योगी आदित्यनाथ के लिए सबसे महत्वपूर्ण तो यूपी के उपचुनाव था . लेकिन, ऐन उसी वक्त महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव कैंपेन में भी योगी आदित्यनाथ की भारी डिमांड थी . महाराष्ट्र के कई इलाकों में तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर के साथ ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ वाले स्लोगन वाले होर्डिंग भी देखे गये – और शायद ही कोई उनकी चुनावी रैली होती हो, जहां योगी आदित्यनाथ अपना ये नारा न दोहराते हों.
बांग्लादेश के हालात का जिक्र करते हुए अगस्त, 2024 में योगी आदित्यनाथ ने कहा था, ‘कोई राष्ट्र तभी मजबूत रह सकता है… जब हम एकजुट, और धर्मनिष्ठ रहेंगे… बंटेंगे तो कटेंगे.’ और उसके बाद से तो ये नारा जैसे वायरल ही हो गया.
समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव, AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी और शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने योगी आदित्यनाथ के बयान की आलोचना जरूर की थी, लेकिन योगी आदित्यनाथ का बयान आने के कुछ ही दिन बाद इस तरह की बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों में सुनी गईं.
जातीय राजनीति के खिलाफ योगी की मुहिम
चुनावी सभाओं के अलावा योगी आदित्यनाथ ने दिवाली के मौके पर अयोध्या में अपने भाषण में भी हिंदुओं को बंट जाने से बचने के लिए आगाह किया था – और यही बात वो झारखंड की एक चुनावी रैली में भी समझा रहे थे.
झारखंड में बीजेपी के चुनाव कैंपेन के दौरान योगी आदित्यनाथ लोगों से कह रहे थे, अपनी ताकत का एहसास करवाइये… जातियों में बंटना नहीं है… जाति के नाम पर कुछ लोग आपको बांटेंगे… कांग्रेस और विपक्ष यही काम करते हैं.
चेतावनी के साथ लोगों से एकजुट होने की अपील करते हुए योगी आदित्यनाथ कहते हैं, ये लोग बांग्लादेशी घुसपैठियों, रोहिंग्या को बुला रहे हैं… एक दिन ये लोग आपको घर के अंदर घंटी और शंख भी नहीं बजाने देंगे… इसलिए, एक रहिए और नेक रहिए… मैं तो कहता हूं, देश का इतिहास गवाह है… जब भी बंटे हैं, निर्ममता से कटे हैं.
बीजेपी को ये बात भी समझ आ चुकी है कि जातीय राजनीति के असर की वजह से ही यूपी में लोकसभा की सीटें घट गई हैं – और अब तो हर हाल में उपचुनाव में ज्यादा से ज्यादा विधानसभा सीटें जीतकर समर्थकों में एक मजबूत संदेश देने की जरूरत आ पड़ी है.
अव्वल तो यूपी में डीजीपी की नियुक्ति को लेकर योगी आदित्यनाथ के फैसले में अलग ही संदेश छुपा नजर आता है, लेकिन ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा देकर योगी आदित्यनाथ बिलकुल वही काम कर रहे हैं जो संघ को पसंद है. संघ कभी नहीं चाहता कि किसी भी सूरत में हिंदू समुदाय अलग अलग जातियों में बंट जाये.
चुनाव कैंपेन के लिए योगी की बढ़ती डिमांड
अभी झारखंड में योगी आदित्यनाथ की तीन रैलियां हो रही हैं. महाराष्ट्र में भी आने वाले दिनों में योगी आदित्यनाथ की करीब 15 रैलियां होने वाली हैं, जो राज्य के अलग अलग हिस्सों में होंगी.
योगी के नये फैन बन गये हैं पवन कल्याण
जिस योगी मॉडल की मिसाल आंध्र प्रदेश में डिप्टी सीएम पवन कल्याण दे रहे हैं, झारखंड के चुनाव कैंपेन में योगी आदित्यनाथ खुद ही बखान कर रहे थे. कह रहे थे, 2017 के बाद उत्तर प्रदेश में जो बुलडोजर चलना शुरू हुआ, उसके बाद से कुछ जेल में हैं… और कुछ का राम नाम सत्य हो गया है… उत्तर प्रदेश से माफिया का सफाया हो गया है… जैसे गधे के सिर से सींग गायब हो जाता है, वैसे ही.
यूपी में भले ही योगी आदित्यनाथ को बीजेपी नेताओं की तरफ से रह रह कर चुनौतियां पेश की जाती हों, लेकिन दूसरे कई प्रदेशों में बीजेपी सरकारें योगी मॉडल को फॉलो करती देखी जा चुकी हैं, खासकर बुलडोर वाला ऐक्शन. योगी मॉडल की दुहाई दे रहे पवन कल्याण एनडीए में शामिल जरूर हैं, लेकिन बीजेपी के नेता तो हैं नहीं – लेकिन वो भी योगी मॉडल की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए अपनी सरकार के मंत्री को नसीहत दे रहे हैं.
जनसेना पार्टी के नेता पवन कल्याण हाल के दिनों में काफी आक्रामक नजर आने लगे हैं. गवर्नेंस के योगी मॉडल की बात करते हुए पवन कल्याण अपने ही कैबिनेट साथी पर भड़के हुए देखे गये. बोले, मैं गृह मंत्री अनिता से कह रहा हूं कि उनको और अधिक एक्टिव होना चाहिए… ऐसी स्थिति नहीं आनी चाहिए कि मुझे गृह मंत्री का पदभार संभालना पड़े… अगर मैं गृह मंत्री का पदभार संभालता हूं तो हालात काफी बदल जाएंगे.
पवन कल्याण का कहना था, हमारी एनडीए सरकार के तहत, कानून-व्यवस्था पिछली सरकार जैसी नहीं होनी चाहिए… अपराधियों के साथ वैसा ही व्यवहार किया जाना चाहिये जैसा उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार करती है… तभी वे अपना तरीका बदलेंगे.