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बलिया में ट्रकों से करोड़ों रुपए की अवैध वसूली, योगी सरकार ने चलाया हंटर: SP और ASP हटाए गए, CO सहित 18 पुलिसकर्मी निलंबित

डीआईजी वैभव कृष्ण ने बताया कि इस प्रकरण की जाँच आजमगढ़ के एएसपी शुभम अग्रवाल को सौंपी गई है। शासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीओ, एसओ व चौकी प्रभारी के विरुद्ध संपत्तियों की विजिलेंस जाँच कराने का आदेश भी दिया है। जाँच के बाद अवैध बालू ढुलाई और बिहार में शराब की तस्करी से जुड़े बड़े सिंडिकेट भी सामने आ सकते हैं।

बलिया वसूली कांड में सीएम योगी का ऐक्शनबलिया के नरही थाना स्थित यूपी-बिहार बॉर्डर पर ट्रकों से अवैध वसूली मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कड़ी कार्रवाई की है। दो पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी और सीओ समेत 18 पुलिसकर्मियों के निलंबन के साथ ही जिले के पुलिस अधीक्षक और एएसपी को भी पद से हटा दिया गया है। वहीं, इस मामले में 7 पुलिसकर्मियों समेत 23 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है।

बलिया के एसपी देवरंजन वर्मा और एएसपी दुर्गा तिवारी को तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया गया है। देवरंजन वर्मा और दुर्गा तिवारी को पद से हटाने के बाद उन्हें कहीं तैनाती नहीं दी गई है। उन्हें प्रतीक्षारत रखा गया है। वहीं, नरही के सीओ शुभ सुचित को निलंबित कर दिया गया है। वहीं, 32वीं वाहिनी पीएसी में कमांडेंट रहे विक्रांत वीर को बलिया का नया एसपी बनाया गया है।

दरअसल, बुधवार (24 जुलाई 2024) की देर रात एडीजी वाराणसी पीयूष मोर्डिया और डीआईजी आजमगढ़ वैभव कृष्ण के नेतृत्व में आजमगढ़ पुलिस ने नरही थाना के भरौली पिकेट और कोरंटाडीह चौकी पर छापा मारा था। यहाँ ट्रकों से अवैध वसूली की जा रही थी। इस मामले में दो पुलिसकर्मियों और 16 दलालों को गिरफ्तार किया गया था। वहीं, 5 पुलिसकर्मी और कुछ दलाल फरार हो गए थे।

दबिश के दौरान लगभग 25 मोबाइल, 14 बाइक और 37500 रुपए भी बरामद किए गए हैं। इस मामले में सात पुलिसकर्मियों और दलालों समेत 23 के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। दरअसल, यूपी-बिहार बार्डर पर पुलिसकर्मियों द्वारा ट्रकों से अवैध वसूली की शिकायतें उच्च अधिकारियों को मिली तो उनके कान खड़े हो गए। इसके बाद इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया।

उन्होंने बताया कि इस तरह रोजाना 10 से 15 लाख रुपए की वसूली होती थी। उन्होंने आशंका जाहिर की कि ये पूरा पैसा नरही थाने का स्टाफ अकेले नहीं पचा पाता होगा। कहा जाता है कि पन्नेलाल यहाँ दो साल से तैनात था और उसे कोई हिला नहीं पाता था। वह अक्सर किसी ना किसी थाने में ही तैनात रहता था। पुलिस लाइन बहुत कम देखा गया है।

कहा जाता है कि वसूली के 500 रुपए में से 400 रुपए पन्नेलाल रखथा था और 100 रुपए पिकेट ड्यटी पर रहने वाले सिपाही को दिया जाता था। उनका हिसाब थानाध्यक्ष पन्नेलाल महीने में करता था। यह भी बताया जा रहा है कि अवैध वसूली का एक बड़ा हिस्सा बिहार पुलिस के थानों को भी जाता था। यह इलाका बक्सर जिला से सटा हुआ है।

इस बारे में एडीजी जोन पीयूष मोर्डिया को जानकारी दी गई और कार्रवाई की गई। जिन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है वे हैं- थाना प्रभारी नरही पन्नेलाल, चौकी प्रभारी कोरंटाडीह राजेश प्रभाकर, नरही के सिपाही हरिदयाल सिंह, विष्णु यादव, दीपक मिश्रा, बलराम सिंह, कोरंटाडीह के सिपाही सतीश गुप्ता, भरौली के रविशंकर यादव, कोटवा नरायनपुर के विवेक शर्मा, भरौली के जितेश चौधरी, अर्जुनपुर बिहार के विरेंद्र राय, कथरिया के सोनू सिंह, भरौली के अजय पांडेय, सारिमपुर बिहार के विरेंद्र सिंह यादव, भरौली के अरविंद यादव, रमाशंकर चौधरी, जवाहिर यादव, अमांव के धर्मेंद्र यादव, चंडेश बिहार के विकास राय, भरौली के हरेंद्र यादव, सलाम अंसारी, आनंद ठाकुर, राजापुर गाजीपुर के दिलीप यादव।

चौकी कोरंटाडीह के जिन पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है उनमें शामिल हैं- प्रभारी राकेश प्रभाकर, मुख्य आरक्षी चन्द्रजीत यादव, मुख्य आरक्षी औरंगजेब खां, सिपाही परविन्द यादव, सिपाही सतीश चन्द्र गुप्ता, सिपाही पंकज कुमार यादव, सिपाही ज्ञानचन्द्र और सिपाही धर्मवीर पटेल। वहीं, प्रभारी राकेश प्रभाकर फरार है। थाना प्रभारियों और सिपाहियों के आवासों को सील कर दिया गया है।

डीआईजी वैभव कृष्ण ने बताया कि इस प्रकरण की जाँच आजमगढ़ के एएसपी शुभम अग्रवाल को सौंपी गई है। शासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीओ, एसओ व चौकी प्रभारी के विरुद्ध संपत्तियों की विजिलेंस जाँच कराने का आदेश भी दिया है। जाँच के बाद अवैध बालू ढुलाई और बिहार में शराब की तस्करी से जुड़े बड़े सिंडिकेट भी सामने आ सकते हैं।

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