​​कि पंजाब के कई जिलों में कॉन्ग्रेस के नेताओं ने भी अपने परिवारों और रिश्तेदारों को बचाने के लिए आरएसएस की मदद माँगी थी। बाद में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने 11 अगस्त 1948 को संघ के दूसरे सरसंघचालक एमएस गोलवरकर ‘गुरुजी’ को लिखे पत्र में कहा था कि आरएसएस ने संकट के समय में हिंदू समाज की सेवा की है। संघ के युवाओं ने महिलाओं और बच्चों की रक्षा की और उनके लिए बहुत कुछ किया।

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