लखनऊ। अधिशासी अभियंता से अधीक्षण अभियंता के प्रमोशन की सूची तैयार करने में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अधिकारियों का बड़ा खेल सामने आ रहा है. 40 अफसरों को प्रमोशन दिया गया था, लेकिन इस लिस्ट में पांच ऐसे भी अधिकारी शामिल कर लिए गए जो प्रमोशन के दायरे में ही नहीं आते थे. उन्हें 24 अगस्त को जारी सूची में अधिशासी अभियंता से अधीक्षण अभियंता के पद पर प्रोन्नति दे दी गई. जब मामला खुला तो चार दिन बाद 28 अगस्त को इन पांचों अफसर का प्रमोशन आदेश निरस्त कर दिया गया, लेकिन सूची बनाने को लेकर सवाल खड़े हुए तो इसकी जांच शुरू हुई. जांच में प्रथम दृष्ट्या उपसचिव प्रशांत कुमार को दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया गया. यूपीपीसीएल के सूत्रों की मानें तो कई और अधिकारी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं.
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन में अब विभागीय पदोन्नति में भी बड़ा खेल सामने आ रहा है. दरअसल, 24 अगस्त को उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रशासन ने 40 अधिशासी अभियंताओं को अधीक्षण अभियंता के पद पर प्रोन्नति दे दी थी. उनका सूची क्रमांक देखें तो 35 तक निर्धारित योग्यताधारी बताया जा रहे हैं लेकिन 36 से 40 के बीच स्थित सभी पांच नाम निर्धारित योग्यता पूरी ही नहीं करते थे. जब यह मामला खुला तो जांच शुरू हुई.
जांच में सामने आया कि उप सचिव ने लापरवाही बरती है तो उन पर निलंबन की गाज गिर गई. उप सचिव को सस्पेंड करते हुए उन पर आरोप लगा है कि उन्होंने लेखा शाखा की तरफ से उपलब्ध कराए गए ब्यौरे से सत्यापन ही नहीं कराया. अब यह गंभीर सवाल खड़े कर रहा है कि जब एक से 35 तक का सत्यापन हुआ तो फिर पांच अन्य अफसरों का सत्यापन हुआ क्यों नहीं? यही नहीं चयन समिति ने सत्यापन हुआ या नहीं इस पर भी सवाल क्यों नहीं उठाए?
इन पांच अभियंताओं के गलत तरीके से किया गया प्रमोशन यूपीपीसीएल के लिए गले की फांस बन गया है. विभागीय सूत्रों के मुताबिक अगर इस मामले की शिकायत नहीं की गई होती तो यह अधिशासी अभियंता अधीक्षण अभियंता के पद पर प्रमोशन पा गए होते. इसका नतीजा यह होता कि उनके साथ के ही बचे हुए अधिकारियों की वरिष्ठता प्रभावित हो जाती.
विभागीय सूत्रों का यहां तक दावा है कि अगर इस पूरे मामले की हाईलेवल कमेटी गठित कर इंक्वायरी कर ली जाए तो कई सीनियर अफसरों की मिलीभगत सामने आना तय है. वजह है कि प्रमोशन संबंधी पत्रावलियों के मामले में अलग-अलग अफसरों को जिम्मा सौंपा जाता है.
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डॉ आशीष गोयल का कहना है कि यह मामला संज्ञान में आते ही इसकी जांच शुरू करा दी गई. मामले में प्रथम दृष्टया उप सचिव को जिम्मेदार ठहराया गया है, क्योंकि उन्होंने लेखा शाखा की तरफ से भेजे गए प्रमोशन वाले नाम का डाटा सत्यापित क्यों नहीं कराया. आगे भी वृहद स्तर पर जांच जारी रहेगी. जो भी अफसर इसमें शामिल होंगे उन पर एक्शन जरूर लिया जाएगा.