सेरीब्रल पाल्सी, ऑटिज्म, और मूक बधिर बच्चों का होम्योपैथी चिकित्सा के जरिये किया जाता है इलाज
नई दिल्ली। दिल्ली के नवीन शाहदरा में रविवार 4 अगस्त को सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक नि:शुल्क होम्योपैथी चिकित्सा शिविर ‘आशा की किरण’ का आयोजन किया गया। श्रीराम सत्संग भवन में आयोजित इस नि:शुल्क होम्योपैथी चिकित्सा शिविर में 500 से अधिक बच्चों का उपचार किया गया। गौरतलब है की हर तीन महीने के अंतराल पर ‘आशा की किरण’ नामक शिविर का आयोजन किया जाता है, जिसके अंतर्गत सेरीब्रल पाल्सी, ऑटिज्म, और मूक तथा बधिर बच्चों का निशुल्क इलाज किया जाता है।
इस शिविर में कुशल व अनुभवी चिकित्सकों की टीम सेरेब्रल पाल्सी, डाउन सिंड्रोम, ऑटिज्म, मानसिक कमजोरी और मूक बधिर आदि जन्मजात बीमारियों से पीड़ित बच्चों का होता है। डॉ. बी एस जौहरी कहते हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों के कारण कई बार बच्चे का दिमागी विकास ठीक से नहीं हो पाता, जिसका दुष्प्रभाव उसके संपूर्ण शारीरिक विकास पर पड़ता है। लेकिन होम्योपैथी में कुछ हद तक इसका इलाज संभव है। डॉ. बी एस जौहरी के मुताबिक जरूरतमंदों के लिए ऐसे शिविर काफी लाभदायक रहे हैं। उन्होंने बताया की गर्भावस्था के दौरान किसी प्रकार की शारीरिक समस्या होने पर मां के गर्भ में पल रहे शिशु पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिसका असर शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास पर देखने को मिलता है। लेकिन सही समय पर यदि इनके इलाज और प्रबंधन पर ध्यान दिया जाए तो लक्षणों को बढ़ने से रोका जा सकता है। साथ ही बच्चों की व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार थेरेपी करवाने से उनकी जीवन गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।